गोरखपुर. जिले के एंबुलेंस चालकों के लिए ट्रैफिक जाम के कारण आनटाइम रेस्पांड करना मुश्किल साबित हो रहा है। चालकों ने यह समस्या अपने उच्चाधिकारियों तक पहुंचाया जिस पर एंबुलेंस व्यवस्था का संचालन कर रही संस्था के राज्य कार्यकारी अधिकारी धनंजय कुमार ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. श्रीकांत तिवारी से मिल कर इसका समाधान करवाने की मांग की है।
सीएमओ ने इस संबंध में जनपद के लोगों से अपील की है कि अगर किसी को एंबुलेंस दिखायी दे तो रास्ता खाली कर आगे जाने दें ताकि लोगों की मदद की जा सके।
सीएमओ ने बताया कि जीवीके फाउंडेशन संस्था जिले में 102 और 108 नंबर एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रही है। 102 नंबर एंबुलेंस सेवा प्रसूताओं को अस्पताल लाने और प्रसव के बाद घर छोड़ने के लिए, जबकि 108 नंबर सेवा किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी होने पर मरीज को सरकारी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने के लिए है।
उन्होंने बताया कि संस्था के अधिकारियों ने उन्हें एंबुलेंस संचालन संबंधी चुनौतियों से अवगत कराया है जिसका समाधान किया जाएगा। संस्था के लोगों को निर्देश दिया गया है कि 20 मिनट के अंदर एंबुलेंस का पहुंचना सुनिश्चित करें। 102 नंबर एंबुलेंस प्रत्येक डिलेवरी प्वाइंट पर जबकि 108 नंबर एंबुलेंस किसी सार्वजनिक स्थान या विजिबल प्वाइंट पर दिखनी चाहिए।
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) व नोडल आरसीएच डा. नंद कुमार ने बताया कि जेई-एईस के बीमार मरीज को 102 नंबर एंबुलेंस सेवा से भी अस्पताल पहुंचाया जाएगा। शासनादेश के अनुसार अगर मानसिक रोगी है और उसे एंबुलेंस की आवश्यकता है तो उसे सुविधा दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि एंबुलेंस की सेवा पूरी तरह से निशुल्क होती है और यह केवल सरकारी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाएगी। सरकारी एंबुलेंस के माध्यम से निजी अस्पताल पहुंचाने का कोई प्रावधान नहीं है।
जिले में कुल 100 एंबुलेंस
गोरखपुर में इस समय 102 नंबर की 50 एंबुलेंस जबकि 108 नंबर की 46 एंबुलेंस संचालित की जा रही हैं। इनके अलावा 4 एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एंबुलेंस भी चलती हैं जो हायर मेडिकल सेंटर से लखनऊ के लिए मरीज ले जाती हैं। 102 नंबर एंबुलेंस सेवा औसतन सात मरीजों जबकि 108 नंबर एंबुलेंस सेवा औसतन पांच मरीजों को प्रति माह सेवा प्रदान कर रही है।