गोरखपुर.बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर में 10 अगस्त 2017 के आक्सीजन कांड में गिरफ़्तार मेडिकल आक्सीजन सप्लाई करने वाली कम्पनी पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनीष भंडारी को आज सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्र, जस्टिस एएम खानवलिकर और डीवाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने सात महीने से जेल में बंद मनीष भंडारी की जमानत अर्जी को मंजूर कर लिया. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अधिवक्ता एश्वर्य भाटी ने श्री भंडारी की जमानत का विरोध किया.
भंडारी ने हाईकोर्ट इलाहाबाद से 13 फ़रवरी को जमानत अर्जी खारिज हो जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी लगाई थी.
मनीष भंडारी के विरूद्ध 120 बी और 406 आईपीसी का आरोप पत्र दाखिल किया गया है. उसे 17 सितम्बर 2017 को गिरफतार किया गया था.
बीआरडी मेडिकल कालेज में 10 अगस्त की रात 7.30 मेडिकल आक्सीजन प्लांट में आक्सीजन खत्म हो गया था और बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के वार्ड सहित कई वार्डों में पाइप लाइन से आक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो गई थी. उपलब्ध जम्बो सिलेण्डर से काम चलाने की कोशिश की गई लेकिन वह पर्याप्त नहीं था. आक्सीजन प्लांट में आक्सीजन खत्म होने के बारे में पहले ही बीआरडी मेडिकल कालेज के जिम्मेदारों को अवगत कराया गया था लेकिन पर्याप्त संख्या में जम्बो आक्सीजन सिलेण्डर का इंतजाम नहीं किया गया.
आक्सीलन सप्लाई करने वाली कम्पनी पुष्पा सेल्स छह महीने से भुगतान के लिए गोरखपुर से लेकर लखनऊ तक अफसरों, मंत्रियों को पत्र लिख रहा था लेकिन किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया.
लिक्विड आक्सीजन की सप्लाई बाधित होने की सूरत में 100 बेड के इंसेफेलाइटिस वार्ड और 54 बेड के एपीडेमिक वार्ड 12 को रोज 250 जम्बो आक्सीलन सिलेण्डर की जरूरत होती है लेकिन 10 अगस्त की शाम 7.30 बजे से 11 अगस्त की शाम पांच बजे तक इतने सिलेण्डरों का इंतजाम नहीं किया जा सका. नतीजा यह हुआ कि 100 बेड के इंसेफेलाइटिस वार्ड में इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त बच्चों, जन्म के वक्त संक्रमण व अन्य बीमारियों के कारण भर्ती हुए नवजात तथा वार्ड संख्या 14 में भर्ती वयस्क मरीजों की जान जाने लगी. 10 अगस्त और 11 अगस्त को 48 घंटे में 34 बच्चों और 18 वयस्क मरीजों की जान चली गई। इनमें से अधिकतर की मौत 10 अगस्त की शाम लिक्विड आक्सीजन की सप्लाई ठप होने के बाद 6 से 7 घंटों के बीच हुई.
चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डा, केके गुप्ता ने आक्सीजन हादसे की एफआईआर 23 अगस्त को लखनऊ के हजरतगंज थाने में कराया था। पुलिस ने मुकदमा अपराध संख्या 703/2017 के अन्तर्गत धारा 409, 308, 120 बी, 420 आईपीसी, 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट की धारा 15 और 66 आईटी एक्ट में पूर्व प्राचार्य डा. राजीव मिश्र, एनस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष डा. सतीश कुमार, बाल रोग विभाग के प्रवक्ता एवं एनएचएम के प्रभारी डा. कफील खान, डा. रजीव मिश्र की पत्नी डा. पूर्णिमा शुक्ल, बीआरडी मेडिकल कालेज के चीफ फार्मासिस्ट गजानंद जायसवाल, कनिष्ठ लिपिक संजीव त्रिपाठी, सहायक लिपिक सुधीर कुमार पांडेय व कनिष्ठ सहायक लेकखा अनुभाग उदय प्रताप शुक्ल के खिलाफ मुकदमा पंजीकुत किया.
यह मुकदमा 23 अगस्त को गोरखपुर के गुलरिहा थाने में स्थानान्तरित कर दिया गया। यहां पर इसे मुकदमा अपराध संख्या 428/2017 के तहत पंजीकृत किया गया और सीओ कैंट अभिषेक सिंह को विवेचना सौंप दी गई. इसके बाद सभी आरोपियों को गिरफतार कर लिया गया.
