स्वास्थ्य

अति कुपोषित बच्चे के घर लगवाएंगे सहजन का पौधा

महिला एवं बाल विकास की पहल

 15 अगस्त तक अति कुपोषित बच्चों समेत सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण से भरपूर पौधा लगवाएंगे

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने शहर के घोसीपुरवा इलाके से किया सहजन लगाओ अभियान का शुभारंभ

पौधारोपण के साथ अभिभावकों को बताएंगे सहजन का महत्व, केवल सब्जी नहीं पत्ती भी है गुणकारी

गोरखपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग ने जनपद में सहजन के पौधे के जरिए कुपोषण से लड़ने की पहल शुरू की है.  इसके तहत जिले के प्रत्येक अति कुपोषित बच्चे के दरवाजे पर इसका पौधा लगाया जाएगा. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने सुपरवाइजर की देखरेख में पोषक तत्वों से भरपूर यह पौधा लगाएंगी. पंद्रह अगस्त तक जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों और अति कुपोषित बच्चों के घर पौधा लगाने की डेडलाइन तय की गई है. जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) हेमंत कुमार सिंह ने शुक्रवार को सहजन लगाओ अभियान का शुभारंभ पूरे प्रदेश में चले पौधारोपण कार्यक्रम के दौरान शहर के घोसीपुरवा इलाके से किया. उन्होंने बताया कि अति कुपोषित बच्चों के घर जो कार्यकर्ता सहजन का पौधा लगाएंगे वह उन्हें इसका महत्व भी बताएंगे.
डीपीओ श्री सिंह ने बताया कि न केवल सहजन की सब्जी बल्कि इसकी पत्तियां भी पोषक तत्वों से भरपूर हैं. इनमें वे सभी पोषक तत्व मौजूद हैं जो सेब, केला, संतरा जैसे फलों में होते हैं. अति कुपोषित बच्चों के अभिभावक सहजन की पत्तियों को पीस कर पुष्टाहार में मिला कर अपने बच्चों को खिला सकते हैं. इससे कुपोषण की समस्या दूर करने में मदद मिलेगी. उन्होंने बताया कि गैर सरकारी संगठन सेवा मार्ग से जुड़े विशेषज्ञ एचके शर्मा द्वारा पिछले दिनों जिले के सभी सीडीपीओ को सजहन के पोषकता को लेकर प्रशिक्षित किया गया. इसमें उन्हें बताया गया कि कुपोषण से लड़ने में सहजन किस प्रकार की भूमिका अदा कर सकता है.
डीपीओ के साथ बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) पीके श्रीवास्तव, सुपरवाईजर मोहित सक्सेना, रूमा सिंह, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शशिबाला, शांति, साधना और सहयोगी रजनीश चंद ने भी पौधारोपण अभियान में हिस्सा लिया. सीडीपीओ ने बताया कि शहर में कुल 1320 अति कुपोषित बच्चे हैं जिनके घर के सामने सहजन का पौधा लगाया जाएगा.

12 हजार से ज्यादा पौधे लगाने का लक्ष्य
जिले में करीब चार हजार आंगनबाड़ी केंद्र हैं और 8600 अति कुपोषित बच्चे चिन्हित हैं. इन सभी के घर के सामने सहजन का पौधा लगाया जाएगा। सहजन के पौधे की शाखा ही तोड़कर पौधारोपण किया जाता है. विभाग का मानना है कि जब प्रत्येक गांव और शहरी इलाके में सहजन का पौधा लग जाएगा तो यह लोगों की पहुंच में होगा और इसकी मदद से कुपोषण से लड़ने में मदद मिलेगी.

बच्चे को खिलाएंगी सहजन की पत्तियां
घोसीपुरवा में अब्दुल के मकान के सामने डीपीओ ने खुद सहजन का पौधा लगाया. इस घर में उनका बेटा फैजान अति कुपोषित है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने उन्हें कई बार प्रेरित (मोटिवेट) किया कि बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्र ले जाएं लेकिन अभी यह परिवार तैयार नहीं है. फैजान की मां हिना ने बताया कि उनके घर के सामने जो सहजन का पौधा लगाया गया है, उसकी पत्तियां बच्चे को पुष्टाहार में देंगी. उन्हें भरोसा है कि इस पौधे से बच्चे की सेहत में सुधार आएगा.

अति कुपोषण का प्राथमिक मानक
अगर आपका 6 महीने का बेटा साढ़े पांच किलो से कम वजन का है तो वह अति कुपोषित है इसी प्रकार अगर 6 महीने की बेटी 5 किलो से कम वजन की है तो वह भी अति कुपोषित हो सकती है. इसी प्रकार प्रत्येक आयुवर्ग के लिए अति कुपोषण का मानक तय है. प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पास अति कुपोषण की प्राथमिक स्क्रीनिंग की सुविधा उपलब्ध है. इन केंद्रों पर या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर बच्चों की जांच करवा कर पता कर सकते हैं कि बच्चे की स्थिति क्या है. कुपोषित बच्चों को तो पोषणयुक्त भोजन से ठीक किया जा सकता है लेकिन अति कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती करवाकर बेहतर इलाज दे सकते हैं.

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