इलाहीबाग में ‘जश्न-ए-गौसुलवरा’ व ‘लंगर-ए-गौसिया’ कार्यक्रम
गोरखपुर, 24 फरवरी। शनिवार को इलाहीबाग के निकट आगा मस्जिद भव्य ‘जश्न-ए-गौसुलवरा’ व ‘लंगर-ए-गौसिया’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसकी सरपरस्ती कार्यक्रम संयोजक हाजी खुर्शीद आलम खान व संचालन हाफिज व कारी अफजल बरकाती ने किया
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए मेंहदावल के मुफ्ती मो. अलाउद्दीन मिस्बाही ने कहा कि इस्लाम अमन और सलामती का मज़हब है जो भाईचारे और मुहब्बत का पैग़ाम देता है. साथ ही यह समाज में फैलने वाली हर बुराई जैसे झूठ, चोरी, धोखेबाज़ी, रिश्वत, बेईमानी, बेहयाई, ज़िना और ज़ुल्म वग़ैरा को जड़ से ख़त्म करने का हुक्म देता है. इस्लामी तालीम के मुताबिक़- मुसलमान वो है जिसके हाथ से किसी मुस्लिम या ग़ैर मुस्लिम की जान और माल महफूज़ है.
उन्होंने कहा कि इस्लाम का कट्टरवाद या दहशतगर्दी से कोई लेना देना नहीं। पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहौ अलैही वसल्लम का फ़रमान है कि अल्लाह उस पर रहम नहीं करता जो इंसानों पर रहम न करे.
विशिष्ट वक्ता घोसी (मऊ) के मौलाना आरिफ खान ने कहा कि हम इस्लामी तालीम से बिल्कुल दूर होते जा रहे हैं। हम अपने बच्चों की दुनियावी तालीम पर तो लाखों रूपये पानी की तरह बहा देते हैं लेकिन इस्लामी तालीम के लिए न हमारे पास पैसा है और न ही वक़्त।
अध्यक्षता करते हुए मौलाना फैजुल्लाह कादरी ने मुसलमानों के विकास और कल्याण के लिए शिक्षा को जरूरी क़रार देते हुए कहा कि मुसलमानों के जिंदगी के सभी क्षेत्रों में पिछड़ने की एकमात्र वजह शिक्षा से दूरी है. मुसलमानों को जहां दीनी शिक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है वहीं आधुनिक शिक्षा को दीनी शिक्षा की तरह अपनाने की ज़रूरत है. कुरआन की पहली आयत ‘इकरा’ है. इसका मतलब यह हुआ कि इस्लाम में शिक्षा की ही अहमियत है और इस्लाम का पहला पैगाम शिक्षा है. हदीस शरीफ में है कि इल्म हासिल करना हर मुसलमान मर्द और औरत पर फ़र्ज है.
कार्यक्रम का आगाज तिलावत-ए-कुरआन शरीफ से कारी मोहसिन रजा ने किया। नात शरीफ कारी शकील अहमद निजामी, मौलाना मोईनुद्दीन बरकाती, एजाज गोरखपुरी ने पेश की। अंत में सलातो सलाम पढ़ मुल्कों मिल्लत के लिए दुआएं की गयी। ‘लंगर-ए-गौसिया’ में लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
इस मौके पर मुफ्ती अख्तर हुसैन, मोहम्मद शादाब खान, मोहम्मद खुर्शीद आलम खान, मोहम्मद अय्यूब खान, हाजी जमील अहमद, इमरान अहमद, हाफिज नजरे आलम कादरी, मौलाना फिरोज, हाफिज हकीकुल्लाह, हाफिज जाकिर, मौलाना अबुल कलाम, मौलाना गुलाम रसूल, हाफिज खैरुलवरा, कारी अनीस सहित तमाम लोग मौजूद रहे।