गोरखपुर। कभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे करीबी रहे सुनील सिंह गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। हिन्दू युवा वाहिनी से निकाले जाने के बाद हिन्दू युवा वाहिनी भारत नामक संगठन बनाने वाले सुनील सिंह अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कल करने वाले हैं।
श्री सिंह ने गोरखपुर न्यूज लाइन से बातचीत में गोरखपुर से चुनाव लड़ने की चर्चा को सही बताया और कहा कि वह कल पत्रकार वार्ता में इसकी घोषणा करेंगे। उन्होंने कहा कि देश के कई हिन्दू संगठन व प्रमुख नेता-हिन्दू महासभा, श्रीराम सेना, विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया, स्वामी चक्रपाणी महराज, हिन्दू समाज पार्टी आदि उन्हें समर्थन देंगे। चुनाव में कट्टर हिन्दुत्व उनका मुद्दा होगा।
उन्होंने कहा कि हम गोरखपुर में ‘ रामद्रोहियों ‘ को हराने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। गोरखपुर में भाजपा उम्मीदवार घोषित नहीं होने पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा के ‘ बड़े चौकीदारों ’ को गोरखपुर में ‘ चौकीदार ’ नहीं मिल रहा है क्योंकि ‘ चौकीदार ‘ की पोल खोलने वाला गोरखपुर में खड़ा हो गया है।
योगी आदित्यनाथ ने जब वर्ष 2002 में हिन्दू युवा वाहिनी बनायी थी तब सुनील सिंह उसके प्रदेश अध्यक्ष थे। वह 2017 तक लगातार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बने और हिन्दू युवा वाहिनी को पूरे प्रदेश में संगठित करने का कार्य किया। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में अपनी और हिन्दू युवा वाहिनी के कुछ नेताओं की उम्मीदवारी को लेकर उनका संगठन के संरक्षक योगी आदित्यनाथ से मतभेद हुआ। योगी आदित्यनाथ ने उन्हें और हियुवा नेताओं को चुनाव लड़ाने से साफ मना कर दिया। इसके बाद सुनील सिंह ने विद्रोह कर दिया और एक दर्जन स्थानों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए। इसके बाद उनके सहित सभी विद्रोही नेताओं को हिन्दू युवा वाहिनी से निकाल दिया गया।
सुनील सिंह ने 13 मई 2018 को लखनऊ में हिन्दू युवा वाहिनी भारत नाम से नया संगठन बना लिया। वह इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए। दो महीने बाद 31 जुलाई 2018 को हिन्दू युवा वाहिनी के महानगर मंत्री विवेक सूर्या को धमकी देने के आरोप में पुलिस ने उन्हें, हिन्दू युवा वाहिनी भारत के महानगर संयोजक चंदन विश्वकर्मा सहित 9 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. सुनील सिंह के खिलाफ उसी रात दो थानों में चार मुकदमे दर्ज कर लिए गए। एक पखवारे के बाद 15 अगस्त को उनके ऊपर रासुका लगा दिया गया. हाई कोर्ट द्वारा रासुका हटाने पर वह 175 दिन बाद जेल से छूटे हैं. वह अब अपने गुरु योगी आदित्यनाथ के कट्टर विरोधी बन गए हैं हैं.