गोरखपुर. मानव सेवा संस्थान ‘‘सेवा’’ के निदेशक राजेश मणि द्वारा मस्तिष्क ज्वर की बीमारी से मासूमों की मौत के मामले में की गई शिकायत ( केस नम्बर-17123/24/0/2013 ) पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने उत्तर प्रदेश के प्रधान सचिव चिकित्सा स्वास्थ एवं परिवार कल्याण विभाग (प्रिंसिपल सेक्रेटरी हेल्थ ) को समन जारी कर 31 दिसम्बर को 11 बजे तक रिपोर्ट के साथ आयोग के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया है. आयोग ने कहा है कि प्रधान सचिव स्वास्थ एवं परिवार कल्याण 2 अगस्त 2018 तक एम्स की टीम द्वारा दिये गये संस्तुति एवं सुझाव पर प्रदेश सरकार द्वारा की गई कार्रवाई की भी रिपोर्ट देने को कहा है.
राजेश मणि ने इंसेफेलाइटिस से बच्चों की मौत के मामे में वर्ष 2013 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी. आयोग ने उनकी शिकायत को केस नम्बर-17123/24/0/2013 में पंजीकृत किया और सुनवाई शुरू की. आयोग ने कई बार पूर्वांचल के लिए अभिशाप बन चुकी इस बीमारी के संदर्भ में स्वास्थ विभाग एवं प्रदेश सरकार को आवश्यक उपाय करने का निर्देश जारी किया. वर्ष 2016 में आयोग के निर्देश पर एम्स की एक टीम ने पूर्वाचंल का दौरा किया. इस टीम ने इंसेफेलाइटिस से बच्चों की मौत रोकने के सम्बन्ध में कई संस्तुतियां दीं.शिकायतकर्ता राजेश मणि ने आयोग को अवगत कराया कि आयोग की सुझावों के मुताबिक प्रदेश सरकार कार्य नहीं कर रही है.
इस पर आयोग ने प्रधान सचिव चिकित्सा स्वास्थ एवं परिवार कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश लखनऊ को 2 अगस्त 2018 को यह निर्देश दिया गया कि 22 फरवरी 2016 से 26 फरवरी 2016 के सुझााव पर सरकार के द्वारा क्या कार्य किया गया है. इसकी रिपोर्ट को 24 सितम्बर 2018 तक प्रस्तुत किया जाय. स्वास्थ्य विभाग यह रिपोर्ट आयोग को नहीं दे सका.
इसके बाद आयोग ने ताजा निर्देश देते हुए प्रधान सचिव को 31 दिसम्बर को पूर्वान्ह 11 बजे तक आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए समन जारी किया है.
मानव सेवा संस्थान सेवा के निदेशक राजेश मणि ने कहा कि 2013 के बाद आयोग ने कई निर्देश जारी किये लेकिन स्वास्थ्य विभाग उदासीन बना हुआ है. स्वास्थ्य विभाग न तो आयोग के निर्देश का पालन करता है न उसके द्वारा मांगी गई रिपोर्ट ही देता है.