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अधिवक्ताओं की सीएए पर विचार गोष्ठी, प्रशासन को ज्ञापन सौंप सीएए वापस लेने की मांग की

गोरखपुर। मंगलवार को संविधान बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले बार एसोसिएशन सभागार सिविल कोर्ट में नागरिकता संशोधन (सीएए) पर वकीलों की विचार गोष्ठी हुई। वकीलों ने सीएए के पक्ष व विपक्ष में अपना पक्ष रखा। कुछ अधिवक्ताओं ने गोष्ठी का विरोध किया जिस वजह से गोष्ठी मुकम्मल न हो सकी। इसके बाद गोष्ठी करने वाले वकीलों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर जाकर सीएए वापस लेने की मांग करते हुए राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा।

ज्ञापन सौंपने के दौरान वकीलों ने कहा कि भारत सरकार द्वारा पारित नागरिकता संशोधन कानून संविधान की आत्मा के साथ धोखा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 ,15, 21 का उल्लंघन है। इस कानून के पारित होने से विभिन्न धर्म एवं जाति के मध्य नफरत का माहौल पैदा हो रहा है। भ्रम की स्थिति बनी हुई है जो कि देश के विकास में बाधक है। इस कानून के लागू हो जाने पर भारत का भविष्य खतरे में दिखाई पड़ता है। हम वकील नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करते हैं। भारत सरकार से मांग करते हैं कि नागरिकता संशोधन कानून को तत्काल वापस लिया जाए।

इसके पहले गोष्ठी का संचालन करते हुए भारतीय इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष एडवोकेट शोएब खान सिमनानी ने कहा की आज सीएए को लेकर समाज में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. धर्म के नाम पर कानून नहीं बनना चाहिए. यह संविधान का उल्लंघन है. सीएए धर्म को आधार बनाकर पारित किया गया है जो समाज को बांटने की कोशिश है.

समाजवादी पार्टी के नेता एडवोकेट जियाउल इस्लाम ने कहा कि इस कानून की कोई आवश्यकता नहीं थी. यह कानून दूसरे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए लाया गया है.

बार एसोसिएशन सिविल कोर्ट के पूर्व मंत्री एडवोकेट बलवंत शाही, एडवोकेट त्रियुगी शाही, एडवोकेट सुशील चंद साहनी ने कहा कि धर्म की बुनियाद पर कोई भी कानून पास नहीं होना चाहिए.

एडवोकेट तौहीद अहमद, एडवोकेट सफीउल्लाह, एडवोकेट जमील अहमद व एडवोकेट मोहम्मद अहमद ने कहा की सीएए भारतीय संविधान की प्रस्तावना के विरुद्ध है. सरकार ने इस कानून को पास करके मुसलमानों में भय का माहौल पैदा किया है. हम सभी वकील इस बात की निंदा करते हैं. सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग करते हैं. जब तक यह कानून वापस नहीं होता हम वकीलों का पुरअमन विरोध जारी रहेगा.

गोष्ठी में बच्चन गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष अभिमन्यु पांडेय, मो. शोएब अहमद अंसारी, सफीउल्लाह, दिलबर सिंह, अनूप कुमार मिश्रा, बलवंत शाही, प्रभुदयाल सिंह, अजय कुमार पांडेय, बृजेश कुमार पांडेय, सद्दाम हुसैन, मो. हनीफ मिनहाज सिद्दीकी, चंद्रिका भारती, मोईन खान, मो. मोहसिन सिद्दीकी, शरद चंद यादव, कमरुज्जमा खान, तारिक हुसैन, मसूदुल हसन, अब्दुल वहाब खान, असलम खान, भुवनेश्वर प्रसाद, अजमेर अली, मसरुर अहमद आदि वकील मौजूद रहे.

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