डॉ शबिस्ता खान का आरोप-बीमार पति का इलाज न करा कर मार डालने की हो रही है साजिश
गोरखपुर। विशेष न्यायाधीश (प्रिवेंशन आफ करप्शन एक्ट) 3 ने आज आक्सीजन कांड में जेल में बंद डा. कफील अहमद खान को कानून के मुताबिक सभी जरूरी चिकित्सा उपलब्ध कराने का आदेश दिया। डा. कफील ने अपने अधिवक्ता के जरिए आवेदन कर अदालत से ह्दयरोग विशेषज्ञ से इलाज कराने का आदेश देने का अनुरोध किया था।
एक दिन पहले डा. कफील अहमद खान की पत्नी डा. शबिस्ता खान ने आरोप लगाया था कि जेल प्रशासन उनके पति को जरूरी चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध नहीं करा रहा है जिससे उनके पति की जान का खतरा है।
अपने आवेदन में डा. कफील ने लिखा है कि ‘ वह हृदय रोगी हैं। उन्हें मार्च 2017 में हार्ट अटैक हुआ था। वह एक सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती रहे। जिला कारागार में इधर उनके सीने में दर्द बढ़ गया है। जिला कारागार में कोई ह्दय रोग विशेषज्ञ नहीं है, इसलिए उनका समुचित जांच और इलाज नहीं हो पा रहा है। यदि उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ जाय तो उनकी जान का खतरा हो सकता है। ऐसी स्थिति में उनका ह्दय रोग विशेषज्ञ से इलाज कराना न्यायोचित होगा। ’
उनकी अर्जी पर विशेष न्यायाधीश (प्रिवेंशन आफ करप्शन एक्ट ) 3 ने वरिष्ठ जेल अधीक्षक को कानून के मुताबिक जरूरी चिकित्सा उपलब्ध कराने का आदेश दिया।
एक दिन पहले डा. कफील खान की पत्नी डा. शबिस्ता खान ने आरोप लगाया था कि उनके पति बीमार हैं, फिर भी जेल प्रशासन उन्हें जरूरी चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध नहीं करा रहा है। उन्होंने कहा कि शनिवार को उनके पति की तबियत खराब हो गई। जिला अस्पताल से बुलाए गए चिकित्सक ने उनका परीक्षण करने के बाद टीएमटी, लिपिड प्रोफाइल आदि जांच कराने और हायर सेंटर में परीक्षण कराने का सुझाव दिया लेकिन जेल प्रशासन ने सुरक्षा इंतजाम का हवाला देकर अभी तक उन्हें इलाज के लिए बड़े अस्पताल में भेजा नहीं है।
डा. शबिस्ता खान ने कहा कि उनके पति का वजन आठ किलो कम हो गया है। उन्हें मुलाहिजा बैरक में रखा गया है जिसकी क्षमता 60 कैदियों की है लेकिन वर्तमान समय में वहां पर 150 से ज्यादा बंदी है। इस कारण उन्हें बेहद तकलीफ हो रही है। वह न ठीक से सो पाते हैं, न खा पाते हैं। पहले से ह्दय रोगी को इस स्थिति में न रखने का कई बार अनुरोध किया गया लेकिन उनकी कोई बात सुनी नहीं जा रही है। एक तरह से उन्हें जेल में टार्चर किया जा रहा है। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि उनके पति को एक षडयंत के तहत चिकित्सा सुविधा न देकर जान से मार डालने की साजिश की जा रही है।
डा. शबिस्ता खान ने कहा कि उनके पति बीआरडी मेडिकल कालेज में बाल रोग विभाग में प्रवक्ता थे। उन पर एनएचएम के नोडल प्रभारी का प्रभार था। उनका आक्सीजन की आपूर्ति, खरीद आदि से दूर-दूर का सम्बन्ध नहीं था। उनकी ड्यूटी एनएचएम कर्मियों की अटेंडेंस, सेलरी से सम्बन्धित थी। वह घटना के दिन अवकाश पर थे लेकिन जब उन्हें लिक्विड आक्सीलन खत्म होने की जानकारी मिली तो उन्होंने सभी जिम्मेदार लोगों से बात की और खुद बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंचे। उन्होंने अपने दम पर तमाम निजी अस्पतालों से जम्बो आक्सीजन सिलेंडर का इंतेजाम किया और बच्चों की इलाज में कोई बाधा नहीं आने दी। बाल रोग विभाग में एक दर्जन से अधिक चिकित्सक उस रात ड्यूटी पर थे। डा. कफील ने अपनी ड्यूटी निभाई फिर भी उन्हें फंसा कर जेल भेज दिया गया। इस घटना के लिए जिम्मेदार बड़े लोगों को बचाने के लिए मेरे पति को फंसाया गया। वह बेकसूर है फिर भी पिछले आठ महीने से जेल में हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से लेकर सभी उच्चाधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई। उन्हें न्याय का आश्वासन दिया गया लेकिन उनके साथ न्याय नहीं हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि डा. कफील की जमानत की अर्जी हाईकोर्ट में लम्बित है।