गोरखपुर। दस अगस्त 2017 को बीआरडी मेडिकल कालेज में हुए आक्सीजन हादसे में सात महीने से अधिक समय से जेल में बंद मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के प्रवक्ता एवं एनएचएम के नोडल प्रभारी रहे डा. कफील अहमद खान को आज हाईकोर्ट से जमानत मिल गई।
हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने डा. कफील के अधिवक्ता नजरूल इस्लाम जाफरी और सदाफुल इस्लाम जाफरी तथा सरकार की तरफ से प्रस्तुत हुए अधिवक्ता विमलेन्दु त्रिपाठी को सुनने के बाद जमानत मंजूर कर ली। सरकारी अधिवक्ता विमलेन्दु त्रिपाठी ने जमानत का विरोध किया और कहा कि डा. कफील पर चिकित्सा में लापरवाही और प्राइवेट प्रैक्टिस के गंभीर आरोप हैं।
डा. कफील के अधिवक्ता नजरूल इस्लाम जाफरी ने गोरखपुर न्यूज लाइन को बताया कि उन्होंने अदालत मेे कहा कि पुलिस ने 409 और 308 आईपीसी के तहत जो आरोप लगाया है उसका कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकी है। इसलिए ये दोनो आरोप बनते ही नही हैं। यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से कहा गया है कि आक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई। तब डा. कफील पर चिकित्सा में लापरवाही का आरोप कैसे लगाया जा सकता है। प्रावइवेट प्रैक्टिस का आरेाप भी पुलिस ने पहले ही वापस ले लिया है। इसलिए डा. कफील को जमानत मिलनी चाहिए। इस पर अदालत ने डा. कफील की जमानत मंजूर कर ली
हाईकोर्ट में डा. कफील की जमानत पर सुनवाई 2.35 पर शुरू हुई और करीब आधे घंटे तक दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की जिरह सुनने के बाद न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने डा. कफील की जमानत मंजूर कर ली।
डा. कफील को दो सितम्बर 2017 को गिरफतार किया गया था। उनके खिलाफ पुलिस ने 409, 308, 120 बी आईपीसी के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है। इन आरोपों में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
आक्सीजन हादसे की जांच कर रहे विवेचना अधिकारी अभिषेक सिंह ने सात अभियुक्तों-डा, पूूर्णिमा शुक्ल, गजानन्द जायसवाल, डा, सतीश कुमार, सुधीर कुमार पांडेय, संजय कुमार त्रिपाटी, उदय प्रताप शर्मा और मनीष भंडारी की चार्जशीट 26 अक्तूबर 2017 को और पूर्व प्राचार्य डा. राजीव मिश्रा व एनचएम के नोडल अधिकारी डा. कफील अहमद खान के खिलाफ चार्जशीट 22 नवम्बर 2017 को अदालत में दाखिल की थी।
डा. कफील खान के विरूद्ध 409, 308, 120 बी आईपीसी और डा. राजीव मिश्र के विरूद्ध 409, 308,120 बी आईपीसी, 7 /13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का प्रमाणित होने का दावा करते हुए आरोप पत्र दाखिल किया गया है।
गोरखपुर के विशेष न्यायाधीश (प्रिवेंशन आफ करप्शन एक्ट ) 3 की अदालत से 17 जनवरी 2018 को जमानत खारिज होने के बाद डा. कफील ने 13 फरवरी 2018 को हाईकोर्ट में जमानत अर्जी फाइल किया था। इसके बाद से उनकी जमानत अर्जी पर 16 फरवरी, 13 मार्च, 30 मार्च और 20 अप्रैल को सुनवाई हुई थी।
