सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर, 12 नवम्बर। मशहूर शायरा डा. नसीम निकहत ने कहा कि मौजूदा हालत से देश के अमन पसंद लोगों में बेचैनी है। इसके असर से शायर भी अछूते नहीं है। सियासतदानों द्वारा हर रोज नये-नये मुद्दों को उछाल कर सियासत की जमीन तैयार की जा रही है लेकिन सच्चाई यह है कि इसका भारी नुकसान देश को हो रहा है अगर यहां की जनता पूरसुकून नहीं रहेगी तो भारत देश को शिखर पर पहुंचाने का सपना कभी पूरा नहीं होगा। मीडिया को इस मामले में अपनी जिम्मेदारियों का अहसास करना होगा।
गोरखपुर में मजहर अली शाह मेमोरियल आल इण्डिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में भाग लेने आयीं डा. नसीम निकहत ने गोरखपुर न्यूज़ लाइन से बातचीत में एक शेर के जरिए देश के हालात पर अपनी पीड़ा व्यक्त की कि –
ये बहता खून, ये लाशें, ये जलते घर, ये बर्बादी
सियासत की जमीं एक बार फिर तैयार कर देंगे।
वहीं मीडिया पर कटाक्ष करते हुए कहा कि –
’’नफरतें टीवी ने कुछ चारों तरफ फैलाई
और कुछ काम ये अखबार संभाले हुए है।
’ताजमहल’ और ’पद्मावती’ फिल्म पर हो रहे विवाद पर गहरी चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि ताजमहल भारत देश की आन-बान-शान है और यह हकीकी है जबकि पद्मावती का किरदार ख्याली है। इसलिए हमें हकीकत को तस्लीम करना चाहिए और ख्याली को ख्याल के तौर पर ही लेना चाहिए।
एक सवाल के जवाब में डा. निकहत ने कहा कि पहले के मुशायरे अदबी हुआ करते थे अब के मुशायरों में सिर्फ दस प्रतिशत अदब बाकी है बाकी नब्बी प्रतिशत बेअदबी शमिल हो गई है।
उन्होंने उर्दू के फरोग के लिए कायम उर्दू अकादमियों को निशाने पर लेते हुए कहा कि ’उसे मुर्दा’ की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि उर्दू अकादमियां अब महज नाम की रह गयी है। वहां के मुलाजिमों को भी तनख्वाह के लाले पड़े हुए है।