दोनों अफसरों पर रामपुर का जिलाधिकारी रहते अवैध खनन रोकने के हाइकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करने का आरोप
गोरखपुर, 15 दिसम्बर। रामपुर जिले में कोसी नदी से अवैध खनन रोकने के आदेश का पालन नहीं करने पर हाई कोर्ट इलाहाबाद ने गोरखपुर के डीएम राजीव रौतेला और कानपुर देहात के डीएम राकेश कुमार सिंह को निलम्बित करने और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश दिया है। दोनों अफसरों पर रामपुर का जिलाधिकारी रहते हाइकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करने का आरोप है।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिलीप बी भोसले और न्यायाधीश मनोज कुमार गुप्ता की बेंच ने रामपुर निवासी मकसूद की रिट पर यह आदेश सात दिसम्बर को दिया।
मकसूद ने वर्ष 2015 में हाईकोर्ट इलाहाबाद में जनहित याचिका दायर कर रामपुर निवासी गुलाम हुसैन उर्फ नन्हें पर सरकारी मशीनरी से मिलीभगत कर कोसी नदी से अवैध बालू खनन करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की गुहार लगाई थी। सुनवाई में हाईकोर्ट ने पाया कि मकसूद के पास माइनिंग लाइसेंस नहीं है और उसने जरूरी इन्वायरमेंटल क्लीयरेंस भी नहीं प्राप्त किया है। हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़ ने 24 अगस्त 2015 को डीएम रामपुर को एक महीने में अवैध खनन बंद कराने, खनन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और खनन से हुए नुकसान की वसूली करने का आदेश दिया। उन्होंने रामपुर जिला प्रशासन और पुलिस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि वह अवैध खनन पर मुकदर्शक बना हुआ है।
याचिकाकर्ता मकसूद इस वर्ष रिट दाखिल कर हाईकोर्ट को बताया कि अवैध खनन रोकने के लिए सरकारी मशीनरी ने कोई कार्रवाई नहीं की और अवैध खनन जारी है। इस पर हाईकोर्ट ने डीएम रामपुर को अदालत में तलब किया। छह दिसम्बर और सात दिसम्बर को हुई सुनवाई में जब हाइकोर्ट ने पूछा कि 24 अगस्त 2015 के आदेश के बावजूद माइनिंग कैसे हो रही है तो बताया गया कि 16 जुलाई 2016 को रामपुर के जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने गुलाम हुसैन के माइनिंग लाइसेंस को तीन वर्ष के लिए रिन्यूल किया था। हाईकोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए माइनिंग लाइसेंस को रिन्यूल की डीएम की कार्यवाही को गैरजिम्मेदार और हाईकोर्ट के पूर्व आदेश का अनुपालन न करने का रास्ता खोजने वाला बताया।
हाईकोर्ट ने रामपुर के जिलाधिकारी रहे राजीव रौतेला और राकेश कुमार सिंह को निलम्बित करने और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वह जांच करा कर 24 अगस्त 2015 के आदेश का पालन न होने के लिए जिम्मेदार प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों की पहचान करें और प्रदेश सरकार इस जांच के आधार पर सम्बन्धित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करे। इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तिथि 16 जनवरी निर्धारित की गई है जिसमें मुख्य सचिव को कार्रवाई रिपोर्ट देने हलफनामा के साथ देने को कहा गया है।