मोदी सरकार के रहते रेल का निजीकरण नहीं: मनोज सिन्हा
17 नवबंर तक चलेगा अधिवेशन
देश के सभी रेल जोन के 1100 प्रतिनिधि, पर्यवेक्षक व विदेशी अतिथि कर रहे सहभाग
नरमू के महामंत्री केएल गुप्ता को शतायु होने पर सम्मानित किया गया
गोरखपुर, 15 नवम्बर। शानदार जुलूस के साथ आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के 93 वें अधिवेशन का आगाज हुआ. इस मौके पर नरमू के महामंत्री और एआईआरएफ के संयुक्त मंत्री केएल गुप्त के शतायु होने पर उन्हें सम्मानित भी किया गया. अधिवेशन के उद्घाटन अवसर पर मौजूद रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा है कि जब तक मोदी सरकार सत्ता में है तब तक रेलवे का निजीकरण नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि रेलवे की हालत निरंतर सुधर रही है। केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद रेलवे में लगभग 1.30 लाख करोड़ रुपये निवेश हुआ है। मोदी सरकार के पहले मात्र 45 हजार करोड़ रुपये का निवेश रेलवे में हुआ था।
श्री सिन्हा बुधवार को सैयद मोदी रेलवे स्टेडियम में आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के 93 वें अधिवेशन के उद्घाटन के बाद बोल रहे थे। यह अधिवेशन 17 नवंबर तक चलेगा। अधिवेशन में देश भर के रेल जोन से आए लगभग 1100 प्रतिनिधि, सैकड़ों पर्यवेक्षक, अंतर्राष्ट्रीय रेल रोड ट्रांसपोर्ट फेडरेशनों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
रेल राज्य मंत्री ने कहा कि निजीकरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से उनकी वार्ता हुई है। इस मुद्दे पर पीएम लगभग सहमत हैं। उन्होंने आश्वस्त किया है कि रेलवे के संबंध में जो भी निर्णय लिए जाएंगे, कर्मचारी और यात्री हित में होंगे। उन्होंने कहा कि यात्री संख्या और माल यातायात के लिहाज से रेलवे के पास संसाधन कम हैं। इस चुनौती से निबटने का भारतीय रेल में पहली बार प्रयास हो रहा है। रेलवे में निवेश के लिए कोशिशें चल रही हैं और धीरे धीरे पूरा सिस्ट्म पटरी पर आ रहा है। उन्होंने शानदार अधिवेशन के आयोजन के लिए बधाई दी और इसकी सफलता की कामना की। उन्होंने कहा कि एआईआरएफ का इतिहास शानदार है। इससे जुड़े लोगों की आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह संगठन आजादी पूर्व से ही देश के रेलकर्मियों का सबसे बड़ा और प्रमुख संगठन है। रेलवे के विकास के लिए हमेशा तत्पर एआईआरएफ रेलकर्मियों के सामाजिक उत्थान के लिए भी सक्रिय रहता है।
अधिवेशन के अतिथि रेलवे बोर्ड के सदस्य कार्मिक डी के गोयन ने अधिवेशन की सफलता के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि बेहतर मानीटरिंग और निगरानी से रेल दुर्घटनाओं की संख्या लगभग आधी रह गयी है लेकिन हमारा लक्ष्य इसे जीरो पर ले आने का है क्योंकि यदि रेल दुर्घटना में यदि एक भी जान जाती है तो हमारी साख जाती है। इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव स्टीफेन कार्टन ने कहा की पूरी दुनिया में श्रमिकों के सामने प्राइवेटाइजेशन, अनियमितीकरण व उदारीकरण, ठेका प्रथा, आउटसोर्सिंग और छंटनी की चुनौती खड़ी हुई है। वैश्विक स्तर पर नियोजक समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत की अवहेलना कर रहे हैं। सरकारें श्रम अधिकारों पर हमलावर हैं। श्रमिक संगठन इसके मुकाबले में कमजोर होते जा रहे हैं। ऐसे में कार्यक्रम के अतिथि रेल मंत्री का प्राइवेटाइजेशन के मुद्दे पर आश्वासन सुखदायी है।
इस सत्र के दौरान अधिवेशन की स्मारिका का विमोचन हुआ। नरमू के महामंत्री और एआईआरएफ के संयुक्त मंत्री केएल गुप्त के शतायु होने पर उन्हें सम्मानित भी किया गया। श्री गुप्त ने अपने संबोधन में संकल्प व्यक्त किया की रेल मजदूर रेलवे के प्राइवेटाइजेशन की सरकारी मंशा किसी भी हाल में पूरा नहीं होने देंगे। इस मुद्दे पर वे आर पार की लड़ाई लड़ेंगे। अधिवेशन को फेडरेशन की महिला नेता जया अग्रवाल, बालीबाल की अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी प्रीति सिंह, राखाल दास गुप्त, बसंत चतुर्वेदी व एआईआर एफ के राष्ट्रीय महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने भी संबोधित किया। अधिवेशन से पूर्व देश भर से आए प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों और स्थानीय रेलकर्मियों ने रेलवे स्टेशन से गोलघर होते हुए अधिवेशन स्थल तक शानदार जुलूस निकाला।