-‘जश्न-ए-ख्वाजा ग़रीब नवाज़’ कार्यक्रम सम्पन्न
गोरखपुर। नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां पर महान सूफी संत हजरत मोईनुद्दीन हसन चिश्ती अलैहिर्रहमां (ख्वाजा ग़रीब नवाज़) के 806वें उर्स-ए-पाक के मौके पर आयोजित ‘छह दिवसीय जश्न-ए-ख्वाजा ग़रीब नवाज़’ कार्यक्रम का समापन रविवार को हुआ। सुबह से ही दरगाह पर अकीदतमंदों का तांता लगा रहा। अकीदतमंदों ने उलेमा की जुब़ानी ग़रीब नवाज़ के जिंदगी के वाकियात, करामात, तकवा व परहेजगारी के बारे में सुना।
अध्यक्षता करते हुए मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-गोरखपुर) ने कहा कि सरजमीनें हिंद पर वलियों का राज है और हिंद के वलियों के सरदार ख्व़ाजा ग़रीब नवाज़ है। ग़रीब नवाज़ हिन्दल वली, हिन्द के बादशाह है। आपने हिन्दुस्तानियों व दुनिया के तमाम लोगों का दिल जीता। ग़रीब नवाज़ आज से कोई 800 साल पहले सैकड़ों मील का कठिन सफर तय करते हुए अल्लाह का पैगाम लिए जब ईरान से हिन्दुस्तान के अजमेर में पहुंचे तो जो भी आपके पास आया वह आपका होकर रह गया। आपके दर पर दीन-ओ-धर्म, अमीर-गरीब, बड़े-छोटे किसी भी तरह का भेदभाव नहीं है। सब पर आपके रहम-ओ-करम का नूर बराबरी से बरसता है। तब से लेकर आज तक राजा हो या रंक, हिन्दू हो या मुसलमान, जिसने भी आपकी चौखट चूमी वह खाली नहीं गया।
संचालन करते हुए मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने कहा कि ख्वाजा ग़रीब नवाज़ के नाम से लोगों के दिलों में बसने वाले महान सूफी संत मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का बुलंद दरवाजा इस बात का गवाह है कि मुहम्मद-बिन-तुगलक, अलाउद्दीन खिलजी और मुगल अकबर से लेकर बड़े से बड़ा हुक्मरान यहां पर पूरे अदब के साथ सिर झुकाए ही आया। वह दरवाजा इस बात का भी गवाह है कि ग़रीब नवाज़ सर्वधर्म सद्भाव की दुनिया में एक ऐसी मिसाल हैं जिनका कोई सानी नहीं है।
कारी शराफत हुसैन कादरी ने कहा कि महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की अजमेर स्थित दरगाह सिर्फ इस्लामी प्रचार का केंद्र ही नहीं बनी, बल्कि यहां से हर मजहब के लोगों को आपसी प्रेम का संदेश मिला है। इसकी मिसाल ख्वाजा के पवित्र आस्ताने में राजा मानसिंह का लगाया चांदी का कटहरा है, वहीं ब्रिटिश महारानी मेरी क्वीन का अकीदत के रूप में बनवाया गया वुजू का हौज है।
करीब दोपहर एक बजे कुल शरीफ की रस्म अदा की गयी। सलातो सलाम पढ़ कौमों मिल्लत व मुल्क में अमनो अमान, भाईचारगी की दुआ की गई। जोहर की नमाज के बाद हर खासो आम में करीब ढ़ाई कुंतल लंगर तक़सीम किया गया। इस मौके पर दरगाह सदर इकरार अहमद, अजीम, आतिफ रजा, रमजान अली, कुतबुद्दीन, जमशेद अहमद, मनौव्वर अहमद, सेराज अहमद, शहादत हुसैन, हाजी कमरुद्दीन, अब्दुर्रहमान, अब्दुर्रज्जाक, मो. शाकिब, नजमुद्दीन, अदील अहमद, महबूब आलम, मंजूर आलम, अबुतल्हा, सैफ रजा, अब्दुल अजीज, असद, अहमद, शमशीर, सैफ अली, सैयद कबीर अहमद, शमशीर अहमद, साजिद अली, नियाज, ईशा मोहम्मद तमाम लोग मौजूद रहे।