अस्थौला के दलितों पर पुलिस फायरिंग, लाठीचार्ज, गिरफ्तारी पर भाकपा माले जाँच दल की रिपोर्ट
गोरखपुर। भाकपा माले ने गोरखपुर के गगहा थाना क्षेत्र के अस्थौला के दलितों पर पुलिस फायरिंग की घटना को सामंती और पुलिस गठजोड़ का नतीजा बताया है। पार्टी ने पुलिस फायरिंग की उच्च स्तरीय जांच कराने, गगहा के थानेदार को बर्खास्त करने, गोली चलाने वाले पुलिसकर्मियों व वीरेंद्र चंद पर हत्या की कोशिश करने का मुकदमा दर्ज करने, घायलों का समुचित इलाज और पांच पाच लाख मुआवजा देने की मांग की है।
भाकपा माले की एक जांच टीम ने गगहा और अस्थैला का दौरा करने के बाद जांच रिपोर्ट जारी की है। इस टीम में भाकपा माले की राज्य कमेटी सदस्य व इंकलाबी नौजवान सभा के प्रदेश सचिव राकेश सिंह, बासगाव प्रभारी डॉ प्रभुनाथ सिंह, इंकलाबी नौजवान सभा के ब्लॉक अध्यक्ष किरण कुमार थे।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि बेलावीरभान के अस्थौला गांव में खलिहान की जमीन पर पंचायत भवन बना है जिसका उपयोग दलित समाज शादी-विवाह व अन्य अवसरों पर सामूहिक रुप से करते थे। इस गांव के जमीदार वीरेंद्र चंद दलितों पर दबंगई दिखाते हैं। ग्राम पंचायत चुनाव पर प्रधान सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने पर उन्होंने अपने एक एक खास व्यक्ति को चुनाव लड़वाया और जितवाया। इसके बाद से वह गरीबों और दलितों पर उनका दमन बढ़ गया।
औस्थौला गांव के निवासी लालचंद उनके हर काम में साथ देता है। 29 अप्रैल को गांव के ही एक दलित व्यक्ति के यहां बारात आयी थी। रात में आंधी-पानी आने पर बारात को लोग पंचायत भवन में आश्रय लेने गए लेकिन लालचंद ने बारातियों को वहां ठहरने नहीं दिया और पंचायत भवन में ताला लगा दिया।
वीरेन्द्र चंद के कहने पर लालचन्द्र खलिहान की शेष भूमि पर कब्जा करने की भी कोशिश करने लगा। 12 मई को उसने खाली जगह पर अपना सरकारी आवास बनाने लगा जिसका गांव वालों ने विरोध किया। तब थाना से दो पुलिस कर्मी आए और सुलह-समझौता कराने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी।
दो दिन बाद 14 मई को गांव के कुछ नौजवानों ने निर्माणाधीन दीवाल को गिरा दिया। तब एक बार फिर पुलिस आई और पुलिस ने दोनों पक्षों को थाने पर बुलाया।
गांव के दलित जब थाने पहुंचे तो लालचंद के पक्ष से लालचंद, उनके दोनों भाई, उनके चाचा के दो लड़के और साथ में वीरेंद्र चंद वहां से पहले से मौजूद थे। दलितों की ओर से मेघा प्रसाद, जीतू प्रसाद समेत गांव के 20-25 महिला-पुरूष थाने पर पहुंचे थे। इनके थाने पर पहुंचते ही थानेदार सुनील कुमार सिंह समेत हलके के सिपाही गिरीश व अन्य मेघा प्रसाद को गाली देते हुए मारने लगे।
पुलिस ने मेघा प्रसाद को यह कहते हुए कि तुम बहुत राजनीति कर रहे हो, हवालात में बंद कर दिया। जीतू प्रसाद ने इसका विरोध किया तो उनको भी मारा पीटा गया और हवालात में बन्द कर दिया गया।
इस पर वहां मौजूद महिलाओं ने पुलिस कार्रवाई का प्रतिरोध करते हुए कहा कि हम लोगों को भी जेल में डाल दीजिए। हम यहां से नही जाएंगे। यहां सरासर अन्याय हो रहा है। इस पर थानेदार सुनील कुमार सिंह ने महिलाओं को गाली देते हुए लाठी भांजना शुरू कर दिया जिससे उजाला देवी (40) समेत 3 महिलाओं को हाथ-पैर में गंभीर चोटें आईं। लाठीचार्ज से भगदड़ मच गई।
गांव से आए ग्रामीणों ने पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध करते हुए रास्ता जाम किया। इसी बीच अचानक पुलिस की ओर से गोली चलने लगी। फायरिंग में जीतू प्रसाद (60 वर्ष) , रणधीर कुमार (16 वर्ष ), दीपक कुमार (12 वर्ष ) को गोली लगी।
फायरिंग करने के बाद बड़ी संख्या में पुलिस बल दलितों का सबक सिखाने गांव पहुंच गया। पुलिस ने बूढ़, बच्चे यहां तक कि गर्भवती महिलाओं को भी बुरी तरीके से पीटा। पुलिस 27 लोगों को पीटतेे हुए थाने ले आई। इसमें कई लोग ऐसे थे जो पूरे वाकए से परिचित भी नहीं थे। पुलिस का ताडव घंटो तक चला।
माले की जांच टीम से महिलाओं ने रो-रो कर बताया कि पुलिस ने बाथरूम के अंदर घुस कर पिटाई की। जिनका दरवाजा बंद था, उसका दरवाजा तोड़ दिया। पुलिस ने 31 नामजद और 250 अज्ञात लोगों के खिलाफ गंभीर आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस के भय से गांव के पुरूष भाग गए हैं। अभी तक 29 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है जिसमें कई महिलाएं हैं।