महराजगंज. यदि किसी के मन में अपने कर्तव्यों व दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करने की भावना जागृत हो जाय तथा वह जज्बे से काम में लग जाय तो निश्चित ही वह समाज में नजीर बन जाता है।
ऐसा ही कुछ कर दिखाया धानी ब्लाक के ग्राम पंचायत घीवपीड़ की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता किरन शुक्ला ने। इनके के प्रयास से गांव में सुपोषण की रोशनी फैल रही है। अब उचित देखभाल व सलाह से कुपोषित, अति कुपोषित बच्चों के चेहरे पर जहां मुस्कान आई हैं, वहीं परिजन भी निहाल हो रहे हैं।
किरन के घीवपीड़ आंगनबाड़ी केन्द्र पर 0-5 वर्ष के कुल 90 बच्चे पंजीकृत हैं। इसमें से अप्रैल में 20 माह की काजल तथा नौ माह की माधुरी अति कुपोषित ( सैम अर्थात लाल श्रेणी) में, जबकि नौ बच्चे मनीष, जगदंबा, संगीता, सक्षम, राजकुमार, अनीता, साधना, विनोद व सोनी कुपोषित( मैम अर्थात पीले कुपोषित) की श्रेणी में चिन्हित किए गये थे। वर्तमान में तीन को छोड़ सभी सामान्य श्रेणी में आ गए हैं।
इन सभी बच्चों को समुचित पोषाहार एवं खान-पान की जानकारी देकर, समय-समय पर माप तौल किया गया। जिसका नतीजा रहा कि अप्रैल माह में जो काजल व माधुरी अति कुपोषित रहीं, उनकी स्थिति में सुधार है।
वह गाँव में मनीष, माधुरी, सक्षम, शनि, प्रिंस, तथा साधना के घर के पास सहजन का पौधा लगाकर औषधीय गुण की जानकारी भी दे रहीं हैं।
किरन शुक्ला द्वारा ग्रामीणों को बताया जा रहा है कि सहजन भोजन के रूप में अत्यंत पौष्टिक है। इसमें औषधीय गुण है। इसमें पानी को शुद्ध करने का भी गुण है।सहजन के बीज से तेल निकाला जाता है, तथा छाल, पत्ती, गोंद , जड़ से दवाएं तैयार की जाती है। सहजन में पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम के साथ विटामिन ए, बी व सी मिलता है।
गर्भवती व धात्री महिलाओं को पढ़ा रहीं सेहत का पाठ
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता किरन शुक्ल के मुताबिक ग्राम पंचायत घीवपीड़ की आबादी
करीब 927 है। इस गांव में कुल आठ गर्भवती शांति, अनीता, मनीषा, रीता, अर्चना, रेखा, सोनी व सुनीता हैं, जबकि सात धात्री महिलाओं में गीता, रिंकी, भानमती, माया, गीता, लक्ष्मीना व माला हैं।
धात्री को जहाँ कम से कम छह माह तक स्तनपान कराने तथा छह माह बाद बच्चों को ऊपरी आहार देने की सलाह दी जा रही है, वहीं सभी गर्भवती महिलाओं को एक हजार दिन तक अपने व बच्चे के सेहत का ख्याल रखने के लिए टिप्स देकर प्रेरित किया जा रहा हैं। गर्भवती महिलाओं को कम से कम चार बार जांच एवं आवश्यक टीके लगवाने के साथ साथ एनीमिया से बचने के लिए आयरन की गोली तथा हरी सब्जियां, मौसमी फल, अंकुरित दालें, गुड़ , चना, आदि का नियमित सेवन करने की सलाह दी जा रही है। आंगनबाड़ी केन्द्रों से दिए जाने वाले मीठे व नमकीन पोषाहार से भी विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर सेवन करने के लिए बताया जा रहा है।
विभाग के लिए नजीर हैं किरन
बाल विकास परियोजना अधिकारी बृजेन्द्र कुमार जायसवाल ने बताया कि आंगनबाङी कार्यकर्ता किरन द्वारा बेहतर काम किया जा रहा है। वह विभाग के लिए नजीर हैं। इनके प्रयास की बदौलत गांव सुपोषण की ओर बढ़ा है। इनके कार्यों से अन्य कार्यकर्ताओं को भी प्रेरणा लेनी चाहिए।