गोरखपुर। हिन्दू युवा वाहिनी से अलग होकर हिन्दू युवा वाहिनी भारत बनाने वाले सुनील सिंह संतकबीरनगर जिले की संतकबीरनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। ऐसा संकेत उनके फेसबुक स्टेटस से मिलता है।
सुनील सिंह इस वक्त रासुका में जेल में हैं लेकिन उनके समर्थकों द्वारा उनका फेसबुक पेज अपडेट किया जा रहा है। उनके फेसबुक पेज पर 29 नवम्बर को उनकी एक तस्वीर लगाई गई है जिसमें उन्हें ‘ भावी सांसद लोकसभा 62 संतकबीरनगर ’ बताया गया है। इस स्टेटस में एक शेर-‘ कमजोर तब रूकते है जब वो थक जाते है, और विजेता तब थकते है जब वो जीत जाते है ’ भी लिखा गया है और फूलमाला पहने सुनील सिंह की तस्वीर लगाई गई है।
सुनील सिंह की गिनती कभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बेहद करीबी लोगों में होती थी। उन्होंने 17 वर्ष तक योगी आदित्यनाथ के संरक्षकत्व वाले हिन्दू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभाला। इस दौरान तमाम स्थानों पर साम्प्रदायिक हिंसा, तोड़फोड़, आगजनी, रास्ता जाम आदि की घटनाओं में उनके उपर 70 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए।
विधानसभा चुनाव 2017 के वक्त उनकी अपने गुरू योगी आदित्यनाथ से उस समय खटक गई जब उन्होंने स्वंय व हिन्दू युवा वाहिनी के कई नेताओं के लिए भाजपा से टिकट की मांग कर दी। योगी आदित्यनाथ हिन्दू युवा वाहिनी और भाजपा में टकराव नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने हियुवा नेताओं को चुनाव लड़ने से मना किया और भाजपा प्रत्याशियों के चुनाव जिताने के अभियान में जुटने का निर्देश दिया। सुनील सिंह सहित कई नेताओं ने उनका निर्र्देश नहीं माना और चुनाव लड़ने पर अड़ गए। तब उन्हें हिन्दू युवा वाहिनी से निकाल दिया गया।
विधानसभा चुनाव में सुनील सिंह ने शिवसेना की टिकट पर एक दर्जन से अधिक बागियों को चुनाव लड़ाया लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली। विधानसभा चुनाव में भाजपा को बम्पर सफलता मिली और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन गए। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद सुनील सिंह और अन्य बागियों ने ‘ आत्मसमर्पण ’ कर दिया और हिन्दू युवा वाहिनी में वापस आने की कोशिश की लेकिन उनकी ’ घर वापसी ’ नहीं हुई। इसके बाद हिन्दू युवा वाहिनी के कई बागी नेता निष्क्रिय हो गए जबकि सुनील सिंह अपने तई सक्रिय रहे।
उन्होंने 13 मई को लखनऊ में हिन्दू युवा वाहिनी भारत नाम का संगठन बनाया और स्वंय उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। उन्होंने इसके प्रदेश भर में इकाईयां बनानी शुरू की। इस प्रयास में उनका 31 जुलाई को हिन्दू युवा वाहिनी के एक नेता से टकराव हुआ और पुलिस उन्हें, चंदन विश्वकर्मा सहित 9 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इन लोगों के खिलाफ एक ही रात छह मुकदमे दर्ज किए गए। बाद में गोरखपुर जिला प्रशासन ने सुनील सिंह और चंदन विश्वकर्मा पर रासुका लगा दिया। सुनील सिंह इस समय लखनउ जेल में निरूद्ध हैं। उनके निरूद्ध होने के बाद समर्थक हिन्दू युवा भारत की गतिविधियां चला रहे हैं। अधिकतर गतिविधियां सोशल मीडिया पर दिखती हैं। उनके नाम से फेसबुक पेज, व्हाट्सएप ग्रुप चलाया जा रहा है।
संतकबीरनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मकसद यह हो सकता है कि इस लोकसभा सीट में वह क्षेत्र भी आता है जहां से सुनील सिंह मूल निवासी हैं। वह गोरखपुर के खजनी क्षेत्र के रहने वाले हैं। इस क्षेत्र से वह अपनी पत्नी को जिला पंचाायत सदस्य का चुनाव लड़वाना चाहते थे, लेकिन इसमें भी उनको सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने नौतनवां विधानसभा क्षेत्र को अपनी राजनीतिक जमीन बनाया लेकिन वहां से भी वह चुनाव नहीं लड़ सके। इसी को लेकर उनका अपने ही गुरू से टकराव भी हो गया। संतकबीरनगर संसदीय क्षेत्र राजपूत और अल्पसंख्यक बहुल माना जाता है लेकिन यहां से वर्षों से ब्राह्मण उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आए हैं। बसपा और भाजपा यहां से लगातार ब्राह्मण उम्मीदवार को मैदान उतारती हैं। एक बार यहां से पीस पार्टी की ओर से राजेश सिंह चुनाव लड़े थे तो उन्हें अच्छे-खासे वोट मिले थे। वर्ष 2019 के चुनाव में भी बसपा और भाजपा के उम्मीदवारों में कोई परिवर्तन की संभावना नहीं दिख रही है। ऐसे में अन्य दल के प्रत्याशी राजपूत या सैंथवार उम्मीदवार को मैदान में उतारने पर विचार कर रहे हैं। सुनील सिंह इसी संभावना को देखते हुए चुनाव लडने की योजना बना रहे हैं। देखना है कि वह अपने संगठन से चुनाव लड़ते हैं या कोई राजनीतिक दल उनके समर्थन में आता भी है।