लखनऊ. शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था तालीमी बेदारी के तत्वाधान में “समकालीन भारत में शिक्षा: समस्याएं और संभावनाएं” विषयक सेमिनार का आयोजन 15 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, गोमती नगर में किया गया जिसके मुख्य अतिथि डॉ॰ अब्दुल कदीर रहे. अध्यक्षता पूर्व डीजीपी उत्तर प्रदेश रिजवान अहमद ने किया.
सेमिनार में देश प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धजीवियों ने हिस्सा लिया. सेमिनार में शिक्षा एवं समाजसेवा के क्षेत्र में काम करने वाले देश के दर्जनों विभूतियों को सम्मानित भी किया गया.
देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डाॅ॰ ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम की 89वीं जयंती पर आयोजित सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन, बीदर (कर्नाटक) के चेयरमैन डॉ॰ अब्दुल कदीर ने शमा रोशन कर किया। अध्यक्ष डाॅ॰ वसीम अख्तर, निहाल अहमद, डॉ॰ आरिज़ कादरी, मारूफ हुसैन, हेसामुद्दीन अंसारी, रिजवान अंसारी, अशरफ अली, इस्लाहुद्दीन, शहजाद अली, गुलशाद चैधरी, नौशाद सिद्दीकी, इंजीनियर इरशाद अहमद अलीग आदि ने मुख्यातिथि और विशिष्ट अतिथियों का बुके और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया.
मुख्य अतिथि डॉ॰ अब्दुल कदीर ने कहा कि शिक्षा के महत्व को आत्मसात करके कलाम साहब ने देश को मजबूत बनाया। उनका जीवन देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए अनुकरणीय हैं। उन्होंने शिक्षा के महत्व को न सिर्फ खुद समझा बल्कि उसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे। उन्होंने भारत को एक विकसित और शक्तिशाली देश बनाने का सपना देखा था। शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाकर ही देश को मजबूत बनाया जा सकता है। यही कलाम साहब को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
गेस्ट ऑफ ऑनर पूर्व सांसद बिहार साबिर अली ने कहा कि शिक्षा से सामाजिक-आर्थिक विकास संभव है। तालीमी बेदारी का काम काबिले तारीफ है।
इंजीनियर अख्तर हुसैन ने कहा कि शिक्षा से ही देश आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि यह समय ज्ञान और तकनीक का है। जिस देश के पास जितना ज्ञान होगा, वह देश उतना ही तरक्की करेगा। डॉ॰ बंसत कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिए अति आवश्यक है। कलाम साहब शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, आधुनिक शिक्षा पर बल देते थे। वो सीखने पर जोर देते थे उनका मानना था कि इंसान के सीखने की कोई उम्र नहीं होती।
विशिष्ट अतिथि आदिल खान ने तालीमी बेदारी की पूरी टीम को मुबारकबाद देते हुए कहा कि तालीमी बेदारी का यह कारवां शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी क्रांति लाएगा। कलाम साहब ने जो सपना देखा था उसे तालीमी बेदारी साकार करने में कामयाब हो, मेरी खुदा से यही दुआ है।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में रिजवान अहमद पूर्व डीजीपी उत्तर प्रदेश ने कहा कि कलाम साहब ने विकसित भारत का सपना देखा था। उस विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए समाज के शिक्षित, जागरूक और सक्षम लोगों को आगे आना होगा।
सेमिनार में एक तकनीकी परिचर्चा का भी सेशन रखा गया। इस परिचर्चा में अम्बरिश राय और खालिद चौधरी के अलावा इस्हाक अंसारी (बिहार), डॉ॰ विवेकानंद नायक (उड़ीसा), अजमा अजीज, सरफराज़ अहमद और मुहम्मद अतहर (दिल्ली) ने “ड्राॅपआउट की समस्या और समाधान” पर अपने विचार रखे।
शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सिद्धार्थनगर के शिक्षा जगत के डॉ अब्दुल बारी खान को सम्मानित किया गया। डॉ बारी का सम्मान उनके पुत्र इंजीनियर इरशाद अहमद खान अलीग ने ग्रहण किया। योगेंद्र मणि त्रिपाठी (बहराइच), ह्यूमन काइंड वेलफेयर एसोसिएशन (कानपुर), शाहिद कामरान आदि के अलावा अलग-अलग क्षेत्र के दर्जनों अन्य विभूतियों को भी सम्मानित किया गया। सेमिनार में मेधावी छात्र-छात्राओें को भी सम्मानित किया गया। सेमिनार का संचालन सगीर ए खाकसार ने किया।
सेमिनार में जमाल अहमद खान, अब्दुल मोईद खान, मारूफ हुसैन, हसनैन कमाल, शोएब अख्तर, अंसार अहमद खान, हेसामुद्दीन अंसारी, इरशाद अहमद खान, हाजी सुलेमान शम्सी, आमिर रजा, शाहिद अतहर, अफजाल अहमद, अरहम सिद्दीकी, इशहाक अंसारी, ज़ाहिद आज़ाद झंडानागरी,ज़ाहिद हई खान,डॉ जावेद बेग ,जीएच कादिर, जावेद अहमद हयात,अफ़रोज़ मालिक।, अनस आदि की उल्लेखनीय भागीदारी रही।