गोरखपुर। छात्र संघ चुनाव कराने की मांग को लेकर छात्रों ने 11 अक्टूबर को कुलपति प्रो वीके सिंह को क्रीड़ा परिषद भवन में एक घंटे तक बंद रखा। पुलिस ने आकर किसी तरह कुलपति को छात्रों की घेरेबंदी से मुक्त कराया।
छात्रों के दो गुटों में मारपीट के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने 13 सितम्बर को होने वाला छात्र संघ चुनाव स्थगित कर दिया था। यह प्रकरण इस समय इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहा है। हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय से चुनाव कराने के बारे में पक्ष प्रस्तुत करने को कहा था। विश्वविद्यालय ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा दिया है।
उधर चुनाव कराने के लिए छात्र विशविद्यालय प्रशासन पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं। दस अक्टूबर को छात्र नेताओं ने प्रति कुलपति प्रो एसके दीक्षित का तीन घंटे तक घेराव किया था। यह घेराव इस आश्वासन पर खत्म किया गया कि गुरूवार को कुलपति से उनकी बातचीत करायी जाएगी लेकिन बातचीत का कोई प्रबंध नहीं हुआ। इससे छात्र नाराज हो गए। गुरूवार को कुलपति प्रो वीके सिंह क्रीड़ा समारोह का उद्घाटन करने के बाद क्रीड़ा परिषद भवन पहुंचे थे कि छात्रों का हुजूम वहां पहुंच गया और भवन के मेन गेट को बंद कर दिया।
छात्र चुनाव कराने की मांग को लेकर नारेबाजी कर रहे थे। कुलपति करीब एक घंटे तक भवन में बंद रहे। प्राक्टर ने छात्रों से बातचीत कर उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने गेट का ताला खुलवाकर कुलपति को बाहर निकाला और उन्हें उनके कार्यालय तक ले गई। छात्र भी नारेबाजी करते हुए प्रशासनिक भवन तक गए।
इस घटना से विश्वविद्यालय प्रशासन बेहद नाराज है। विशविद्यालय की ओर से देर शाम एक विज्ञप्ति जारी कर कहा गया कि कैम्पस में अराजकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘ दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव का प्रकरण उच्च न्यायालय इलाहाबाद में विचाराधीन है। विश्वविद्यालय ने चुनावों के स्थगित किये जाने की परिस्थितियों और वर्तमान में इसे न कराने के कारणों के बारे में माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत कर दिया है। विश्वविद्यालय माननीय न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन करने की वचनबद्धता व्यक्त कर चुका है। ऐसे में कतिपय छात्र नेताओं एवं बाहरी व्यक्तियों द्वारा छात्र संघ चुनाव पर निर्णय लेने के लिए प्रदर्शन करना और अशांति फैलाना सर्वथा अनुचित और माननीय न्यायालय की अवहेलना करना भी है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि विवि ने न्यायालय में 13 सितंबर को प्रस्तावित चुनाव स्थगित किये जाने के पीछे उत्तरदायी हिंसा , अराजकता और लिंगदोह समिति की सिफारिशों के उल्लंघन का विवरण प्रस्तुत किया था। अगली सुनवाई में विवि इसके प्रमाण के रूप में फोटो और सीडी भी प्रस्तुत करेगा। किंतु इस प्रकरण में न्यायालय का जो भी निर्णय होगा विवि उसका अक्षरशः पालन करेगा।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ छात्रनेता तथा बाहरी अराजक तत्व चुनाव को लेकर रोज उपद्रव और अशांति का प्रयास कर रहे हैं तथा विवि की कानून व्यवस्था और परिसर की अकादमिक गतिविधियों को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसी दशा में विवि ऐसे तत्वों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करेगा। बाहरी तत्वों को भी चेतावनी दी जाती है कि परिसर में उनकी मौजूदगी की दशा में उनके विरुद्ध भी कठोरतम कदम उठाया जाएगा।’
उघर छात्र नेताओं का कहना है कि छात्र संघ चुनाव की सभी प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। केवल मतदान होना बाकी था लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने मारपीट की घटना को बहाना बनाकर चुनाव टाल दिया। अब विश्वविद्यालय प्रशासन चुनाव न कराने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए लिंगदोह कमेटी के नियमों का आड़ ले रहा है।