गोरखपुर। गोरखपुर नगर के विधायक डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल ने आज पत्रकार वार्ता में कहा कि जलनिगम के अध्यक्ष जी पटनायक ने उनसे हुई वार्ता में स्वीकार किया कि सारी सडकें एक साथ काटना गलत था । एक निश्चित एरिया काटकर वंहा सीवर लाईन डालकर सड़क बनाने के बाद दूसरा एरिया काटना चाहिए था। सब एक साथ काट देने और सड़क न बनाने से नागरिकों को समस्या हुई है । अब पहले सारी सडके पहले बना दी जायेंगी उसके बाद आगे की सीवर लाईन डाली जायेगी ।चेयरमैन ने यह भी कहा है कि घटिया पाईप डालने वाले तथा उन्हें बचाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी और खराब पाईप बदली जायेगी ।
नगर विधायक ने बताया कि जल निगम के अध्यक्ष ने कहा कि देवरिया रोड पर नाला 4 किमी बन चुका है. हम इस पर विचार करेंगे कि इसे तुर्रा नाले में मिलाने की जगह जंगल में ही खुला छोड़ दें. इससे 2-3 एमएलडी का पानी जंगल ही सोख लेगा। तुर्रा नाले का पानी बाढ़ के समय शहर में नहीं आयेगा और रेगुलेटर लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। जल निगम के अध्यक्ष ने चीफ टेक्निकल एडवाईज़र जुबैर अहमद तथा एस एन मणि को निर्देशित किया कि वे स्वयं गोरखपुर जाकर सीवर लाईन डाली गई जगहों पर पहले सड़क बनवाने के लिए तकनीकी आधार पर निर्णय लें ।
उन्होंने कहा कि सपा की सरकार में पीलिया के जिम्मेदार नगर आयुक्त,मुख्य अभियंता और नगर स्वास्थ्य अधिकारी को हमने एक टेलीफोन पर सस्पेन्ड करवाया और जीडीए के 34 अधिकारियों/ अभियंताओं को भ्रष्टाचार के लिये दण्डित करायया । अपनी सरकार में विभागीय भ्रष्टाचार से समझौता कर लें, यह कैसे सम्भव है ? यह तो गलत होगा ।हमारे विधायक बनने के पहले भाजपा की सरकार में बीआरडी मेडिकल कॉलेज को प्राईवेट सोसाईटी में बदल दिया गया था ,विधायक बनते ही हमने विधानसभा में लडाई लडकर उसे पुनः सरकारी मेडिकल कालेज बनवाया।तब तो सबको बहुत अच्छा लगा था । विधायक अपने क्षेत्र में मुख्य मंत्री के आंख-नाक-कान होते हैं और अगर हम योजनाओं की मानिटरिंग नहीं करते हैं तो माना जायेगा कि हम अपनी जिम्मेदारी में लापरवाही कर रहे हैं।
नगर विधायक ने आरोप लगया कि जल निगम के अभियंताओं ने गोरखपुर को अपने लूट का हिस्सा समझ लिया था और भीषण लापरवाही ,भ्रष्टाचार और अनुभवहीन कार्यप्रणाली से गोरखपुर के लाखों नागरिकों का जीवन नारकीय बना दिया था । लोगों के घरों में पानी पंहुचाने के नाम पर जमीन के भीतर फटी-हुई घटिया पाईप डाल दी और आर्थिक आधार पर भ्रष्ट व्यवस्था में जांच अधिकारी को ही अपने पक्ष में करते रहे । देवरिया रोड पर बन रहे नाले से 1 किमी दूरी पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट था और सिर्फ 3 करोड़ मे नाला बन जाता लेकिन 16 करोड का 6 किमी नाला स्वीकृत किया और नन्दानगर से लेकर मालवीयनगर में सीवर लाईन डालने के नाम पर सारी सडके तोड डाली और दो साल से नारकीय नरक भोग रहे हैं। महिलाएं अपना हाथ-पैर तुडवा रही हैं। जब अभियंताओं को सजा मिलने का समय आया तो हडताल पर जा रहे हैं.
डॉ अग्रवाल ने कहा कि हमने अध्यक्ष जलनिगम से कह दिया है कि अभियंताओं की शिकायत पर निश्चित रूप से गम्भीरता से जांच की जानी चाहिए,लेकिन वे शिकायत के नाम पर गैर-कानूनी हडताल कैसे कर सकते है ? आखिर हम भी 9 महीने से नगर विकास मंत्री ,एमडी जलनिगम और विधानसभा तक शिकायत ही तो पंहुचा रहे थे।जब कुछ नहीं हो और दोषी अपराधियों का बचाव हो तो आखिर कितने दिनों तक वे नागरिकों से अपमानित हों और क्यों । लेकिन अभियंता गण काम पर वापस आ गये हैं,इसके लिये बधाई के पात्र हैं । उन्हें चाहिए कि पहले और अच्छा काम करके हमको जबाब दे ।