लोकसभा चुनाव 2019

कांग्रेस के लिए गोरखपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी ढूँढना और वोट जुटाना टेढ़ी खीर

गोरखपुर. गोरखपुर लोकसभा सदर सीट पर कांग्रेस वोट कहां से जुटायेगी ? दमदार प्रत्याशी कहाँ मिलेगा ?

यह सवाल कांग्रेस नेतृत्व और उसके द्वारा यहाँ भेजे गए पर्यवेक्षकों को परेशान किये हुए है.

पिछले छह लोकसभा चुनाव व एक उपचुनाव में कांग्रेस की यहां से जमानत भी नहीं बचा पाई है .जमीनी स्तर पर यहां कांग्रेस का कोई आधार नहीं बचा है.

कांग्रेस की अब तो सपा-बसपा गठबंधन से जुड़ने की आस खत्म हो चुकी है. कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने जा रही है.

पिछले साल हुए लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस को यहां से मात्र 18858 वोट मिला था। विधानसभावार देखें तो कैंपियरगंज में 3093, गोरखपुर शहर में 6506, गोरखपुर ग्रामीण में 3606, पिपराइच में 1297 व सहजनवां में 4356 वोट कांग्रेस को मिला था. कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार डा. सुरहिता चटर्जी करीम गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव बुरी तरह से हार गई थी. उनकी जमानत भी जब्त हो गई थी और इसी के साथ लगातार सात बार जमानत जब्त कराने का अनोखा रिकार्ड भी कांग्रेस के खाते में जुड़ गया था.

लोकसभा उपचुनाव में डा. सुरहिता को वर्ष 2012 मेयर चुनाव में हासिल वोट से भी काफी कम वोट मिला था। डा. सुरहिता करीम को पिछले छह लोकसभा चुनाव में खड़े उम्मीदवारों से भी कम वोट मिला था.

गोरखपुर में पार्टी का प्रभाव न के बराबर है. पार्टी यहां चुनाव केवल औपचारिक रूप से लड़ती है जिसका खामियाजा पार्टी को हमेशा भुगतना पड़ता है. पार्टी का कोई नेता गोरखपुर सीट को केन्द्रित कर काम नहीं करता लेकिन जब चुनाव आता है तो टिकट के दर्जनों दावेदार हो जाते हैं. इस बार भी यही हाल है. टिकट के लिए लम्बी लाइन लगी है लेकिन इनमें से कोई ऐसा दावेदार नहीं दिखता जो चुनाव में मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज करा सके.

 यहां से 6 बार चुनाव जीत हासिल करने वाली कांग्रेस जब धराशायी हुई तो फिर कभी संभल न सकी. पिछले छह चुनाव में हर बार प्रत्याशी बदलने के बावजूद उसका प्रदर्शन फीका होता गया है.

हालत यह है कि वर्षों से कांग्रेस का गोरखपुर में कोई आफिस तक नहीं है. चारु चंद्रपुरी कालोनी में दलित जोड़ो अभियान के कार्यालय को फिलहाल कांग्रेस ऑफिस के बतौर इस्तेमाल किया जा रहा है.

जिले के अधिकतर कांग्रेस नेताओं का कोई जनाधार नहीं है. उनकी कभी कभार ही उपस्थिति दिखती है. कुछ नेता तो केवल मीडिया में अपनी उपस्थिति बनाये रखने की जुगत करते रहते हैं. ये नेता हास्यास्पद हो जाने तक हवाई दावे करते फिरते हैं. इन्हीं नेताओं ने कुछ दिन पहले प्रियंका गांधी को गोरखपुर से चुनाव लड़ाने की मांग तक कर डाली थी. ऐसे ही एक ‘ बड़े नेता ‘ स्वर्ण आरक्षण रैली में भी सक्रिय रहे.

यहां सपा-बसपा-निषाद का गठबंधन दमदार है जो भाजपा को शिकस्त देने के काबिल है. उपचुनाव के परिणाम से यह साबित हो चूका है. जातिगत आंकड़ों में यहां लड़ाई सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा के बीच ही जान पड़ती है. पूरी उम्मीद है कि योगी आदित्यनाथ का वर्चस्व तोड़ने वाले वर्तमान सदर सांसद प्रवीण कुमार निषाद को ही सपा-बसपा गठबंधन से टिकट मिलेगा.

डा. सुरहिता चटर्जी करीम को वर्ष 2018 के लोकसभा उपचुनाव में मिला वोट  -18858 

विधानसभावार

1. कैंपियरगंज –  3093

2. गोरखपुर शहर – 6506

3. गोरखपुर ग्रामीण – 3606

4. पिपराइच – 1297

5. सहजनवां – 4356

वोट फीसद – 2.1

सपा – प्रवीण कुमार निषाद – जीते –  456513 वोट 

1. कैंपियरगंज – 95740 – 53%

2. गोरखपुर शहर – 65736 – 39.81%

3. गोरखपुर ग्रामीण – 100948 – 52.20%

4. पिपराइच – 100391 – 47.63%

5. सहजनवां – 93622 – 52.92%

भाजपा – उपेंद्र दत्त शुक्ला – हारे – 434632 वोट 

1. कैंपियरगंज -81610 – 45.17%/

2. गोरखपुर शहर – 90313 – 54.70%

3. गोरखपुर ग्रामीण – 84667- 43.78%

4. पिपराइच – 100634 – 47.75%

5. सहजनवां – 77252 – 43.25%

1996 से गोरखपुर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन

1. डा. सुरहिता चटर्जी करीम – वर्ष 2018 (16वीं लोकसभा उपचुनाव ) – वोट- 18858/ वोट फीसद 2.1

2. अष्टभुजा6 प्रसाद त्रिपाठी – वर्ष 2014 (16वीं लोकसभा) – वोट – 45693/ वोट फीसद – 4.39

3. लालचंद निषाद – वर्ष 2009 (15वीं लोकसभा) वोट मिला – 30262/ वोट फीसद -4.04

4. शरदेन्दु पांडेय – वर्ष 2004 (14वीं लोकसभा) – वोट मिला- 33477 वोट/ वोट फीसद- 4.85

5. डा. सैयद जमाल – वर्ष 1999 (13वीं लोकसभा) -वोट मिला – 20026/ वोट फीसद -3.08

6. हरिकेश बहादुर – वर्ष 1998 (12वीं लोकसभा) – वोट मिला – 22621/ वोट फीसद – 3.59

7. हरिकेश बहादुर – वर्ष 1996 (11वीं लोकसभा) – वोट मिला – 14549/ वोट फीसद 2.60 प्रतिशत

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