गोरखपुर. भाजपा से फिर सपा में लौटे निषाद नेता अमरेन्द्र निषाद ने कहा है कि भाजपा उनकी राजनीति को खत्म करना चाहती थी. उनके साथ वही सुलूक किये जाने की साजिश थी जो उनके पिता पूर्व मंत्री जमुना निषाद के साथ किया गया. भाजपा में 42 दिन रहने के दौरान उन्हें जीवन की सबसे बड़ी सीख मिली कि अपना-अपना होता है. इसलिए मै अपने घर (सपा) वापस आ गया.
श्री अमरेन्द्र निषाद अपनी मां पूर्व विधायक राजमति निषाद के साथ 8 मार्च को सपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे. वह 42 दिन बाद 19 अप्रैल को फिर सपा में वापस आ गए.
गोरखपुर न्यूज लाइन से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब वह भाजपा में गए तो उनके स्वर्गीय पिता के साथियों को बहुत चिंता हुई. उन्होंने उन्हें चेताया कि कहीं तुम्हारे साथ भी मंत्री जी (जमुना निषाद, जिनकी एक संदिग्ध सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी) वाली घटना न हो जाए क्योंकि भाजपा 1998, 1999 के चुनाव में दी गई कड़ी चुनौती को भूली नहीं है. इन 42 दिनों में मुझे ठीक से अहसास हो गया कि भाजपा हमारे साथ वही सुलूक करना चाहती है जो मेरे पिता के साथ हुआ. मेरी राजनीति को खत्म कर देने और सिकोड़ देने की कोशिश हुई.
श्री निषाद ने कहा कि भाजपा में पिछड़ों का सम्मान नहीं है. मै भ्रम में था कि भाजपा बड़ी पार्टी है, बड़े दिल की है और वहां सबका साथ-सबका विकास है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. भाजपा सिर्फ निषादों का वोट लेना चाहती है. उन्हेे उनकी भागीदारी के हिसाब से हिस्सेदारी नहीं देना चाहती है.
यह पूछे जाने पर कि उन्हें भाजपा से गोरखपुर से चुनाव लड़ाने का वादा किया गया था, अमरेन्द्र निषाद ने कहा कि चुनाव लड़ना न लड़ना अलग बात है. यदि हमें चुनाव नहीं लड़ाते तो यह तो कहते कि आपको आगे अवसर मिलेगा, आगे संतुष्ट किया जाएग लेकिन किसी ने मुझसे बात नहीं की. किसी भी पार्टी में आप चुनाव लड़ते हैं या किसी जिम्मेदारी में होते हैं. इससे आप पब्लिक में बने रहते हैं. मुझे 42 दिन में कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई. किसी पदाधिकारी ने कोई कार्यक्रम नहीं दिया. यह देख मुझे बड़ा धक्का लगा. समाजवादी पार्टी में ऐसा नहीं होता है. वहां चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलने पर आपको संतुष्ट किया जाता है. नई जिम्मेदारी दी जाती है.
अमरेन्द्र निषाद ने कहा कि मुझे ठीक से अहसास हो गया कि अपना-अपना होता है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सपा तुम्हारा अपना घर है. आ जाओ. पार्टी में जैसा पहले सम्मान था, वैसा सम्मान बना रहेगा.
निषाद पार्टी के भाजपा के साथ जाने से पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी बिक गई है. भाजपा के साथ जाने से उसका वजूद खत्म हो गया है. उसके वर्कर ही खिलाफ हो गये हैं. गोरखपुर और आस-पास के सभी सीटों पर निषाद महागठबंधन के पक्ष में मतदान करेंगे. मै पूरी मजबूती से गोरखपुर और आस-पास की सीटों पर प्रचार करूंगा और गठबंधन के प्रत्याशियों को जिताने का काम करूंगा.