गोरखपुर। जिला प्रशासन भले यह कहे कि दस्तावेजो में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विन्ध्यवासिनी प्रसाद के नाम पर पार्क के नामकरण का कोई दस्तावेज नहीं है लेकिन गोरखपुर की सरकारी वेबसाइट पर ही ‘ प्लेसेज आफ इंटरेस्ट ‘ में पार्को की सूची में ‘ राजकीय विन्ध्यवासिनी पार्क ’ का नाम ही नहीं इसी नाम से फोटो भी है.
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी दी है तो भाजपा एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह ने पार्क का नाम बदले जाने का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री और उद्यान मंत्री को पत्र लिखा है.
आज एक समाचार पत्र में पार्क का नाम बदले जाने के सम्बन्ध में डीएम विजयेंद्र पांडियन का बयान छपा है कि ‘ ब्रिटिश शासन में ही एचयूआई नाम के किसी अंग्रेज के नाम सन 1800 में यह पार्क अस्तित्व में आया. धीरे-धीरे लोग इसे व्ही पार्क बुलाने लगे. कुछ स्थानों पर इसका जिक्र है. 1940 में नजूल की यह जमीन राजकीय उद्यान के नाम से मिलती है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विन्ध्यवासिनी प्रसाद के नाम पर नामकरण का कोई दस्तावेज नहीं है. ’
डीएम भले यह कह रहे हों कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विन्ध्यवासिनी प्रसाद के नाम पर नामकरण का कोई दस्तावेज नहीं है लेकिन खुद गोरखपुर जिले की सरकारी वेबसाइट (https://gorakhpur.nic.in ) में यह नाम मौजूद है.
वेबसाइट के टूरिज्म वाली कैटेगरी में ‘ प्लेसेज आफ इंटरेस्ट ‘ में ‘ गर्वनमेंट विन्ध्यवासिनी पार्क ‘ का नाम पार्कों की सूची में है. इस पार्क के बारे में यह भी लिखा गया है –
Govt. Vidhyavasini Park
The grand green park is situated inside the town, a paradise for morning walkers and consists of varieties of plants, trees and fruits. It also develops mother buds of roses for several colours.
इस वेबसाइट में विन्ध्यवासिनी पार्क के नाम से पार्क की एक खबसूरत फोटो मौजूद है.
अब प्रशासन को जवाब देना होगा की बाबू विन्ध्यवासिनी प्रसाद के नामकरण का यदि कोई दस्तावेज नहीं है तो उसकी खुद की वेबसाइट पर इस्कान नाम,फोटो और विवरण कैसे मौजूद है.