आक्सीजन हादसे की एफआईआर चिकित्सा शिक्षा के महानिदेशक डा, केके गुप्ता ने 23 अगस्त को लखनउ के हजरतगंज थाने में कराया था। पुलिस ने मुकदमा अपराध संख्या 703/2017 के अन्तर्गत धारा 409, 308, 120 बी, 420 आईपीसी, 7 /13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट की धारा 15 और 66 आईटी एक्ट में पूर्व प्राचार्य डा. राजीव मिश्र, एनस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष डा. सतीश कुमार, बाल रोग विभाग के प्रवक्ता एवं एनएचएम के नोडल प्रभारी डा. कफील अहमद खान, डा. रजीव मिश्र की पत्नी डा. पूर्णिमा शुक्ल, बीआरडी मेडिकल कालेज के चीफ फार्मासिस्ट गजानंद जायसवाल, कनिष्ठ लिपिक संजीव त्रिपाठी, सहायक लिपिक सुधीर कुमार पांडेय व कनिष्ठ सहायक लेकखा अनुभाग उदय प्रताप शुक्ल के खिलाफ मुकदमा पंजीकुत किया।
यह मुकदमा 23 अगस्त को गोरखपुर के गुलरिहा थाने में स्थानान्तरित कर दिया गया। यहां पर इसे मुकदमा आपराध संख्या 428/2017 के तहत पंजीकृत किया गया और सीओ कैंट अभिषेक सिंह को विवेचना सौंप दी गई।
एफआईआर में कहा गया था कि डा कफील खान प्रभारी एनएचम एवं 100 बेड एईएस वार्ड द्वारा आक्सीजन की कमी के बारे में वरिष्ठ अधिकारियों को संज्ञान में नहीं लाया गया, सरकारी ड्यूटी का नजरअंदाज करते हुए उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत न होने के बावजूद भी अपनी पत्नी शबिस्ता खान द्वारा संचालित नर्सिंग होम में अनुचित लाभ हेतु अपने नाम से बोर्ड लगाकर प्रेक्टिस किया गया। उनके द्वारा मरीजों के इलाज में अपेक्षित सावधानी नहीं बरती गई, जीवन संकट को बचाने का प्रयास नहीं किया गया और डिजिटल माध्यम से धोखा देने के इरादे से गलत तथ्यों को संचार माध्यम में प्रसारित किया गया।
चार्जशीट में डा, कफील खान के खिलाफ 66 आईटी एक्ट और 7 /3भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम हटा ली गई क्योंकि इसके कोई साक्ष्य नहीं पाया गया। उनके खिलाफ प्राइवेट प्रैक्टिस से सम्बन्धित 15 इंडियन मेडिकल कौंसिल एक्ट का चार्ज भी साक्ष्य के अभाव में हटा लिया गया लेकिन उनके खिलाफ सरकारी धन के गबन का अरोप लगाते हुए 409 आईपीसी का चार्ज बढ़ा दिया गया।
डा. कफील और उनके अधिवक्ता का कहना था कि प्रथम सूचना रिपोर्ट काफी विलम्ब से गलत तथ्यों के आधार पर दर्ज करायी गई है। डा. कफील खान कभी 100 बेड एईएस वार्ड के नोडल प्रभारी नहीं रहे। वह बीआरडी मेडिकल कालेज के एनएचएम का नोडल अधिकारी थे। एईएस वार्ड के प्रभारी डा. भूपेन्द्र शर्मा थे। इसलिए डा. कफील के खिलाफ 308 आईपीसी का अपराध गठित नहीं होता है। एनएचएम के नोडल अधिकारी के रूप में उनका काम एनएचम स्टाफ का अटेन्डेंस लेना, उनके वेतन आदि को भुगतान कराना, उनसे कार्य लेना और इसके सम्बन्ध में उच्चाधिकारियों से निर्देश प्राप्त करना व सूचना देना है। कालेज के प्रवक्ता के बतौर उनका कार्य शिक्षण, प्रशिक्षण तथा इंसेफेलाइटिस रोगियों का इलाज करना व करवाना है। इसके अलावा कोई मेडिकल सामग्री का क्रय या आपूर्ति का दायित्व उनका नहीं है। आक्सीजन सप्लाई क लिए अनुबंध और इसके लिए भुगतान में उसकी कोई भूमिका नहीं है।
जेल से 17 अप्रैल को लिखे पत्र में भी डा. कफील ने यही सब बातें कही हैं। पढ़िए पूरा पत्र
http://gorakhpurnewsline.com/14434-2-dr-kafeel-khan-wrote-from-jail/
इस घटना में गिरफ्तार आक्सीजन सप्लायर कम्पनी पुष्पा सेल्स के निदेशक मनीष भंडारी को सुप्रीम कोर्ट से 9 अप्रैल को जमानत मिल गई थी। अभी भी डा. राजीव मिश्र, डा. सतीश, डा पूर्णिमा शुक्ल सहित सात लोग जेल में हैं। डा. सतीश की जमानत पर हाईकोर्ट में 26 अप्रैल को सुनवाई है।