गोरखपुर, 22 नवम्बर। बुधवार को नगर निगम चुनाव के साथ ही एक नया इतिहास बन गया। गोरखपुर नगर निगम चुनाव के 22 वर्ष के चुनाव इतिहास में इस बार के चुनाव में सबसे कम मतदान यानि सिर्फ 35.62 प्रतिशत ही मतदान हुआ। पिछली चुनाव में 38.3 प्रतिशत मतदान हुआ था।
कम मतदान का कारण मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के साथ ही मेयर प्रत्याशियों को लेकर जनता में उत्साह की कमी प्रमुख कारण माना जा रहा है। प्रमुख दलों द्वारा कमजोर प्रत्याशी दिए जाने के कारण शहरी मतदाताओं की रूचि चुनाव दर चुनाव घटती जा रही है। हालत यह हो गई कि वर्ष 1995 में 60 फीसदी मतदान हुआ था और उसके बाद पांचवे चुनाव में मतदान प्रतिशत 24 फीसदी घटकर 35.62 तक पहुंच गया।
गोरखपुर नगर निगम के चुनाव इतिहास में बुधवार को सबसे कम मत प्रतिशत रिकॉर्ड किया गया। वर्ष 1989 में नगर निगम बनने के बाद कांग्रेस के पवन बथवाल को पार्षदों ने ही मेयर चुना था यानि उनका सीधा चुनाव नहीं हुआ था। इसके बाद वर्ष 1995 के चुनाव में बीजेपी के राजेंद्र शर्मा नगर प्रमुख बने थे। उस वक्त 60 प्रतिशत वोट पड़े थे। वर्ष 2000 में गोरखपुर की जनता ने नेताओं के खिलाफ नकारात्मक मतदान किया था और निर्दल किन्नर आशा देवी उर्फ अमरनाथ को मेयर बनाने के लिए 50 प्रतिशत से अधिक लोग बूथों तक पहुंचे थे। इसके बाद वर्ष 2006 में हुए चुनाव में बीजेपी की अंजू चैधरी को मेयर चुना गया था लेकिन करीब 43 प्रतिशत लोगों ने ही वोट डाले थे। वर्ष 2012 में नगर निगम चुनाव में केवल 38.3 प्रतिशत मतदाताओं ने बीजेपी की डा. सत्या पांडेय को जिताया था। इन सबसे आगे जाते हुए इस बार के चुनाव में नगर निगम के केवल 35.62 प्रतिशत मतदाताओं ने ही वोट डालना जरूरी समझा।