वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत संरक्षित प्रजाति है उल्लू
उल्लू की तस्करी रोकने के लिए डीएफओ ने लिखा एसपी व कमांडेंट एसएसबी को पत्र
महराजगंज। रोशनी के पर्व दीपावली के मद्देनजर उल्लू प्रजाति के पक्षियों को पकड़ने व तस्करी पर प्रभावी नियंत्रण लगाने के लिए वन विभाग सतर्क हो गया है। ऐसे में अगर कोई उल्लू प्रजाति के पक्षी के साथ पकड़ा गया तो उसकी दीवाली काली हो सकती है।
उल्लू प्रजाति के पक्षियों को पकड़ने व तस्करी पर रोक लगाने के लिए सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी मनीष सिंह ने पुलिस अधीक्षक व एसएसबी कमांडेंट को पत्र लिखा है।
डीएफओ ने अपने पत्र में लिखा है कि महराजगंज जनपद में पाए जाने वाले उल्लू की सभी प्रजातियां वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत संरक्षित प्रजातियां हैं। ऐसे में इनको पकड़ना , दिखाना, व्यापार करना, मारना आदि गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
पहले बहेलिया जनजाति के शिकारी उल्लू को पकङे थे। कुछ तस्करी भी करते थे। दीपावली पर्व पर उल्लू के दर्शन करने का विशेष महत्व है माना जाता है क्योंकि उल्लू लक्ष्मी जी की सवारी है. ऐसे में लोग उल्लू के दर्शन भी करने को आतुर रहते हैं. इसी महत्ता के चलते कुछ लोग उल्लू को घर-घर ले जाकर दिखाने का भी काम करते हैं. इसके लिए वे उल्लू प्रजाति के पक्षियों की धर पकङ भी कर सकते हैं।
इस संबंध में सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी मनीष सिंह ने कहा कि दीपावली के मद्देनजर उल्लू प्रजाति के पक्षियों को पकङ कर दिखाने, बलि देने पर अंकुश लगाने के लिए वन विभाग दृढ संकल्पित है।इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए पुलिस विभाग व सशस्त्र सीमा बल से भी सहयोग मांगा गया है। अगर कोई उल्लू प्रजाति के पक्षी के साथ पकङा गया तो कार्रवाई तय है।