गोरखपुर. विश फाउंडेशन द्वारा जी.एस.के.कंज्यूमर हेल्थ केयर लिमिटेड तथा स्वास्थ्य विभाग गोरखपुर के सहयोग से विजय चौक स्थित होटल निर्वाना सरोवर पोर्टिको में सोमवार को शहरी क्षेत्र की एएनएम और हेल्थ विजिटर को डेंगू से बचाव व नियंत्रण हेतु को प्रशिक्षित किया गया.
प्रशिक्षण का आयोजन अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, गोरखपुर डॉ आई.वी. विश्वकर्मा की अध्यक्षता में किया गया.
प्रतिभागियों को डेंगू से बचाव के लिए प्रशिक्षित करते हुए डॉ आई.वी. विश्वकर्मा नें बताया कि डेंगू एक आम संक्रामक रोग है जो एडीज नामक मच्छर के काटने से फैलता है। ये मच्छर प्रायः घरों के अन्दर साफ़ पानी में पनपता है। उन्होंने बताया कि एडीस मच्छर तो डेंगू का सिर्फ वाहक होता है लेकिन असली काम डेंगू परजीवी करते हैं। दरअसल जब मच्छर किसी पीड़ित व्यक्ति को काटता है तो पीड़ित व्यक्ति के परजीवी मच्छर में भी आ जाते हैं और जब यही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह स्वस्थ व्यक्ति भी इस वायरल से संक्रमित हो जाता है। इसी तरह यह प्रक्रिया चलती रहती है तथा डेंगू बुखार महामारी का रूप धारण कर लेता है।
उन्होंने कहा कि डेंगू से बचाव हेतु लोगों का जागरूक होना इलाज होने से ज्यादा आवश्यक है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि डेंगू से डरने की नहीं, अपितु बचने और लड़ने की ज़रूरत है।
डॉ विश्वकर्मा ने बताया कि डेंगू के शुरुआती लक्षणों में रोगी को तेज़ ठण्ड लगती है, सिरदर्द, कमर दर्द और आँखों में तेज़ दर्द हो सकता है, इसके साथ ही रोगी को लगातार तेज़ बुखार रहता है। इसके अलावा जोड़ों में दर्द, बैचेनी, उल्टियाँ, लो ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। डेंगू के उपचार में यदि देरी हो जाये तो यह डेंगू हेमरेजिक फेवर का रूप ले लेता है जो अधिक भयावह होता है। डेंगू बुखार के लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल जाना चाहिए नहीं तो यह लापरवाही रोगी की जान भी ले सकती है। डेंगू से बचाव के लिए अभी तक कोई टीका नहीं है, इसलिए इसके बचाव के लिए हमारी सजगता और भी ज़रूरी हो जाती है।
उन्होंने बताया कि लोगो की यह भ्रान्ति दूर होनी चाहिए कि प्लेटलेट कम होने का मतलब डेंगू ही है। अन्य बीमारियों में भी प्लेटलेट कम हो सकते हें। डेंगू के इलाज के लिए भारी भरकम इलाज एवं महँगी दवाइयों की आवश्यकता नही है। ये भी ज़रूरी नहीं कि हर तरह के डेंगू में प्लेटलेट्स चढ़ाए जाएँ। केवल हेमरेजिक और शॉक सिंड्रोम डेंगू में प्लेटलेट्स कि ज़रूरत होती है. अगर डेंगू के मरीज़ का प्लेटलेट्स काउंट 10,000 से ज्यादा हो तो प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूज़न कि ज़रूरत नही होती. और न ही ये खतरे का संकेत है.
कार्यशाला का संचालन कर रहे विश संस्था के कार्यक्रम प्रबंधक अंजुम गुलवेज़ नें डेंगू से बचाव के लिए घर और उसके आस पास पानी एकत्रित न होने देने, खाली डिब्बों, टायरों एवं ऐसे स्थानों से जमा पानी निकालने, कूलरों तथा फूलदानों का पानी सप्ताह में एक बार अवश्य बदलने, घर में कीट नाशक दवाओं का छिडकाव करने, बच्चों को ऐसे कपडे पहनाने जिससे उनके हाथ पांव पूरी तरह से ढके रहें,
सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करने, मच्छर भागने वाली दवाईयों/ वस्तुओं का प्रयोग करने, टंकियों तथा बर्तनों को ढककर रखने, सरकार के स्तर पर किये जाने वाले कीटनाशक छिडकाव में सहयोग करने, आवश्यकता होने पर जले हुए तेल या मिटटी के तेल को नालियों में तथा जमा हुए पानी पर डालने तथा रोगी को उपचार हेतु तुरंत निकट के अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र में ले जाने पर जोर दिया.
झरना टोला की ए.एन.एम. सोनम वर्मा ने बताया कि आज इस प्रशिक्षण के माध्यम से उन्होंने जाना कि यदि लोग डेंगू से बचाव के प्रति जागरूक हो तो डेंगू फ़ैलाने वाले मच्छर के प्रजनन को आसानी से कम किया जा सकता है और डेंगू को फैलने से बचाया जा सकता है. एक ए.एन.एम. के रूप में वह अपने क्षेत्र में डेंगू बीमारी होने तथा बीमारी को फैलने से रोकने के लिए अपनी सक्रिय भूमिका निभायेंगी.
छोटे काजीपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत रायगंज की ए.एन.एम. पूजा सिंह ने बताया कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से आज उन्हें डेंगू के विषय में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी बहुत ही रोचक अंदाज़ में दी गयी. वह डेंगू बीमारी के लक्षण, बीमारी के फैलने के लिए अनुकूल वातवरण तथा बीमारी की रोकथाम एवं बचाव के उपायों के प्रति सजग हैं. वह अपने क्षेत्र में कार्य के दौरान लोगो को डेंगू की रोकथाम हेतु आसान तरीके बताकर जागरूक करेंगी.
प्रशिक्षण में उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी सुनीता पटेल, डिस्ट्रिक्ट एआरओ के.पी. शुक्ला, एइएस/ जेई कंसल्टेंट सिधेश्वरी सिंह, शहरी स्वास्थ्य समन्वयक सुरेश चौहान, आदिल, फैजान, वेद प्रकाश दुबे, अभिषेक, प्रिया आदि उपस्थित रहे.