लखनऊ। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर वर्तमान पेराई सत्र का बकाया 1091 करोड़ और बढ़ गया है. अब प्रदेश की चीनी मिलों पर गन्ना मूल्य का बकाया 10,562 करोड़ तक पहुँच गया है जबकि एक पखवारे पहले यह बकाया 9,471 करोड़ रूपए था.
गन्ना विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 4 मई तक प्रदेश की चीनी मिलों पर 30,033 करोड रूपए की देनदारी थी जिसमें से अब तक 19,471 करोड़ का भुगतान हुआ है। अभी भी 35.17 फीसदी यानि 10,562 करोड़ रूपए बकाया है।
एक पखवारे पहले 17 अप्रैल तक प्रदेश की चीनी मिलों पर 27,166 करोड रूपए की देनदारी थी जिसमें से अब तक 17,695 करोड़ का भुगतान हुआ था और 35 फीसदी यानि 9,471 करोड़ रूपए बकाया था। आईएस तरह एक पखवारे में बकाया गन्ना मूल्य 1091 करोड़ और बढ़ गया है.
उल्लेखनीय है कि बकाया गन्ना मूल्य लोकसभा चुनाव में मुद्दा बना हुआ है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले फेज में हुए चुनाव में भी यह प्रमुख मुद्दा बना. किसानों और किसान संगठनों का कहना है कि मोदी और योगी सरकार ने 14 दिन में गन्ना मूल्य भुगतान का वादा किया था, लेकिन वह अपना वादा पूरा करन में विफल रही. गन्ना मूल्य का भुगतान कई-कई महीनों तक नहीं हो पा रहा है.
डेढ महीने पहले तक प्रदेश की चीनी मिलों पर 11 हजार करोड़ से अधिक का बकाया था. अब यह बकाया 10,562 करोड़ है.
उत्तर प्रदेश चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अनुसार प्रदेश की 117 चीनी मिलों ने 4 मई तक 993.55 लाख टन गन्ने की पेराई करते हुए 114.29 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। गन्ना रिकवरी 11.50 फीसदी है। विभाग का दावा है कि पिछले तीन वर्षों के मुकाबले रिकवरी बढ़ी है। वर्ष 2015-16 में रिकवरी 10.62, 2016-17 में 10.61 और 2017-18 में 10.04 फीसदी थी।
विभाग की वेबसाइट पर अपलोड इस विवरण के अनुसार वर्ष 2017-18 पेराई सत्र का 35,738 करोड़ और उसके पहले के सत्रों का अवशेष 10,636 करोड़ गन्ना मूल्य का भुगतान कराया गया है। इस तरह पिछले दो सत्रों में कुल 65,503 करोड़ गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है।
विभाग के अनुसार वर्ष 2015-16 में 646 लाख टन, 2016-17 में 827 लाख टन और 2017-18 में 1,112 लाख टन गन्ने की पेराई हुई थी और चीनी उत्पादन क्रमशः 68 लाख टन, 88 लाख टन, 120.50 लाख टन था।