गोरखपुर। जाने-माने रंगकर्मी आरिफ अजीज लेनिन की स्मृति में आयोजित सृजनोत्सव-2019 में आज प्रेमचन्द पार्क में शहर की तीन नाट्य संस्थाओं ने तीन नाटकों का मंचन किया। तीनों नाटकों ने देश में साम्प्रदायिकता, भुखमरी, बेकारी, भ्रष्टाचार के मुद्दों को सामने रखते हुए सवाल किया कि क्या वाकई हमें वह आजादी मिल गई है जिसके लिए हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।
अलख कला समूह ,जन संस्कृति मंच और प्रेमचंद साहित्य संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम का आगाज रंगकर्मी धर्मेन्द्र भारती द्वारा प्रस्तुत जनगीतों से हुई। इसके बाद मशहूर रंगकर्मी सफदर हाशमी द्वारा लिखित नाटक आदाब का मंचन रंगाश्रम नाट्य संस्था द्वारा किया गया। नाटक का निर्देशन कल्याण सेन ने किया। नाटक में दिखाया गया कि शहर में दंगा हो गया है और कफयू लगा है। जान बचाने के लिए एक नाविक और मजदूर कूड़ेदान की ओट में छिपे हैं। दोनों पहले एक दूसरे को संशय की नजरों से देखते हैं लेकिन फिर दोनों मंे दोस्ती हो जाती है। नाविक ईद मनाने के लिए घर जाता है लेकिन दंगे में उसे मार दिया जाता है। मजदूर अपने दोस्त की याद में बिलखते हुए सवाल करता है कि भला इस गरीब मजदूर का क्या कसूर है ? क्यों साम्प्रदायिक हिंसा के शिकार गरीब होते हैं ?
नाटक में सहयोगी की भूमिका धर्मेंद्र भारती, अमन ,दीपक चैहान, समीर ने निभाई।
दूसरी प्रस्तुति अरविंद पांडेय द्वारा लिखित व मुकेश विद्यार्थी द्वारा निर्देशित नाटक ‘ देशद्रोही ’ थी। रंगकर्मी मुकेश विद्यार्थी की इस एकल प्रस्तुति में आजादी के 71 साल बाद देश में भुखमरी, भ्रष्टाचार, महिला हिंसा, किसान आत्महत्या आदि मुद्दों को उठाया गया है। नाटक में सवाल उठा कि किसान, मजदूर, गरीब का शोषण कब खत्म होगा ? शोषण, अत्याचार वाले समाज में आजादी के क्या मायने हैं ?
तीसरी प्रस्तुति रंगमंडल नाट्य संस्था द्वारा मंचित ‘ हवालात ’ थी। प्रख्यात कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ़द्वारा लिखित इस नाटक का निर्देशन अजीत प्रताप सिंह ने किया। सह निर्देशक हसीब आलम थे। नाटक का कथानक तीन युवाओं पर केन्द्रित है जो ठंड, बेकारी से बचने के लिए अपराध करने का स्वांग रचते हुए भागते हैं लेकिन एक दारोगा उन्हें पकड़ लेता है। दारोगा घूस लेने के चक्कर में तीनों को फंसाए रहता है लेकिन अपराधी ठंड से सिकुड़े जा रहे हैं। वह सोचते हैं कि अगर यह दरोगा हम लोगों को इस अपराध के बदले पकड़कर के हवालात में बंद कर देगा तो वे ठंड से बच जाएंगे और रोटी का भी इंतजाम हो जाएगा। बातों-बातों में दरोगा को स्वयं के अपराध का बोध होता है और वह तीनों को छोड़ देता है। नाटक में पुलिस की भूमिका में पुष्प राज ने निभाई जबकि युवकों की भूमिका सुमित कुमार गौड़, सनोज कुमार गौतम, आकाश श्रीवास्तव ने निभाई। सहयोग सूरज चैहान ,दीपक चैहान ,हर्षित मिश्रा, रितेश चैहान का रहा।
कार्यक्रम के बीच में पीयूष वर्मा ने गिटार पर गायन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागी नाट्य संस्थाओं को अलख कला समूह की तरफ राकेश श्रीवास्तव, राजाराम चैधरी, जेएन शाह, श्रवण कुमार ने स्मृति चिन्ह प्रदान किया।
कार्यक्रम का संचालन वैजनाथ मिश्र और बेचन सिंह पटेल ने किया। इस मौके पर डा. राजेश मल्ल, सुजीत कुमार श्रीवास्तव, विपिन कुमार सिंह, राजू मौर्य ,गोविंद प्रजापति ,आशुतोष पाल, अनन्या, निखिल कुमार, नम्रता श्रीवास्तव, अर्चना शाही, राकेश कुमार, सुरेश सिंह, राजेश साहनी सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे। प्रेमचंद साहित्य संस्थान के सचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी को धन्यवाद दिया।