कलेक्ट्रेट परिसर में विस्थापित, बेघर, भूमिहीन महासंसद का आयोजन
देवरिया. देवरिया के गरीब मजदूर परिवारों को जबरन बेदखल करना और डेढ़ महीने बाद भी उन्हें पुनर्वासित नहीं करना संयुक्त राष्ट्र संघ के मौलिक सिद्धांत एवं दिशा निर्देश, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. गरीब मजदूर परिवारों की जबरन बेदखली से उनके उचित आवास, काम व आजीविका, भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि अधिकारों का हनन हुआ है। यदि जिला प्रशासन ने सभी बेघरों, विस्थापितों, भूमिहीनों को बुनियादी सुविधाओं से युक्त आवास उपलब्ध नहीं कराया तो इस मुद्दे को मानवाधिकार आयोग और जनहित याचिका के जरिये उच्च न्यायालय में उठाया जाएगा.
यह बातें जन संस्कृति मंच के महासचिव एवं वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार सिंह ने 3 फ़रवरी को कलेक्ट्रेट परिसर में विस्थापित, बेघर, भूमिहीन महासंसद में कही.
कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता मनोज कुमार सिंह ने बेघरों के अधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र, सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिये गए निर्देश, आदेश की चर्चा करते हुए कहा कि जबरन बेदखली मानवाधिकारों का उल्लंघन है. बेघरों को उनके घर या भूमि से उसकी इच्छा के विरुद्ध बेदखल नहीं किया जा सकता. यदि किसी सरकारी योजना या भूमि से किसी को बेदखल किया जाता है तो स्थायी रूप से उपयुक्त आवास की व्यवस्था होने तक उन्हें अस्थायी शेल्टर में रखा जाना चाहिए.देवरिया जिला प्रशासन ने विस्थापित किये गए मजदूरों के लिए न तो स्थायी न तो अस्थायी रिहाइश का प्रबन्ध किया है.
उन्होंने देवरिया शहर में बेघरों के लिए कोई मुकम्मल इंतजाम न होने पर आश्चर्य जताया और कहा कि जिला प्रशासन बेघरों के मुद्दे पर संवेदनशील नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के कारण देश में बेघरों की संख्या बढ़ती जा रही है।
कार्यक्रम को सामाजिक कार्यकर्ता चतुरानन ओझा, ऐपवा नेता गीता पांडेय, भाकपा माले के जिला सचिव श्रीराम कुशवाहा, राज्य कमेटी की सदस्य प्रेमलता पांडेय, हँसनाथ यादव, राजबहादुर राय, संजयदीप कुशवाहा, बैतालपुर चीनी मिल चलाओ संघर्ष समिति के दरोगा यादव , माले नेता अरुण कटियार आदि ने संबोधित किया और कहा कि सरकार विकास के नाम पर गरीबों को उजाड़ रही है। मोदी-योगी सरकार की नीतियां गरीब विरोधी, किसान, मजदूर, महिला, नौजवान विरोधी है। ये सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के लिए कार्य कर रही है और उनके हित के लिए गरीबों का दमन कर रही है।
कार्यक्रम में प्रस्ताव पारित कर सभी विस्थापितों, बेघरों को तत्काल पुनर्वासित करने , जबरन बेदखली का विरोध करने पर ऐपवा नेता गीता पांडेय के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे को वापस लेने, सरकारी जमीन कब्जा किये दबंग लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर उनसे जमीन मुक्त कराने जाय और उसे भूमिहीनों में बांटने की मांग की गई.