महराजगंज. गड़ौरा स्थित जेएचबी मिल चलाने व गन्ना मूल्य भुगतान की मांग को लेकर 2 जनवरी को सड़क पर उतरे हजारों किसानों में मुख्यमंत्री व प्रधान मंत्री को लेकर भारी रोष दिखा. प्रदर्शन के दौरान किसानों ने जय जवान जय किसान के नारे साथ सरकार विरोधी नारे लगाये.
चीनी मिल को चलाने और गन्ना मूल्य भुगतान को लेकर किसान पांच दिन से मिल गेट पर धरना दे रहे थे लेकिन प्रशासन द्वारा धरना पर बैठे किसानों से कोई बातचीत नहीं की गई. इससे आक्रोशित किसानों ने हजारों की संख्या में चीनी मिल गेट से निचलौल के एसडीएम कार्यालय तक मार्च निकाला.
किसानों के मार्च की अगुवाई केन यूनियन चेयरमैन राजेश्वर तिवारी, पूर्व प्रधान राजेश सिंह, चीनी मिल मजदूर यूनियन के अध्यक्ष नवल किशोर मिश्र, कर रहे थे. सभी किसान हाथ में गन्ना लिए प्रदेश सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे और चीनी मिल को तुरंत चलाने की मांग कर रहे थे.
किसान चीनी मिल गेट से मार्च करते हुए निचलौल तहसील पहुंचे. एसडीएम के न रहने पर उन्होंने तहसील के सामने सड़क को जाम कर दिया. सड़क जाम करीब तीन घंटे तक चला. एसडीएम और सीओ से वार्ता के बाद रास्ता जाम समाप्त हुआ.
उपजिलधिकारी के मार्फत राज्यपाल को भेजे गए ज्ञापन में किसानों ने लिखा है कि जेएचवी सुगर मिल चलाने के लिए और बकाया गन्ना मूल्य भुगतान के लिए किसानों और चीनी मिल के कर्मचारियों ने 15 दिसम्बर से 27 दिसम्बर तक लगातार धरना-प्रदर्शन किया. लगातार 13 दिन तक चले आंदोलन के बाद उपजिलाधिकारी की उपस्थिति में चीनी मिल प्रबंधन चीनी मिल को चलाने का आश्वासन दिया गया जिस पर धरना समाप्त कर दिया गया.
चीनी मिल की ओर से 70 हजार क्विंटल गन्ना उठान का इंडेंट उप गन्ना आयुक्त को भेज दिय गया लेकिन अचानक उप गन्ना आयुक्त द्वारा इंडेंट रोक दिया गया और जेएचवी सुगर मिल क्षेत्र का गन्ना सिसवा, खड्डा, कप्तानगंज, हाटा, रामकोला आदि चीनी मिलों को आवंटित कर दिया गया. इन चीनी मिलों को पास अपनी पेराई क्षमता से डेढ़ गुना गन्ना पहले से ही आवंटित है. ऐसे में ये चीनी मिले जेएचवी सुगर मिल क्षेत्र का गन्ना पेर पाने में असमर्थ हैं और उन्होंने गन्ना खरीद के लिए कोई कांटा तक नहीं लगाया है. अभी तक इस क्षेत्र के किसानों का एक कुंतल गन्ना तक नहीं खरीदा गया है. किसानों का 59 लाख क्विंटल गन्ना खेतों में सूखने लगा है। इस गन्ने की आपूर्ति व पेराई जेएचवी सुगर मिल चले संभव नहीं है.
ज्ञापन में मांग की गई है कि एक सप्ताह के अंदर चीनी मिल पर रिसीवर की नियुक्ति कर चीनी मिल को चलाया जाए. ज्ञापन मेें चेतावनी दी गई है कि यदि चीनी मिल नहीं चली तो इससे भी बड़ा आंदोलन किया जाएगा,