गोरखपुर। इमामबाड़ा एस्टेट का रवायती शाही जुलूस मंगलवार को शानदार तरीके से निकला। सुबह से सड़कों पर लोग थे। सभी की इच्छा थी कि मियां साहब को एक नज़र देख लूं। मियां साहब के साथ एक हुजूम था। जहां-जहां मियां साहब पहुंच रहे थे वहां एक शोर था इस्तकबाल का। अहिस्ता-अहिस्ता कदम बढ़ा रहे मियां साहब को देखने क लिए भीड़ बेताब नजर आईं। चारों तरफ या हुसैन या हुसैन के नारे गूंज रहे थे।
काबिलेगौर बात है कि यह जुलूस बीते तीन सौ साल की पुरानी रवायत के मुताबिक निकल रहा है। इमामबाड़ा एस्टेट के मियां साहब का दसवीं का शाही जुलूस पश्चिमी फाटक से सुबह पूरे शानो शौकत से निकला। भीड़ इतनी कि गलियां और छत एक हो रही थीं। मियां साहब का जुलूस बक्शीपुर स्थित हजरत कमाल शाह अलैहिर्रहमां की मजार पर पहुंचा। वहां उन्होंने फाातिहा पढ़ी। इसके बाद जुलूस बक्शीपुर की ओर मुड़ा। जुलूस के सबसे आगे इमामबाड़ा एस्टेट का परचम उसके पीछे पैदल सवार हाथों में भाला लिए सिपाही, घुड़सवार दस्ता और उनके पीछे अंगरक्षक चल रहे थे। मियां साहब के निजी सुरक्षा गार्ड उनके पीछे थे। कई अदद बैण्ड वादक और शहनाई वादक भी जुलूस में शमिल थे।
जुलूस में सोने-चांदी के अलम भी आकर्षण का केन्द्र रहे। शाही जुलूस के पीछे शहर के कई मोहल्लों के इमाम चौकों से जुलूस निकला। जुलूस में रौशन चौकी और सद्दा तो थी ही, करतब दिखाते नौजवानों सभी का ध्यान खींच रहे थे। मियां साहब ने जगह-जगह रुक कर गम का इजहार किया। मियां साहब के इस कदीमी जुलूस का जगह-जगह खैरमकदम भी किया गया।
जुलूस कमाल शहीद की मजार, बक्शीपुर, थवईपुल, अलीनगर, चरनलाल चौराहा, बेनीगंज ईदगाह, जाफरा बाजार, होते हुए कर्बला के मैदान पर पहुंचा। कर्बला में मियां साहब ने फातिहा पढ़ी और हजरत इमाम हुसैन व शहीदाने कर्बला को खिराजे अकीदत पेश की। इसके बाद जुलूूस घासीकटरा, मिर्जापुर, अंजुमन इस्लामियां खूनीपुर, नखास चौक, कोतवाली, अम्बिका मैरेज हाउस होते हुए इमामबाड़े में दाखिल हो गया। मियां साहब ने इमामबाड़ा में अपने पूर्वजों के कब्रिस्तान में भी फातिहा पढ़ी और जुलूस के समाप्ति की घेाषणा की।