जनपद

डेरवा पीएचसी को 84.6 फीसदी अंकों के साथ एनक्वास सर्टिफिकेशन मिला

गोरखपुर. गोरखपुर जनपद के बड़हलगंज क्षेत्र का डेरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) अब पूरे उत्तर प्रदेश की नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्टिफिकेशन (एनक्वास) की दौड़ में शामिल 33 पीएचसी के लिए रोल माडल बन गया है. बुधवार की रात यहां के स्वास्थ्य महकमे को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन भारत सरकार के अपर सचिव एवं मिशन निदेशक मनोज झालानी का वह पत्र मिल गया जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डा.देवेश चतुर्वेदी को इस बात की आधिकारिक जानकारी दी है कि 84.6 फीसदी अंकों के साथ डेरवा पीएचसी को एनक्वास के तहत क्वालिटी सर्टिफिकेट प्राप्त हो गया है.

पहले ही प्रयास में मिली इस सफलता की जानकारी जैसे ही स्वास्थ्य विभाग में प्रसारित हुई मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डा. श्रीकांत तिवारी, एनक्वास के नोडल अधिकारी डा. एनके पांडेय और कायाकल्प के नोडल अधिकारी डा. नंद कुमार को बधाई देने की होड़ मच गयी. गुरूवार को दफ्तर खुलने के बाद इस उपलब्धि पर स्वास्थ्य विभाग में डेरवा पीएचसी से लेकर जिला मुख्यालय तक मिठाईयां भी बंटीं.

सीएमओ ने बताया कि 6 और 7 अगस्त को भारत सरकार की टीम ने 1500 बिंदुओं पर डेरवा पीएचसी का मूल्यांकन किया था। कुल 3000 अंकों में से 84.6 फीसदी अंक प्राप्त कर डेरवा ने उत्तर प्रदेश में पहला एनक्वास सर्टिफिकेशन प्राप्त करने का गौरव पाया है.

इसके लिए सभी अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ), टीम डेरवा, कंसल्टेंट्स, गोरखपुर की मीडिया व सभी कर्मचारी बधाई के पात्र है.

उन्होंने बताया कि मिशन निदेशक पंकज कुमार और जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन ने इस उपलब्धि पर पूरी टीम को सराहा है. उन्होंने बताया कि 6 सितंबर को लखनऊ में एक दिवसीय कार्यशाला हुई थी जिसमें गोरखपुर से एसीएमओ डा. नंद कुमार व क्लालिटी कंसल्टेंट डा. मुस्तफा की टीम गयी थी और इस टीम ने प्रदेश की एनक्वास की स्पर्धा में शामिल 33 पीएचसी को टिप्स दिए.

गोरखपुर में एनक्वास के नोडल अधिकारी एसीएमओ डा. एनके पांडेय ने बताया कि इस उपलब्धि के पीछे डेरवा के प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. चंद्रशेखर गुप्ता और वहां की टीम के साथ-साथ जिला क्वालिटी कंसल्टेंट डा. मुस्तफा का अति महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

कायाकल्प अवार्ड योजना के नोडल अधिकारी एसीएमओ डा. नंद कुमार ने बताया कि डेरवा की उपलब्धि में वहां की टीम का समर्पण, जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद व उनकी पूरी टीम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सभी कार्यक्रमों के कंसल्टेंट का विशेष सहयोग रहा. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी संगठन से जुड़े उपेंद्र मणि त्रिपाठी, इंद्रदेव सिंह, मनीष तिवारी, संदीप राय ने मिठाई बांट कर एक दूसरे को डेरवा की उपलब्धि पर बधाई दी.

ये पीएचसी भी हैं एनक्वास की दौड़ में

मिर्जापुर की चुनार व गनसंडी, जालौन की रामपुरा, जौनपुर की मूंगराबादशाहपुर, प्रयागराज की प्रतापपुर व दारागंज यूपीएचसी, मुरादाबाद की कुन्डर्की, लखनऊ की सरोजनीनगर, रायबरेली की हरचंदपुर, बदायूं की सैदपुर, ललितपुर की बिरधा, शाहजहांपुर की खुदागंज, बरेली की फतेहगंज,वाराणसी की बड़ागांव, गाजीपुर की मनाहारी गाजीपुर, झांसी की वरूआसागर, कौशाम्बी की मूरतगंज व नेवादा, कानपुर देहात की सरवखीरा व राजपुर, बलरामपुर की बलरामपुर पीएचसी, बागपत की धनोरा पीएचसी, संतकबीरनगर की बघौली, बांदा की बिसण्डा, देवरिया की भागलपुर, चित्रकूट की सीतापुर, बलिया की पंडाट, मथुरा की राया और सहारनपुर की नांगल पीएचसी।

ऐसा रहा है डेरवा का सफर
डेरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 1998 की बाढ़ में डूब गया था। जब बाढ़ का पानी उतरा तो हालात काफी दयनीय थे। परिसर में बड़ी-बड़ी घासें हुआ करती थीं और विषैले जानवर घूमते थे। बमुश्किल 100 मरीजों की ओपीडी होती थी। इस समय इस पीएचसी की ओपीडी 250 के करीब है। आनबेड आक्सीजन का इंतजाम है। नर्सिंग बेल, पब्लिक एनाउंसमेंट सिस्टम, केएमसी कार्नर, ब्रेस्टफीडिंग कार्नर समेत दर्जनों ऐसी सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं जो इसे एक संपूर्ण अस्पताल का दर्जा देती हैं। वित्तीय वर्ष 2018-2019 में कायाकल्प योजना के तहत 84.7 अंकों के साथ पीएचसी कैटगेरी में डेरवा को यूपी में पहला अवार्ड मिला है। इसके पिछले वित्तीय वर्ष में भी 79.4 अंकों के साथ यह पीएचसी कायाकल्प अवार्ड पा चुकी है।

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