गोरखपुर। दो दशक पहले तक गोरखपुर की पहचान बुनकरों के हाथों से बुनी चादर, तौलिया, गमछा, सेना की वर्दी सहित तमाम कपड़ों से होती थी. धीरे-धीरे इस पर ग्रहण लगता गया। कच्चे मटेरियल धागे और सूत मंहगे होते गये. सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गयी। परन्तु अब कम दर पर मिलने वाली बिजली के न मिलने से गरीब बुनकरों में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है.
शहर के गोरखनाथ, रसूलपुर, जामिया नगर, पुराना गोरखपुर, पिपरापुर, मोहनलाल पुर, जमुनहिया, चक्सा हुसैन, जाहिदाबाद, सहित वर्तमान में लगभग 10 हजार पावर लूम हैं जिससे बुनकरों की रोजी-रोटी चलती है. सरकार द्वारा बुनकरों को बिजली में मिलने वाली सब्सीडी खत्म करने पर हजारों बुनकरों ने गुरुवार को अपना काम काज ठप करके विरोध जताया.
बुनकर मौलाना अब्दुर्रहमान नदवी ने कहा कि पिछली सरकार ने बुनकरों को धीरे धीरे खत्म किया परन्तु वर्तमान सरकार गरीब बुनकर के ऊपर आर्थिक बोझ डालकर एक दम खत्म करना चाहती है. उन्होंने बुनकरों के लिए बिजली दर पुराने तरीके पर रहने की मांग की है.