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विश्वविद्यालय के गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में एबीवीपी पदाधिकारियों का भाषण कराने पर उठे सवाल

 पूर्व कुलपति प्रो राधे मोहन मिश्र ने परम्परा का उल्लंघन बताया, एनएसयूआई ने विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया

गोरखपुर। दीदनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और महामंत्री का सम्बोधन कराने पर विवाद खड़ा हो गया है। विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो राधेमोहन मिश्र ने इसे परम्परा का उल्लंघन बताया है तो एनएसयूआई ने बयान जारी कर गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को आरएसएस पोषित विचाराधारा कार्यक्रम बनाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की निंदा करते हुए विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है।

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में 26 जनवरी को प्रशासिनक भवन पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो वीके सिंह ने झंडारोहण किया और वहां उपस्थित शिक्षकों, कर्मचारियों व छात्र-छात्राओं को सम्बोधित किया। उपस्थित लोग तब आश्चर्य में पड़ गए जब संचालक प्रो रविशंकर सिंह ने अखिल भारतीय विद्याार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा एस सुबैय्या और उसके बाद राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी को सम्बोधन के लिए बुला लिया। दोनों पदाधिकारियों ने पांच-पांच मिनट तक भाषण दिया।

दोनों पदाधिकारियों के सम्बोधन की वीडियो और तस्वीरें एबीवीपी की गोरखपुर इकाई के फेसबुक पेज पर अपलोड की गई हैं। इस पोस्ट पर लिखा गया है-आज दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा एस सुबैय्या जी एवं राष्ट्रीय महामंत्री सुश्री निधि त्रिपाठी जी को उद्बोधन हुआ जिसमें मुख्यरूप से गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विजय कृष्ण सिह जी एवं केन्द्रीय समिति के सभी सदस्य और गोरखपुर महानगर के सभी कार्यकर्ता उपस्थित रहे। ’

एबीवीपी की राष्ट्रीय समिति की दो दिवसीय बैठक 25-26 को गोरखपुर विश्वविद्यालय के अमृत कला वीथिका में आयोजित थी जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष और महामंत्री आए हुए थे।

विश्वविद्यालय के गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा एस सुबैय्या ने कहा कि आज भारत विश्व का सबसे जीवंत व सफल लोकतंत्र बन गया है। यह संविधान के साथ-साथ देश में सदियों से जिनका जीवन हुआ उनकी मानसिकता की भागीदारी से संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी परिषद चाहता है कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की सूची में भारत के 40-50 विश्वविद्यालय हों। युवा शक्ति गोरखपुर के कुलपति जैसे कुलपतियों के साथ है। हम भारत को पूरी दुनिया में सम्मानित गणतंत्र के साथ-साथ सम्मोहित गणतंत्र बनाना चाहते हैं।

महामंत्री निधि त्रिपाठी ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमें अपने इतिहास पर गर्व करने के बजाय हीन भावना से भर दिया गया। सावरकर के बलिदान को छिपाने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि अब देश की स्थिति-परिस्थिति बदल रही है। उन्होंने अपने भाषण का अंत एक कविता-कुछ तो बदली है हवा मेरे देश की, लोग अब मोहब्बत हुस्न के बजाय देश की मिट्टी से करने लगे हैं ’ से किया.

विश्वविद्यालय के इतिहास में कुलपति के सम्बोधन के बाद किसी संगठन के पदाधिकारियों को कार्यक्रम में शामिल करने और उनसे सम्बोधन कराने की यह पहली घटना है। विश्वविद्यालय के शिक्षक और कर्मचारी इस घटना का विरोध कर रहे हैं हालांकि वे कार्रवाई के डर से अपने नाम को सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं। एक कर्मचारी नेता ने अपने फेसबुक पर इस घटना को लेकर टिप्पणी की-‘ न भूतो न भविष्यति -विश्वविद्यालय गणतंत्र दिवस कार्यक्रम ’।

विश्वविद्यालय में गणतंत्र दिवस कार्यक्रम एक परम्परा के तहत होता है। कुलपति झंडारोहण करते हैं और एनसीसी कैडटों से गार्ड आफ आनर लेते हैं और फिर अपना सम्बोधन करते हैं। उनके सम्बोधन के बाद कार्यक्रम समाप्त हो जाता है। इसके बाद कुलपति एनसीसी कैडटों के साथ चाय पीते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के तीन बार कुलपति रहे प्रो राधेमहोन मिश्र ने गोरखपुर न्यूज लाइन को बताया कि गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में किसी संगठन के पदाधिकारियों को शामिल करना और उससे सम्बोधन कराना गलत है और परम्परा का उल्लंघन है।

एक रिटायर प्रोफेसर ने गोरखपुर न्यूज लाइन से कहा कि विश्वविद्यालय में एक गलत परम्परा की शुरूआत की गई है। अब दुसरे संगठन भी सत्ता की धमक दिखाकर गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में सम्बोधन की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि गोरखपुर विशविद्यालय अब विश्वविद्यालय के बजाय सत्ताधारी दलों और सरकार को सेंटर बन गया है। आए दिन कार्यक्रमों के लिए विश्वविद्यालय का प्रयोग हो रहा है। अब तो वहां सरकारी आफिस भी खोला जा रहा है। इससे शिक्षण कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

एनएसयूआई के पूर्वांचल प्रभारी सुमित पांडेय ने एक बयान जारी कर गणंतत्र दिवस कार्यक्रम में एबीवीवी नेताओं के सम्बोधन करवाने की निंदा की है। उन्होंने कहा कि ‘ विश्वविद्यालय प्रशासन ने कैम्पस को आरएसएस और उसके संगठनों को हवाले कर दिया है। एबीवीपी के कार्यक्रमों के लिए विश्वविद्यालय के सभागृह, गेस्ट हाउस दिए जा रहे हैं और दूसरे छात्र संगठनों को बैठक-कार्यक्रम करने के लिए एक कमरा तक नहीं मिल रहा है। एबीवीवी की राष्ट्रीय समिति की बैठक कराने के लिए विश्वविद्यालय की कला दीर्घा को आवंटित कर दिया गया। हम इसका विरोध करेंगे। ’

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