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प्रदर्शन में शामिल होने से रोकने के लिए रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब को नजरबंद किया

लखनऊ . सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के उ.प्र. के अध्यक्ष एवं रिहाई मंच के संस्थापक अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शोएब लखनऊ में उनके घर में नजरबन्द कर दिया गया है. पुलिस ने यह कार्रवाई 19 दिसम्बर, लखनऊ में नागरिकता संशोधन अधिनियम व राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के विरोध में होने वाले प्रदर्शन के मद्देनजर की है. भाकपा माले, सोशलिस्ट पार्टी सहित कई राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों ने मोहम्मद शोएब को नजरबंद किये जाने की निंदा की है और इस कार्रवाई को संविधान द्वारा प्राप्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करार दिया है.

72 वर्षीय मोहम्मद शोएब को कल शाम उनके घर 110/60 नया गांव पूर्व,  नजरबंद किया.

मोहम्मद शोएब ने 1972 में लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि की पढ़ाई पूरी कर उसी वर्ष यहीं बार काउंसिल में वकालत करने के लिए पंजीकरण करा लिया था. वे अपने छात्र जीवन से ही समाजवादी युवजन सभा से जुड़ गए थे. मोहम्मद शोएब ने अभी तक 14 ऐसे नौजवानों को न्यायालय में मुकदमा लड़ कर बरी करवाया है जो फर्जी तरीके से आतंववादी घटनाओं में फंसा दिए गए थे.

मोहम्मद शोएब रिहाई मंच नामक संगठन के भी अध्यक्ष हैं जो ऐसे निर्दोष नौजवानों जिन्हें फर्जी मामलों में फंसाया जाता है की रिहाई के लिए काम करता है।
कल के प्रदर्शन को देखते हुए एडवोकेट मोहम्मद शोएब के अलावा रिहाई मंच के राजीव यादव, सचेन्द्र प्रताप यादव, वीरेन्द्र गुप्ता, आदियोग व मोहम्मद शकील कुरैशी को भी नगर मजिस्ट्रेट ने नोटिस भेज कर 23 दिसम्बर को न्यायालय में पेश होकर रु. 50,000 की जमानत लेने को कहा है.

 सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा है कि  हम शासन-प्रशासन द्वारा संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों की धज्जियां उड़ाते हुए देश के संविधान में विश्वास रखने वाले संगठनों से जुड़े लोगों का उत्पीड़न करने के लिए उसकी भर्त्सना करते हैं.  सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) की मांग है कि सरकार नागरिकों के मौलिक अधिकारों के साथ खिलवाड़ बंद कर नागरिकता संशोधन अधिनियम व राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को तुरंत वापस ले.

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