गोरखपुर: दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय में हो रहे छात्रसंघ चुनाव में वोट देने के अधिकार से वंचित किये गये छात्रों ने आज लगातार दूसरे दिन भी विवि परिसर और प्रशासनिक भवन पर धरना प्रदर्शन किया. ये छात्र सत्र विलंबित होने और लिंगदोह की संस्तुतियों का हवाला देकर वंचित किये गये हैं. विवि प्रशासन के इस फरमान से विधि विभाग के छठे सेमेंस्टर व पत्रकारिता पाठ्यक्रम के छात्र प्रभावित हुये हैं.
एक दिन पहले विश्वविद्यालय प्रशासन के लिये इस निर्णय से लगभग 300 छात्र वोटर होने से वंचित हो गये हैं. इस अधिकार के खत्म होने से चुनाव लड़ने के इच्छुक कई छात्रों की मंशा पर भी पानी फिर गया है. इन छात्रों का कहना है विवि प्रशासन का यह निर्णय लोकतंत्र विरोधी और मनमाना है. लिंगदोह का हवाला तो महज बहाना है.
विधि और पत्रकारिता विभाग के 300 छात्र वोट नहीं डाल पायेंगे
आज सुबह 10 बजे विधि विभाग के छात्र-छात्राओं ने बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के मुख्य गेट के अंदर दूसरे दिन धरना शुरू किया. काफी देर तक विवि के किसी जिम्मेदार अधिकारी के आने का इंतजार करते रहे लेकिन जब मौके पर कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं पहुंचा तो कुलपति कार्यालय पर पहुंच गये और वहां नारेबाजी के साथ धरना शुरू कर दिया.
कुलपति की अनुपस्थिति में इन छात्रों की मांगों से संबंधित ज्ञापन प्रति कुलपति प्रोफेसर एसके दीक्षित एवं मुख्य नियंता प्रो.गोपाल प्रसाद ने स्वीकार किया . छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की गलती के कारण विधि विभाग के विद्यार्थियों का सत्र 6 माह विलंब से चल रहा जिसके कारण वे न्यायिक सेवा की भर्तियों(पीसीएस जे) के लिए आवेदन नहीं कर पाए. विवि प्रशासन अपनी गलतियों का ठीकरा हम छात्रों के सिर फोड़ रहा है और वोट देने के संवैधानिक अधिकार से वंचित कर रहा है.
इस संबंध में विधि छात्र प्रणव दिवेदी ने उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका भी दाखिल की है. छात्रों का यह भी कहना है कि लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार कुलपति को विश्वविद्यालय के संबंध में विशेषाधिकार प्राप्त है वह चाहे तो हमें चुनाव लड़ने व वोट देने का अधिकार प्रदान कर सकते हैं.