गोरखपुर. जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदक द्वारा नियमानुसार मांगी गयी सूचना देना प्रत्येक जन सूचना अधिकारी का दायित्व है। कोई भी जन सूचना अधिकारी केवल विधिक आधार पर ही सूचना देने से इंकार कर सकता है लेकिन आवेदक द्वारा आयोग में अपील करने पर जन सूचना अधिकारी द्वारा सूचना न देने का कारण स्पष्ट तथ्यों पर आधारित होना चाहिए अन्यथा समय से सूचना न देने पर जन सूचना अधिकारी पर अर्थदण्ड लगाने का प्राविधान है।
उक्त बातें मुख्य सूचना आयुक्त उ0प्र0 जावेद उस्मानी ने सर्किट हाउस के एनेक्सी भवन में जन सूचना अधिकारी/प्रथम अपीलीय अधिकारी के एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि आर0टी0आई0 अधिनियम 2005 एक क्रान्तिकारी एक्ट है। इस अधिनियम से आम आदमी को शक्तिशाली बनाया गया है जिससे शासन प्रशासन की कार्य प्रणाली में और भी पारदर्शिता आ गई है और देश/प्रदेश अच्छे शासन की ओर अग्रसर है।
उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण की तीसरी कड़ी है, सभी जन सूचना अधिकारियों को अधिनियम की पूरी जानकारी हो जाये साथ ही उ0प्र0 सूचना अधिकार की नियमावली 2015 की जानकारी हो जाये। इस प्रशिक्षण के माध्यम से सभी जन सूचना अधिकारियों को नियमों की जानकारी देकर यह कोशिश किया जा रहा है कि एकरूपता के साथ जन सूचना के आवेदनों का निस्तारण हो।
प्रशिक्षण के दौरान स्टेट रिसोर्स पर्सन राजेश मेहतानी ने लोगों को जन सूचना के नियमों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि पहले कोई समग्र नियमावली नही थी, दिसम्बर 2015 में निमयावली बना दी गयी है जिससे सूचना प्रकटन की प्रक्रिया और आसान हो गयी है। उन्होंने सभी अधिकारियों को जन सूचना के नियमों, प्रकटन से छूट के नियमों और अन्य जानकारियों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया और उनकी शंकाओं का समाधान किया।
इस अवसर पर जिलाधिकारी के0 विजयेन्द्र पाण्डियन, आई0जी0 जे0एन0 सिंह, मुख्य विकास अधिकारी अनुज सिंह, अपर आयुक्त प्रशासन अजयकान्त सैनी, अपर जिलाधिकारी गण सहित जनपद के जन सूचना अधिकारी/प्रथम अपीलीय अधिकारी उपस्थित रहे।