गोरखपुर, 14 जून। काशिफ जमील पर जानलेवा हमले के मामले में आज उनके बड़े भाई अदील अहमद ने डीजीपी ओपी सिंह से मुलाकात कर घटना का शीघ्र पर्दाफाश करने और काशिफ के इलाज में अवरोध उत्पन्न करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। इस सम्बन्ध में अदील अहमद खान ने दो अलग-अलग प्रार्थना पत्र डीजीपी को दिया।
अदील अहमद ने डीजीपी को दिए गए प्रार्थना पत्र में कहा है कि उनके भाई काशिफ जमील को 10 जून को रात 10.15 बजे कुछ लोगों ने गोली मार दी। एक गोली उनके गर्दन में धंस गई जबकि दो गोली दो गोली शरीर के आर-पार हो गई। घटना की सूचना मिलने पर हम लोग स्टार हास्पिटल पहुंचे जहां मेरे भाई का प्राथमिक उपचार होने वाला था लेकिन वहां पहुंचे सीओ गोरखनाथ प्रवीण सिंह ने कहा कि पहले जिला अस्पताल में मेडिको लीगल होगा फिर उपचार होगा। उनके कहे अनुसार हम लोग अपने भाई को जिला अस्पताल ले गए जहा मेडिकोलीगल के बाद डाक्टर ने कहा कि गर्दन में फंसी गोली तुरन्त निकालना आवश्यक है और यह कोई न्यूरो सर्जन ही कर सकता है।
मेरे भाई डा. कफील अहमद के निवेदन पर न्यूरो सर्जन डा. रणविजय दुबे आपरेशन के लिए स्टार हास्पिटल पहुुच गए और लेकिन एसपी सिटी विनय कुमार सिंह और सीओ गोरखनाथ प्रवीण सिंह फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए और जबरदस्ती करने लगे कि बीआरडी मेडिकल कालेज में फिर से मेडिकोलीगल होगा और उसके बाद इलाज होगा। दोनों अधिकारी जबरदस्ती स्टेचर सहित मेरे भाई को बीआरडी मेडिकल कालेज ले गए।
जब मेडिकल कालेज के डाक्टरों ने कहा कि जिला अस्पताल में एक बार मेडिको लीगल हो गया है तब दुबारा नहीं होगा और यहां पर गर्दन में फंसी गोली निकालने वाला विशेषज्ञ डाक्टर नहीं है। इसलिए इसका इलाज भी नहीं हो सकता तब एसपी सिटी और सीओ गोरखनाथ ने मेरे घायल भाई को छोड़ा। इस तरह से साढे तीन घंटे से चार घंटे तक ये दोनों अधिकारी जबर्दस्ती बिना किसी कारण के अवरोध बनाए रखे और भाई का इलाज नहीं होने दिया जिसका परिणाम है कि मेरा भाई जीवन और मृत्यु से जूझ रहा है और ये दोनों पुलिस अधिकारी अभियुक्तगण से मिलकर घटना को गलत दिशा में मोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रार्थना पत्र में अदील अहमद ने दोनों पुलिस अधिकारियों के विरूद्ध जांच करा कर कार्रवाई करने की मांग की है।
दूसरे प्रार्थना पत्र में अदील अहमद ने कहा है कि पुलिस ने उनके भाई पर हमले की घटना का 48 घंटे में पर्दाफाश करने का दावा किया था कि लेकिन घटना के चार दिन बाद भी न तो घटना का खुलासा हुआ है न किसी की गिरफ्तारी हो पायी है।