गोरखपुर, 8 मार्च। मुल्क-ए-शाम (सीरिया) व श्रीलंका में जारी कत्लो-गारद का खेल थम जाए। बेकसूर अवाम की हिफाजत हो और मजलूमों को न्याय मिले। इसी इल्तिजा के साथ नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां पर बुधवार को तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत की जानिब से खुसूसी दुआ का एहतमाम (आयोजन) किया गया। दोपहर के वक्त जोहर की नमाज के बाद नम आंखों के साथ दुआ के लिए सैकड़ों हाथ उठे। सीरिया में हो रहे जुल्म को लेकर अफसोस और गम का इजहार किया गया है।
अध्यक्षता करते हुए मुफ्ती अख्तर हुसैन (मुफ्ती-ए-गोरखपुर) ने सीरिया के पूर्वी शहर गोता और अदलब में सीरियाई और रूसी सेना के क्रूर हमले में निर्दोष नागरिकों की मौत पर सख्त तकलीफ का इजहार किया और कहा कि यह सिर्फ सीरिया का ही नहीं बल्कि पूरी मानवता का मसला है। सारी दुनिया के इंसानों को एक आवाज़ होकर इस क्रूर बमबारी और नरसंहार के विरूद्ध आवाज़ उठानी चाहिए। बच्चों, औरतों और मर्दो पर खुला ज़ुल्मों सितम हो रहा हैं और यूएनओ कठपुतली बना हुआ देख रहा हैं। अब तक लाखों बेगुनाह लोग मारे जा चुके हैं। सभी मुल्कों को सीरिया पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होना चाहिए। सीरिया व श्रीलंका की घटना की जितनी निंदा की जाए कम है।
मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि सीरिया में नागरिकों पर इंसानियत को शर्मसार करने वाले जो जुल्म किए जा रहे हैं वो शर्मनाक है और उसे लफ्जों में बयान नहीं किया जा सकता। साथ ही यह भी अफसोसनाक है कि इस कत्लेआम पर दुनिया के दूसरे मुल्क खामोश तमाशबीन बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ व अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों को सीरिया में कत्लेआम को रुकवाने और वहां अमनो अमान वापस लाने की दिशा में बेहतर किरदार अदा करना चाहिए। श्रीलंका के हालात भी खराब होते जा रहे है। दुनिया के मुल्कों को शांति की दिशा में पहल करनी चाहिए।
संचालन करते हुए मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने कहा कि आईए हम सब मिलकर सीरिया व श्रीलंका के मजलूमों के हक में दुआ मांगें। ताकि हर मजलूम की जान-माल और आबरू की हिफाजत हो सके। उन्होंने मसाजिद के इमामों से आने वाले जुमा में सीरिया व श्रीलंका के आवाम के लिए दुआओं की अपील की है।
तिलावत-ए-कलाम पाक से कार्यक्रम का आगाज हुआ फिर नात पढ़ी गयी। अंत में रो-रो कर सीरिया व श्रीलंका की आवाम के लिए दुआएं की गई।
इस मौके पर दरगाह सदर इकरार अहमद, कारी शराफत हुसैन कादरी, कारी अंसारूल हक, मौलाना नजरे आलम निजामी, मौलाना मोहम्मद शम्सुद्दीन, मौलाना मोहम्मद आरिफ, मौलाना सदरे आलम सहित तमाम लोग मौजूद रहे।