गैंडों को सुरक्षा और अनुकूल माहौल देने का पुरा प्रयास करेगा विभाग: डीएफओ
रवि सिंह
महराजगंज, 23 मार्च. प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण सोहगी बरवां वन्य जीव प्रभाग का शिवपुर रेंज क्षेत्रफल की दृष्टि से बहुत बडा नहीं है। एक सेक्टर व दो बीटों में बटा करीब 1996.90 हेक्टेयर में फैला घना प्राकृतिक जंगल और जंगल के बीच से होकर बहती नारायणी गंडक नदी व रोहुआ नाला के अतिरिक्त अन्य छोटे बडे पहाडी नदी नालों से हरा भरा यह जंगल जंगली जानवरों के बेहद अनुकूल है।यहां तेन्दुआ, हिरण के अलावा बाघों की बढती तादात के बीच गैंडो को भी यह जंगल रास आने लगा है।इसे लेकर विभाग काफी खुश है।
जानकारों का मानना है कि बाढ के दिनों में नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से भटक कर करीब 14 गैंडे भारतीय क्षेत्र के बाल्मिकी नगर व्याघ्र परियोजना की जंगलों में आ गये थे।इनमें से चार शिवपुर रेंज में भी आ आये थे. भारत सरकार से वार्ता कर नेपाल के फारेस्ट विभाग 13 गैंडों को पकड वापस ले गया जबकि एक गैंडे का शव वीटीआर के मदनपुर जंगल में मिला था। इसके बाद बाघ गणना को लेकर लगाये गये ट्रैप कैमरों में शिवपुर रेंज में दो गैंडों की मूवमेंट मिली है।
कयास लगाये जा रहे है कि नेपाल की जंगल को छोड दो गैंडों ने शिवपुर जंगल को अपना नया ठौर बना लिया है।जानकारों का कहना है कि गैंडा जोडे के साथ ही रहना पंसद करता है और शिवपुर में एक साथ दो गैंडो की ट्रैपिंग से विभागी अधिकारी काफी प्रसन्न है।गैंडों के जोडे की दस्तक से यहा उनके संवर्धन की भी गुंजाइश बनी हुई है।
इस सबंध में डीएफओ मनीष सिंह का कहना है कि ट्रैप कैमरों में दो गैंडे ट्रैप हुये है।एक से अधिकार बार कैमरों में गैंडों का ट्रैप होने से उनके इस इलाके में रहने की बात को बल मिलती है।