स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू विन्ध्यवासिनी प्रसाद वर्मा की 76वीं पुण्यतिथि पर इंदिरा तिराहे पर हुई श्रद्धांजलि सभा
गोरखपुर। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू विन्ध्यवासिनी प्रसाद वर्मा की 76वीं पुण्यतिथि पर आज विन्ध्यवासिनी पार्क बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में इंदिरा तिराहे पर सभा हुई। सभा में वक्ताओं ने विन्ध्यवासिनी प्रसाद वर्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके नाम वाले पार्क का नाम बदले जाने का विरोध किया। सभा के बाद इंदिरा तिराहे से कैंडिल मार्च निकाला गया जो गोलघर होते हुए टाउनहाल स्थित गांधी प्रतिमा पर समाप्त हुआ।
मार्च में शामिल लोग ‘ योगी सरकार होश में आओ ‘, ‘ जिला प्रशासन होश में आओ ‘, ‘ विन्ध्यवासिनी पार्क का नाम बहाल करो ‘, ‘ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान बंद करो ‘, ‘ गोरखपुर के गौरवमयी इतिहास, विरासत, पहचान का अपमान नहीं सहेगा गोरखपुर ‘, ‘ गोरखपुर के इतिहास, विरासत, पहचान से खिलवाड़ बंद करो ‘,’ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विन्ध्यवासिनी बाबू का अपमान करने वाले शर्म करो ‘ आदि नारा लगा रहे थे.
मार्च और सभा में विभिन्न राजनीतिक दलों के अलावा सामाजिक , सांस्कृतिक संगठन, अधिवक्ता और नागरिक शामिल हुए। इनमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी, हिन्दू युवा वाहिनी भारत, प्रगतिशील लेखक संघ, जन संस्कृति मंच, प्रगतिशील अधिवक्ता संघ आदि शामिल हुए।
वक्तओं ने सभा में सरकार और प्रशासन द्वारा विन्ध्यवासिनी पार्क का नाम बदले जाने का कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा कि यह कृत्य गोरखपुर के इतिहास, विरासत, पहचान का अपमान करने वाला है. पार्क का नाम बदलने का निर्णय गुपचुप और मनमाने तरीके से लिया गया और यह करते हुए गोरखपुर के नागरिक समाज से कोई विमर्श नहीं किया गया. एक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जिन्होंने अपना पूरा जीवन आजादी की लड़ाई में न्यौछावर कर दिया, उनके नाम वाले पार्क का इस तरह नाम बदला जाना गोरखपुर के गौरवमयी इतिहास, विरासत और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अपमान है. पार्क का नाम बदले जाने के पक्ष में दिए जा रहे बयान न सिर्फ सरासर झूठ हैं बल्कि गोरखपुर के नागरिकों के स्वाभिमान, सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले भी हैं.
वक्ताओं ने कहा कि उन्हें इस बात पर कोई ऐतराज नहीं है कि हनुमान प्रसाद पोद्दार जी के नाम से किसी पार्क व अन्य स्थान का नामकरण न हो लेकिन लेकिन एक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम से पहले से नामांकित पार्क का नाम बदल कर एक दूसरे सम्मानीय, अनुकरणीय व्यक्तित्व के नाम से नामकरण करना ओछी सोच और समाज में विघटन की राजनीति का परिचायक है.
वक्ताओं ने विस्मिल भवन को जबरन खाली कराने, महापुरूषों के प्रतिमस्थलों के गोलम्बर को छोटा करने का भी सवाल उठाया और इसकी निंदा की. सभा में चेतावनी दी गई कि यदि शीघ्र पार्क का नाम बदले जाने का निर्णय वापस नहीं हुआ तो शासन-प्रशासन को एक बड़े आंदोलन का सामना करना पड़ेगा.
सभा की अध्यक्षता जितेन्द्र राय और संचालन अनुज अस्थाना ने की. सभा को पूर्व विधायक हरिद्वार पांडेय, गोरखपुर विश्ववद्यिालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष राम सिंह, दिनेश चंद्र श्रीवास्तव, उत्तर प्रदेश बार कौंसिल के सदस्य एवं कांग्रेस नेता मधुसूदन त्रिपाठी, सपा नेता रवि श्रीवास्तव, शिवाजी शुक्ल, कपीश श्रीवास्तव, विजय श्रीवास्तव, हिन्दू युवा वाहिनी भारत के अध्यक्ष सुनील सिंह, कांग्रेस की जिलाध्यक्ष निर्मला पासवान, अयोध्या प्रसाद साहनी, श्याम नारायण भट्ट, रजनीश श्रीवास्तव, इंजिनियर सुनील श्रीवास्तव आदि ने सम्बोधित किया. सभा व मार्च में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू विन्ध्यवासिनी प्रसाद वर्मा के परिजन सती कुमार वर्मा, प्रदीप रंजन वर्मा, अमित विक्रम वर्मा भी उपस्थित थे.