गोरखपुर। मदरसा जियाउल उलूम पुराना गोरखपुर गोरखनाथ के राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक हाफिज मो. सज्जाद अली बरकाती मंगलवार को सेवानिवृत्त हो गए। इस मौके पर मदरसे में विदाई समारोह रखा गया जिसके मुख्य अतिथि बस्ती के डिप्टी कमिश्नर ऑफ फूड सैयद सेराज अहमद अब्बासी रहे। अध्यक्षता मदरसे के प्रिसिंपल मौलाना नूरुज्जमा मिस्बाही ने व संचालन मौलाना जमील अख्तर मिस्बाही ने किया।
समारोह का आगाज तिलावत-ए-कुरआन पाक से कारी मो. शाह आलम ने किया। नात व खिताबत के बाद हाफिज मो. सज्जाद की मदरसे में दी गई 46 साल की खिदमात पर रौशनी डाली गयी। उनके कारानामा-ए-अज़ीमा को सराहा गया और उन्हें तोहफों से नवाजा गया। हाफिज सज्जाद ने सभी शिक्षकों, मेहमानों व छात्रों का शुक्रिया अदा किया। इस दौरान पूर्व रजिस्ट्रार सैयद शुऐब अहमद अब्बासी, हाफिज अबुज़र नियाजी, मौलाना ताहिर, मौलाना नूरुलहोदा, हाफिज गुलाम मुस्तफा, हाफिज शम्सुद्दीन, हाफिज नजरुल हसन बरकाती आदि मौजूद रहे।
मदरसा जियाउल उलूम के दो शिक्षक राष्ट्रपति पुरस्कार से हो चुके है सम्मानित
ज़िले में सैकड़ों छोटे-बड़े मदरसे इल्म की रोशनी फैला रहे है। इन मदरसों में तैनात शिक्षक बच्चों को दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम भी दे रहे है। मदरसे से तालीम हासिल करने के बाद कई बच्चे विभिन्न क्षेत्रों में ऊंचा मुकाम हासिल कर प्रदेश का नाम रौशन कर रहे है। वहीं मदरसे में पढ़ाने वाले शिक्षक भी राष्ट्रपति पुरस्कार हासिल कर मदरसे को बुलंदियों पर पहुंचा चुके है।
पुराना गोरखपुर के गोरखनाथ इलाके में स्थित मदरसा जियाउल उलूम में तैनात दो शिक्षक राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कर चुके है। इस मदरसे से सेवानिवृत्त शिक्षक मौलाना हबीबुर्रहमान को वर्ष 1983 में बेहतर शिक्षण कार्य के आधार पर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वहीं आज सेवानिवृत्त शिक्षक हुए मौलाना मो. सज़्ज़ाद अली बरकाती को वर्ष 1993 में भूतपूर्व राष्ट्रपति डां. शंकर दयाल शर्मा ने राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया था।
यह मदरसा 1955 में खपरैल के मकान में आबाद हुआ। वर्तमान में मदरसा एडेड होने के साथ ही तीन मंजिला इमारत में तब्दील हो चुका है। मदरसे के प्रधानाचार्य मौलाना नूरूज़्ज़मा मिस्बाही ने बताया कि इस मदरसे में कुल 637 बच्चों में 137 मदरसे के हॉस्टल में रह कर शिक्षा हासिल कर रहे है। जिनको 22 शिक्षक मजहबी व दुनियावी शिक्षा दे रहे है। उन्होंने बताया कि इस मदरसे में बच्चों को मजहबी तालीम व हिन्दी, अंग्रेजी के साथ ही विज्ञान व कम्प्यूटर की शिक्षा दी जाती है।