गोरखपुर. जनपद के बसंतपुर अर्बन प्राइमरी हेल्थ सेंटर (यूपीएचसी) ने भी नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड का खिताब पा लिया है। यूपीएचसी श्रेणी में 95.4 फीसदी अंकों के साथ यह प्रमाणन पाने वाली बसंतपुर सूबे की पहली यूपीएचसी बन गया है।
भारत सरकार की अपर सचिव व मिशन निदेशक वन्दना गुरनानी ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य डॉ. देवेश चतुर्वेदी को पत्र भेज कर यह जानकारी दी है। उनके पत्र के मुताबिक जिला अस्पताल रायबरेली को 89 फीसदी अंकों के साथ जबकि जिला महिला अस्पताल रामपुर को 86.1 अंकों के साथ एनक्वास का प्रमाणन मिला है।
बसंतपुर यूपीएचसी को एनक्वास मिलने के बाद गोरखपुर जनपद के खाते में दो एनक्वास सर्टिफाइड हैल्थ फैसिलिटी आ चुके हैं। इससे पहले डेरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को भी एनक्वास का सर्टिफिकेशन मिल चुका है और वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) कैटेगरी में एनक्वास पाने वाला सूबे का पहला हेल्थ फैसिलिटी बन चुका है। बीते 27 और 28 नवम्बर को भारत सरकार की टीम ने 1200 बिंदुओं पर बसंतपुर यूपीएचसी का मूल्यांकन किया था।
मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बसंतपुर की पूरी टीम को शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि इस उपलब्धी से अन्य हेल्थ फैसिलिटीज को भी बेहतर करने का मौका मिलेगा जिसका सीधे तौर पर समुदाय को फायदा हासिल होगा। एसीएमओ डॉ. आईवी विश्वकर्मा, डॉ. नंद कुमार, डॉ. एसके पांडेय डॉ. नीरज कुमार पांडेय ने जिला क्वालिटी कंसल्टेंट टीम और बसंतपुर की टीम को शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि टीम भावना से काम करने के कारण यह उपलब्धी हासिल हुई है।
सीएमओ ने बताया कि सभी अपर मुख्य चिकित्साधिकारियों, बसंतपुर की प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. पल्लवी श्रीवास्तव के साथ शहरी स्वास्थ्य केंद्र के मंडलीय क्वालिटी कंसल्टेंट डॉ. जसवंत मल्ल, मंडलीय समन्वयक प्रीति सिंह, शहरी स्वास्थ्य समन्वयक सुरेश सिंह चौहान, जिला क्वालिटी कंसल्टेंट डॉ. मुस्तफा और उनके सहयोगी विजय श्रीवास्तव समेत स्वास्थ्य विभाग के सभी संबंधित कर्मचारियों की मदद से यह सफलता हासिल हुई है।
रोचक है बसंतपुर का सफर
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) कैटगरी में कायाकल्प योजना के तहत पूरे यूपी में अव्वल रहे बसंतपुर की सूरत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से काफी बदली। इस योजना के तहत वर्ष 2018 में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के रूप में इस यूपीएचसी का चयन हुआ था। दिन प्रतिदिन बढ़ रही सुविधाओं से यहां मरीजों की आस्था भी बढ़ी और सकारात्मक परिणाम सामने है। कभी यहां 20-25 मरीजों की ओपीडी होती थी जो अब सवा सौ रोजाना तक पहुंच जाती है। वर्ष 2015 से पहले बसंतपुर यूपीएचसी का संचालन बसंतसराय में एक हेल्थ पोस्ट के तौर पर होता था जहां एक दिन में बमुश्किल 20-25 मरीज सेवा लेते थे।
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) के तहत इस हेल्थ पोस्ट को अपग्रेड कर वर्ष 2015 में कुल 23 हेल्थ पोस्ट को यूपीएचसी का दर्जा दे दिया गया। हांलाकि यूपीएचसी का संचालन एक पुरानी बिल्डिंग में होता था जिसकी दशा बहुत अच्छी नहीं थी। यहां से ओपीडी के अलावा बमुश्किल परिवार नियोजन कार्यक्रमों, गर्भवती महिलाओं की जांच और टीकाकरण के कार्यक्रम चल पाते थे।
वर्ष 2017 में सिफ्सा द्वारा वित्तपोषित ई-यूपीएचसी कार्यक्रम के तहत गोरखपुर और इलाहाबाद की पांच-पांच यूपीएचसी को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पेपरलेस करने के लिए चयनित किया गया। गोरखपुर में बसंतपुर के अलावा दीवान बाजार, नथमलपुर, शाहपुर और शिवपुर सहबाजगंज यूपीएचसी को भी पेपरलेस किया गया। इन यूपीएचसी पर मरीजों का पंजीकरण, परामर्श, लैब टेस्ट और फार्मेसी सबकुछ आनलाइन हो गया। ई-यूपीएचसी कैटेगरी में भी बसंतपुर का पूरी प्रदेश में पहला स्थान रहा है।
शहरी स्वास्थ्य मिशन के नोडल अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) डा. आईवी विश्वकर्मा, मंडलीय कंसल्टेंट प्रीति सिंह, शहरी समन्वयक सुरेश सिंह चौहान और बसंतपुर की प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. पल्लवी श्रीवास्तव और बसंतपुर की पूरी टीम के प्रयासों से वर्ष 2017 तक यहां की ओपीडी 50-70 तक पहुंचने लगी। इसी बीच यूपीएचसी का चयन प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना (पीएमजेवाई) के तहत हो गया जिससे यहां के भौतिक प्रगति के साथ-साथ अन्य सभी व्यवस्थाएं काफी सुदृढ़ हुयीं। बसंतपुर में मातृ स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, शिशु स्वास्थ्य, किशोरी स्वास्थ्य, परिवार कल्याण कार्यक्रमों के अलावा पीएमजेवाई के तहत गैर संचारी रोगों की स्क्रिनिंग और योगा की सुविधा बढ़ी जिससे मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित इजाफा हुआ। वह बताते हैं कि एक वर्ष के भीतर 600 से अधिक गैर संचारी रोगियों की स्क्रिनिंग की जा चुकी है। ओरल कैंसर, सर्बाइकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और ह्रदय के रोगियों को स्क्रिन कर इलाज के लिए उच्च चिकित्सा केंद्रों को रेफर कर दिया जाता है जबकि उच्च रक्तचाप और मधुमेह के रोगियों को जांच के अलावा इलाज और निशुल्क दवाओं की सुविधा उपलब्ध है। यहां रोजाना सुबह 8.30 से 9.30 के बीच निशुल्क योगा भी कराया जाता है।
इन सुधारों का असर यह रहा कि इस साल बसंतपुर यूपीएचसी 81.67 फीसदी अंकों के साथ कायाकल्प अवार्ड में प्रदेश में प्रथम स्थान पर रहा।