देवरिया में बालिका गृह पर पुलिस का छापा, 24 लड़कियां मुक्त कराई गयीं
अनियमितता के आरोप में जून 2017 में संस्था की मान्यता समाप्त हो गयी थी
संस्था के रजिस्टर में दर्ज है 42 लड़कियों के नाम, 18 मौके पर नहीं मिली
बालिका गृह से भागकर निकली 10 वर्ष की बालिका की शिकायत पर कार्रवाई
गोरखपुर, 6 अगस्त; ‘शाम को सफेद व काली कार में बालिका गृह से लड़कियां ले जायी जाती थी, वे रोते हुये लौटती थी और उनकी आंखें सूजी हुई होती थी.‘
यह बयान 10 वर्ष की एक मासूम का है. जो देवरिया के एक बालिका गृह के नरक से किसी तरह भागकर 5 अगस्त को महिला थाने पहुंच गयी. इस बालिका गृह की भी कहानी कमोवेश बिहार के मुजफ्फरपुर की तरह ही हैं जिसे लेकर सड़क से लेकर संसद तक गरम है. मासूम के बयानों का एतबार करें तो इस बालिका गृह में भी हर रात बालिकाओं के लिये भारी होती थी। देह के भूखे भेड़िये बालिका गृह में रहने वाली बेघरबार, सामाजिक विसंगतियों की और अनाथ बच्चियों की देंह नोचते थे.
एक एनजीओ मां विंध्यवासिनी देवी समाज सेवा व प्रशिक्षण संस्थान द्वारा संचालित इस बालिका गृह पर 10 वर्षीय मासूम की शिकायत पर देवरिया पुलिस ने स्टेशन रोड पर संचालित बालिका गृह पर देर रात छापेमारी की. मौके पर 24 लड़कियां और महिलाएं मिली जिन्हें मुक्त करा लिया गया. खास बात यह है कि बालिका गृह में अनियमितताओं की जांच सीबीआई ने पूर्व में की थी. जिसके आधार पर जून 2017 में ही इसकी मान्यता रद हो गयी थी. देवरिया के जिला प्रोबेशन अधिकारी ने संस्था के अवैध संचालन के खिलाफ एक सप्ताह पूर्व संस्था की संचालिका और अधीक्षिका के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.
पुलिसिया कार्रवाई के बाद देवरिया के एसपी रोहन पी कनय ने 5 अगस्त को रात पौने ग्यारह बजे पत्रकार वार्ता की और मीडिया को इस कार्रवाई की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बालिका गृह से भाग कर आई एक बच्ची ने झाड़ू पोछा कराने का आरोप लगाया था. उसी आधार पर पुलिस की चार टीमों ने महिला कांस्टेबल के साथ छापेमारी की. संस्था से जुड़े पांच लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. प्रथम दृष्टया शारीरिक शोषण की बात भी सामने आ रही है. पूरे मामले की छानबीन की जा रही है. एसपी ने कहा कि संस्था की रिकार्ड के अनुसार यहां 42 लड़कियां और महिलाएं थी. जिसमें से 24 मौके पर मिली हैं. अन्य कहां हैं पता लगाया जा रहा है. इसमें से 21 संस्था के स्टेशन रोड से और तीन एक अन्य केन्द्र रजला से बरामद हुई हैं.
दैनिक हिंदुस्तान में छपी खबर में बताया गया है कि शहर के स्टेशन रोड पर मां विंध्यवासिनी देवी समाज सेवा एवं प्रशिक्षण संस्थान के तत्वावधान में बाल गृह, बालिका गृह एंव शिशु गृह का संचालन होता है. करीब तीन वर्षों से इसे शासन से अनुदान नहीं मिल रहा था. इसका मामला कोर्ट में भी है. जिला प्रोबेशन अधिकारी अभिषेक पांडेय ने संस्था को अवैध बताते हुए नोटिस जारी की थी. करीब एक सप्ताह पूर्व उन्होंने पुलिस की मदद से यहां पर रखी गई लड़कियों को मुक्त कराने का प्रयास किया तो संस्था के लोग विरोध पर उतारू हो गए. जिसके बाद टीम को वापस लौटना पड़ा था.
इसके बाद जिला प्रोबेशन अधिकारी ने संस्था की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी और अधीक्षिका कंचनलता के खिलाफ कोतवाली में केस दर्ज कराया था. रविवार की रात करीब साढ़े नौ बजे पुलिस ने संस्था पर छापेमारी की. कार्रवाई शुरू होते ही हड़कंप मच गया. इस दौरान 24 लड़कियों और महिलाओं को मुक्त कराते हुए अपनी कस्टडी में ले लिया.
दैनिक अमर उजाला में प्रकाशित खबर में पुलिस को शिकायत करने वाली 10 वर्षीय बालिका के हवाले से बताया गया है कि बालिका गृह में शाम को चार बजे के बाद रोजाना कई लोग काले और सफेद व काली कारों में कुछ लोग आते थे और कुछ लड़कियों को लेकर चले जाते थे. लड़कियां वापस देर रात वापस लौटती थी. उसने यह भी बताया कि लड़कियों को ले जाते वक्त मैडम (संचालिका) भी साथ होती थीं. बालिका गृह में गलत काम होता है. लड़की के मुताबिक उससे भी झाडू़ पोछा तथा घर के अन्य काम कराये जाते थे.
प्रेस वार्ता में एसपी ने बताया कि बालिका गृह के रजिस्टर में अलग अलग आयु वर्ग की 42 बालिकाओं और महिलाओं के नाम दर्ज हैं. मिलान करने पर 18 लड़कियां मौके पर नहीं मिली. इस संबंध में संस्था की संचालिका श्रीमती गिरिजा त्रिपाठी और उनके पति मोहन त्रिपाठी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाये. दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
तीन साल में बालिका गृह में आई 930 बालिकायें !
दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित बालिका गृह की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी के बयान पर भरोसा करे तो पुलिस व प्रशासन की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न खड़े हो जाते हैं. पुलिस अभिरक्षा में मौजूद गिरिजा त्रिपाठी ने मीडिया के सवाल करने पर प्रति सवाल दाग दिया. उन्होंने कहा कि यदि उनकी संस्था अवैध थी तो पुलिस ने पिछले तीन साल में बालिका गृह में 930 बालिकाओं को क्यों भेजा. उन्होंने कहा कि तीन साल से अपने संसाधन से बालिका गृह चला रही हूं. जब अपने खर्च का बिल प्रशासन को भेजा तो बिल का भुगतान न करना पड़े. इसलिये छापे की कार्रवाई की गयी. इस सवाल का जवाब पुलिस प्रशासन के पास भी नहीं है. अधिकारी इस सवाल से कन्नी काटते नजर आये और कहा कि जांच कराई जा रही है यह कैसे हुआ.