एफआईआर में कहा गया था कि 10 और 11 अगस्त को बीआरडी मेडिकल कालेज में बच्चों की मौत के सम्बन्ध में समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्ट के आलोक में पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड पर आपराधिक कृत्य पाया गया. पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड पर लिक्विड आक्सीजन की आपूर्ति की जिम्मेदारी थी. कम्पनी ने अपने दायित्व का निर्वहन नहीं किया. यह कार्य आपराधिक और न्यास भंग है. तीन अगस्त 2017 को बीआरडी मेडिकल कालेज के कर्मचारियों द्वारा पुष्पा सेल्स को बताया गया कि लिक्विड आक्सीजन खत्म हो रहा है. यह जानते हुए भी जीवन रक्षक आक्सीजन की कमी से मृत्यु संभव है, लिक्विड आक्सीजन की सप्लाई रोक दी गई. यद्यपि चिकित्सकों द्वारा उपस्थित रोगियों को उपचार हेतु वैकल्पिक व्यवस्था आक्सीजन जम्बो सिलेण्डर उपलब्ध कराकर जान की रक्षा की गई. कम्पनी का यह कृत्य सदोष मानव वध का आपराधिक प्रयास है.
पुष्पा सेल्स के निदेशक मनीष भंडारी पर यह भी आरोप लगाया कि उसने मेडिकल आक्सीजन की आपूर्ति का भुगतान पाने के लिए प्राचार्य डा. राजीव मिश्र, उनकी पत्नी डा पूर्णिमा शुक्ल को कमीशन दिया.
आक्सीजन हादसे की जांच कर रहे विवेचना अधिकारी अभिषेक सिंह ने सभी नौ अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. उन्होंने सात अभियुक्तों-डा, पूूर्णिमा शुक्ल, गजानन्द जायसवाल, डा, सतीश कुमार, सुधीर कुमार पांडेय, संजय कुमार त्रिपाटी, उदय प्रताप शर्मा और मनीष भंडारी की चार्जशीट 26 अक्तूबर 2017 को और पूर्व प्राचार्य डा. राजीव मिश्रा और एनचएम के नोडल अधिकारी डा. कफील खान की चार्जशीट 22 नवम्बर को अदालत में दाखिल की.
डा. कफील खान के विरूद्ध 409, 308, 120 बी आईपीसी और डा. राजीव मिश्र के विरूद्ध 409, 308,120 बी आईपीसी, 7 /13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का प्रमाणित होने का दावा करते हुए आरोप पत्र दाखिल किया गया है.
अभियुक्त डा. पूर्णिमा शुक्ल के विरूद्ध 120 बी आईपीसी, 7 /13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 8, 9, गजानन्द जायसवाल के विरूद्ध 120 बी, 466, 468, 469, 471 आईपीसी तथा 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, डा. सतीश कुमार के खिलाफ धारा 308, 120 बी, 466, 468, 469 आईपीसी और 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सुधीर कुमार पांडेय, संजय कुमार त्रिपाठी और उदय प्रताप शर्मा के विरूद्ध 120 बी आईपीसी और 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम तथापुष्पा सेल्स के निदेशक मनीष भंडारी पर 406 और 120 बी आईपीसी के तहत आरोप पत्र दाखिल किया। दोनों आरोप में पांच वर्ष से कम सजा का प्रावधान है.
चार्जशीट में कहा गया है कि लिक्विड आक्सीजन सेन्ट्रल पाइप लाइन आपरेटरों के बार-बार फोन करने के बावजूद मेडिकल आक्सीजन की सप्लाई नहीं की गई. पुष्पा सेल्स की ओर से कहा गया कि जब तक पिछला भुगतान नहीं होगा, तब तक हम आक्सीजन नहीं भेज पाएंगें. कई बार फोन करने के बावजूद चार अगस्त से 12 अगस्त तक आक्सीजन नहीं आया. जब 11 अगस्त को एक साथ चार बिलों का भुगतान हुआ तक 12 अगस्त की रात को लिक्विड आक्सीजन की डिलीवरी हुई.
