गोरखपुर: गोरखपुर शहर की सफाई व्यवस्था एक बार फिर बेपटरी हो गयी है. अब नगर निगम और सफाई का ठेका लेने वाली दो फर्मों के बीच सफाई श्रमिकों की मजदूरी के भुगतान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. सफाई फर्मों ने नगर निगम को मजदूरी भुगतान का जो बिल भेजा है नगर निगम उसे गलत बता रहा है. नगर निगम का कहना है कि अनुबंध में जितने श्रमिकों के नियतन का करार था फर्मों ने उससे ज्यादा श्रमिकों का बिल भेज दिया है. इसके अलावा पीएफ खाते आदि की कार्यवाही के लिये जरूरी ब्यौरा भी नहीं दिया है.
फर्मों का आरोप है कि उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है. कुछ लोग चाहते हैं कि हम काम छोड़कर चले जायं. उधर नगर निगम और सफाई फर्मों की खीचतान से पिछले दो माह से काम कर रहे श्रमिकों का भुगतान के अभाव में धैर्य टूट गया है. अधिकांश वार्डों में श्रमिक हड़ताल पर चले गये हैं। जिससे सफाई व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है.
नगर निगम प्रशासन और सफाई का ठेका लेने वाली फर्मों के बीच भुगतान को लेकर विवाद
नगर निगम ने कहा, जरूरत से ज्यादा कर्मियों का वेतन बिल भेज रही फर्में, अभी सभी कर्मियों का रिकार्ड भी नहीं दिया
फर्मों का आरोप, बेवजह परेशान कर रहा निगम प्रशासन, कुछ लोग चाहते है हम काम छोड़कर चले जायं
एक अगस्त से नगर निगम के सभी सत्तर वार्डों में सफाई के लिये मुंबई और मुरादाबाद की दो फर्मो से नगर निगम ने करार किया. समझौते के मुताबिक इन फर्मों को काम में लगने वाले श्रमिकों का ब्यौरा नगर निगम को देना था. श्रमिकों के खाते भी खुलने थे इन खातों में नगर निगम को फर्मों द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले वेतन बिल के आधार पर मजदूरी भेज देना था. फर्मों के प्रतिनिधियों का कहना है कि सात सितंबर तक श्रमिकों का पूरा ब्यौरा नगर निगम को दे दिया गया. इसके बावजूद बिल गलत होने का आरोप लगाकर मजदूरी का भुगतान रोक दिया गया है.
सफाई फर्म हिंदुस्तान सिक्योरिटी कंपनी के एसके सिंह का कहना है कि सफाई सुपरवाइजरों व निरीक्षकों को ही सफाई श्रमिकों की हाजिरी बायोमीट्रिक मशीन पर करनी है उन्हें नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने रोक दिया है. इसके चलते कामकाज में दिक्कत आ रही है. भुगतान न होने से श्रमिक भी परेशान हैं. रक्षाबंधन में फर्म की ओर से उन्हें एडवांस दिया गया. यह बार बार संभव नहीं है. नगर निगम को सीधे श्रमिकों के खाते में भुगतान करना है. हम तो बेवजह पिस रहे हैं.
मुख्य नगर आयुक्त प्रेम प्रकाश सिंह ने कहा है कि सफाई फर्मो को गलत बिल प्रस्तुत करने पर चेतावनी दी गयी है. यदि दुबारा ऐसा हुआ तो उनका करार रद कर कार्रवाई की जायेगी.सफाई श्रमिकों का कहना है कि भुगतान न होने से उनके सामने भुखमरी की हालत पैदा हो गयी है। काफी श्रमिक आसपास के जिलों के हैं जो किराये पर कमरा लेकर रह रहे हैं। उनके मकान मालिकों ने किराया न मिलने के चलते कमरा खाली करने को कह दिया है। वे कहां जायें। अधिकारियों से बात करते हैं तो वे कहते हैं हम निगम के कर्मचारी नहीं है अपनी संबंधित फर्मों से बात करें। फर्म वाले कहते हैं नगर निगम सीधे खाते में भुगतान भेजेगा। उनसे कोई मतलब नहीं।