गोरखपुर. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में मस्तिष्क ज्वर से बच्चों की मौत के बारे में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य से 8 सप्ताह के अंदर रिपोर्ट मांगी है. यह रिपोर्ट आयोग के निर्देश पर दो वर्ष पहले गोरखपुर का दौरा कर एम्स के डाक्टरों द्वारा दी गई रिपोर्ट के सम्बन्ध में की गई कार्रवाई व इंसेफेलाइटिस की अब तक की स्थिति के बारे में मांगी गई है.
मानवाधिकार आयोग, सामाजिक कार्यकर्ता एवं मानव सेवा संस्थान सेवा के निदेशक राजेश मणि के शिकायत पर इंसेफेलाइटिस के बारे में 5 वर्ष से सुनवाई कर रहा है.श्री मणि ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष वर्ष 2013 में लिखित शिकायत दर्ज कराया गया, जिसका केस नम्बर 17123/24/0/2013 है।
आयोग ने इस सन्दर्भ में फ़रवरी 2016 में एम्स के डॉक्टरों की एक टीम गोरखपुर भेजी थी. इस टीम ने 22.2.2016 से 26.2.2016 तक जेई/एईएस से प्रभावित गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज जिले के कई गांवों का भ्रमण कर एक विस्तृत रिपोर्ट आयोग को दी थी. आयोग ने 09-10-2017 को इस मामले पर विचार करते हुए आयोग के जांच दल द्वारा एम्स के डॉक्टरों के साथ एक और स्पॉट पूछताछ आयोजित करने और छह सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया गया था.
आयोग को ऐसी आवश्यकता महसूस हुई कि पुनः एक बार एम्स के डाक्टरों के द्वारा स्पाट पर जाकर पुनः वास्तविक स्थितियों के जाॅच की आवश्यकता है जिसके सापेक्ष में एम्स के निदेशक ने 4 डाक्टरों की टीम गठित की लेकिन टीम जाॅच हेतु उपस्थित नही हो सकी.
इस बीच संस्थान के निदेशक राजेश मणि ने आयोग को इस बीमारी से बच्चों की मौत के बारे में फिर अवगत कराया गया. इस पर 2 अगस्त 2018 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रमुख सचिव, चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ को 22.2.2016 से 26.02.2016 एम्स, नई दिल्ली के दो विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ पूर्व में हुए स्पॉट पूछताछ की रिपोर्ट में किए गए सिफारिशों, सुझावों पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई के संदर्भ में विस्तृत रिपोर्ट आठ सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.