जनवरी माह में मनीष भंडारी ने गोरखपुर में विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण की अदालत में जमानत अर्जी दाखिल की. भंडारी के अधिवक्ता पद्माकर दत्त तिवारी ने अदालत में कहा कि भुगतान नहीं होने बावजूद लिक्विड आक्सीजन की सप्लाई रोकी नहीं गई थी. लिक्विड आक्सीजन की सप्लाई के सम्बन्ध में जो एग्रीमेंट हुआ था उसमें तीन पक्षकार क्रमशः आईनाक्स एयर प्रोडक्ट लिमिटेड, पुष्पा सेल्स तथा बीआरडी मेडिकल कालेज हैं. पुष्पा सेल्स का कार्य बीआरडी मेडिकल कालेज से आक्सीजन की मांग का आदेश प्राप्त करना और उसे आईनाक्स को अग्रसारित करना था. लिक्विड आक्सीजन का भुगतान बीआरडी मेडिकल कालेज से प्राप्त कर उसे आईनाक्स को देना था. अनुबंध पत्र में यह कहीं नहीं लिखा गया है कि भुगतान न होने के बावजूद आक्सीजन की सप्लाई की जाती रहेगी. चूंकि आक्सीजन जीवन रक्षक एवं प्राणदायिनी है इसलिए पुष्पा सेल्स के द्वारा काफी बकाया होने के बाद भी निर्बाध रूप से लिक्विड आक्सीजन की सप्लाई की जाती रही जो आज भी जारी है. अनुबंध पत्र में स्पष्ट है कि 15 दिन में भुगतान कर दिया जाएगा लेकिन भुगतान सही समय पर नहीं किया जाता था। बार-बार रिमाइंडर भेजना पड़ता था। एफआईआर में 3 अगस्त को मेडिकल कालेज द्वारा आक्सीजन की सप्लाई हेतु आदेश करने की बात कही गई है जो गलत है. मेडिकल कालेज द्वारा दो अगस्त को आक्सीजन सप्लाई की मांग की गई थी जिसे उसी दिन भेज दिया गया था और चार अगस्त को सप्लाई मेडिकल कालेज द्वारा प्राप्त कर ली गई थी. इसके बाद नौ अगस्त तक आक्सीजन सप्लाई की कोई मांग नहीं की गई।
पुष्पा सेल्स की ओर से 30 जुलाई को दी गई नोटिस में कहा गया था कि 23 नवम्बर 2016 से 13 जुलाई 2017 तक 21 बिल के 63,65,702 रूपए बकाया था। भुगतान के सम्बन्ध में 26 फरवरी, 28 फरवरी, चार अप्रैल, छह अप्रैल, 12 अप्रैल, 17 अप्रैल, दो मई, तीन मई, 16 मई, 29 मई, छह जून, 13 जून, 28 जून और 18 जुलाई को पत्र भेजे गए लेकिन भुगतान नहीं हुआ। नोटिस की कापी प्रिसिंपल सेक्रेटरी मेडिकल एजुकेशन, डायरेक्टर जनरल मेडिकल एजुकेशन और डीएम गोरखपुर को भी आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजी गई थी.
बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के प्रवक्ता व एनएचएम के नोडल अधिकारी रहे डा. कफील अहमद की जमानत 17 जनवरी 2018 को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण की अदालत ने खारिज कर दी. इसके बाद जेल में बंद बीआरडी मेडिकल कालेज के फार्मासिस्ट गजानन्द जायसवाल की जमानत भी खारिज हो गई. इसके पहले बीआरडी मेडिकल कालेज के पूर्व प्राचार्य डा राजीव मिश्रा, उनकी पत्नी डा. पूर्णिमा शुक्ला, बीआरडी मेडिकल कालेज को आक्सीजन की आपूर्ति करने वाली कम्पनी पुष्पा सेल्स के मनीष भंडारी, बीआरडी मेडिकल कालेज के एनेस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष डा. सतीश कुमार व सहायक लेखाकार सुधीर पांडेय की भी जमानत खारिज हो चुकी है.
इसके बाद आरोपी जमानत के लिए हाईकोर्ट गए हैं. मनीष भंडारी की जमानत अर्जी 13 फरवरी 2018 को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी।
अन्य आरोपियों की जमानत अर्जी पर सुनवाई लम्बित है.
हाईकोर्ट ने मनीष भंडारी की जमानत को खारिज करते हुए कहा था कि अभी इस केस की विवेचना जारी है और जांच बेहद महत्वपूर्ण स्थिति में है. बीआरडी मेडिकल कालेज में मेडिकल आक्सीजन की आपूर्ति बाधित हुई जिससे मरीजों के जीवन पर खतरा उत्पन्न हुआ. जन स्वास्थ्य से कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए. भंडारी की जमानत पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड पर मेडिकल आक्सीजन के उत्पादन, विक्रय या वितरण का लाइसेंस न होने और उसे टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने और टेंडर एवार्ड करने में अनियमितता किए जाने, मेडिकल आक्सीजन की आपूर्ति का भुगतान प्राप्त करने के लिए कमीशन देने के आरोप के साक्ष्य मौजूद होने की बात कही गई थी.
बीआरडी मेडिकल कालेज में लिक्विड मेडिकल आक्सीजन की सप्लाई के लिए मेडिकल कालेज, पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड और आईएनओक्स इंडिया लिमिटेड भिवानी राजस्थान के बीच 9 जनवरी 2014 को एग्रीमेंट हुआ था. आईएनओएक्स लिक्विड आक्सीजन प्रोड्यूसर है जिससे आक्सीजन लेकर पुष्पा सेल्स मेडिकल कालेज को आपूर्ति करता था. वह मेडिकल कालेज से भुगतान प्राप्त कर आईएनओक्स को भुगतान देता था. एग्रीमेंट में उसकी भूमिका ‘ डीलर ‘के रूप में व्याख्यायित की गई है.