गोरखपुर. लेखक एवं प्रगतिशील लेखक संघ की गोरखपुर इकाई के संरक्षक जगदीश नारायण श्रीवास्तव का 20 मार्च की दोपहर निधन हो गया.
जगदीश नारायण श्रीवास्तव कुछ समय से बीमार थे. वे पूर्वोत्तर रेलवे के राज भाषा अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त होकर गोरखपुर में रह रहे थे। उन्होंने “समकालीन कविता पर एक बहस”, “उपन्यास की शर्त”, “पूर्वी उ.प्र.प्रदेश का साहित्यिक परिदृश्य”, और “इक्कीसवीं सदी : कविता और समाज” जैसे महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं.वह जीवन के अंतिम समय तक सक्रिय रहे.
उन्होंने दो खंडो में लिखी “पूर्वी उ.प्र.प्रदेश का साहित्यिक परिदृश्य” में पूर्वी उत्तर प्रदेश के साहित्यकारों और उनकी रचनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. इस पुस्तक का लोकार्पण 16 अक्टूबर 2011 को चित्रगुप्त मंदिर में हुआ था. किताब का लोकार्पण प्रख्यात कवि पडॉ केदारनाथ सिंह ने किया था.
गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण चन्द्र लाल ने कहा कि जगदीश नारायण श्रीवास्तव की साहित्यिक सक्रियता अंतिम समय तक बनी रही. इस समय वे अपनी आत्मकथा और संस्मरणों पुस्तक तैयार करने में लगे थे. विधाता ने उनके इस कार्य को पूरा नहीं होने दिया. उनके निधन से हमने एक कर्मनिष्ठ साहित्यकार को खो दिया. उनकी सज्जनता, सरलता और साहित्य -निष्ठा सराहनीय रही है. उनका साहित्यिक अवदान अविस्मरणीय है.