साक्षात्कार

‘ पत्थर की इमारत हूं मगर मोम का दिल है, पूनम का हंसी चाँद मेरे गाल का तिल है ’

गोरखपुर, 12 नवम्बर।  शायर इकबाल अशहर ने उत्तेजना पैदा करने वाली शायरी  करने वालों को निशाना बनाते हुए कहा कि ऐसे लोगों ने शायरी का मतलब ही बदल दिया है। शायरी में अपनी बात इशारों और किनायों में कही जाती है लेकिन अब कुछ शायर इस हद को लांद्य रहे है। जिससे न सिर्फ शेरों शायरी का नुकसान हो रहा है बल्कि बहुत से पुराने मुशायरे खत्म हो गये है।
स्टार चैरिटेबल  ट्रस्ट द्वारा आयोजित सैयद मजहर अली शाह मेमोरियल आल इण्डिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में आये इकबाल अशहर ने गोरखपुर न्यूज़ लाइन से बातचीत में इस बात को खारिज किया कि उर्दू और शेरों शायरी सिमट रही है और इसके कद्रदान कम हो रहे है। इकबाल अशहर के मुताबिक दुनिया में शेरों शायरी का शौक बढ़ा है। गजल के जरिए उर्दू लोगों के घरों में पहुंच गई है। मीडिया के रोल पर तबसीरा करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें हैरत की बात नहीं है कि मीडिया हमेशा साहबेइक्तेदार के साथ रहा है। अलबत्ता अफसोस इस बात का है आज खबर गायब हो गई और सनसनी बाकी रह गयीं है। दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल पर कुछ लोगों द्वारा नकारात्मक बाते करने पर अफसोस जताते हुए कहा कि ऐसे लोगों को शर्म आनी चाहिए। ताजमहल हिंदुस्तान में है और इसे देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते है। उन्होंने ताजमहल पर अपनी नज्म कुछ हिस्सा भी सुनाया-
पत्थर की इमारत हूं मगर मोम का दिल है
पूनम का हंसी चाँद मेरे गाल का तिल है

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