महराजगंज. महराजगंज जिले में इस वर्ष अब तक जेई/एईएस के 65 केस सामने आये हैं. ये केस 57 गांवों से रिपोर्ट हुए हैं.
जेई/ एईएस के नोडल अधिकारी डाक्टर विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में एईएस के 65 मरीज पंजीकृत कराए गए जिनका सत्यापन किया जा रहा है, सत्यापित 57 गाँवों में से 51 गाँवों में रोकथाम की कार्रवाई की गई है।
रोकथाम के संबंध में जिला मलेरिया अधिकारी त्रिभुवन चौधरी ने बताया कि एईएस से प्रभावित 57 गांवों में है 51 गांवों में निरोधात्मक कार्य कराया जा चुका है।
निरोधात्मक कार्य में फागिंग, एंटिलार्वा का छिड़काव, जन जागरण के लिए प्रचार प्रसार, शुद्ध पेयजल के लिए क्लोरीन गोली का वितरण, नालियों व घरों के आसपास साफ सफाई के लिए ग्राम प्रधान से अपील की जा रही है।
उन्होंने कहा कि जिन गाँवों में अभी तक निरोधात्मक कार्य नहीं हो सके है। वहाँ टीम भेजी जा रही है। वैसे जिले में जेई/एईएस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए गैर संचारी रोग नियंत्रण अभियान एवं दस्तक पखवाड़ा चलाया जा रहा है।
जिसके तहत आशा कार्यकर्ता घर घर जाकर लोगों को सचेत एवं जागरूक कर रही हैं। आशा कार्यकर्ता एवं स्वास्थ्य सहित अन्य संबंधित विभागों द्वारा लोगों में जागरूकता लाई जा रही है।
परतावल ब्लाक के ग्राम पंचायत अहिरौली निवासी संतोष ने बताया कि उसकी 18 माह की पुत्री रिया एईएस से पीङित थी जिसे उपचार के लिए 8 जून 2018 को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जो एक सप्ताह में स्वस्थ होकर घर चली आई है।
उसके बाद से गांव में चार पांच बार छिङकाव हो चुका है। साफ सफाई पर भी जोर है। आशा कार्यकर्ता ने घर आकर सावधानी बरतने की उपाय बताती रहती है।
क्या है जेई/एईएस
जेई-एईएस दिमागी बुखार है। जो मच्छर के काटने व दूषित पेयजल के कारण होता है। दिमागी बुखार के लक्षण संक्रमित मच्छर के काटने के बाद दिखाई देता है। इससे पहले सिरदर्द, बुखार, ठंड लगना, थकान, मिलती, उल्टी, शरीर में अकङन, हड़बड़ाहट, झटका आना आदि के लक्षण देखे जाते हैं।
लोगों को दिए जा रहे ये संदेश
– बच्चों को बुखार आने पर नजदीक के सरकारी अस्पताल पर जाकर इलाज कराएं।
– घर के आसपास जलजमाव न होने दें।
-पूरी बांह की कमीज पहनें। मच्छरदानी का प्रयोग करें।
-पानी को गर्म करके पिएं। नालियों में भी जलभराव न होने दें।
– समय समय पर फागिंग करावें। एंटीलार्वा का छिड़काव कराएं।