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इंजीनियरों के छुट्टी पर जाने पर बोले जल निगम के जीएम -एमडी बाहर हैं, उनके वापस आने पर होगा निर्णय

नगर  विधायक डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाकर छुट्टी पर चले गए हैं जल निगम के आधा दर्जन अभियंता 

नगर विधायक ने कहा -भ्रष्टाचार उजागर किया इसलिए आरोप लगा रहे हैं इंजीनियर 

गोरखपुर। नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ और समर्थन में प्रदर्शन-सभाओं के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर में एक दूसरा घमासान चल रहा है। गोरखपुर नगर के भाजपा विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल पर उत्तर प्रदेश जल निगम के आधा दर्जन इंजीनियर ‘ दुर्व्यवहार ’, ‘ गाली गलौच ’, ‘ गुलामों से बदतर व्यवहार ’ करने का आरोप लगाते एक महीने के उपार्जित अवकाश पर चले गए हैं। भाजपा विधायक का कहना है कि उन्होंने जल निगम के इंजीनियरों का भ्रष्टाचार उजागर किया है, इसलिए वे आरोप लगा रहे हैं। इंजीनियरों के अवकाश पर जाने को लेकर जल निगम के महाप्रबंधक का कहना है कि प्रबंध निदेश बाहर गए हुए हैं। उनके आने पर इस मामले में कोई निर्णय लिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश जल निगम की निर्माण इकाई गोरखपुर के परियोजना प्रबंधक रतनसेन सिंह, परियोजना अभियंजा पंकज कुमार, सहायक परियोजना अभियंता विकास दुबे, सुधीर कन्नौजिया, सुजीत चैरसिया और अमरजीत यादव ने 29 दिसम्बर को जल निगम के अध्यक्ष, प्रबन्ध निदेशक, महाप्रबंधक, मुख्य अभियंता के अलावा गोरखपुर के कमिश्नर, डीएम को पत्र लिखा। इस पत्र में गोरखपुर नगर के भाजपा विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल के उपर गोरखपुर सीवरेज योजना की टीएसी जांच के दौरान दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया है। पत्र में कहा गया है कि भाजपा विधायक ने सार्वजनिक रूप से उन्हें ’ चोर ’, ‘ भ्रष्ट ’ कहा और लोगों को ‘ नंगा कर मारने ’, ‘ बांध कर मारने ’ के लिए उकसाया।
पत्र में इंजीनियरों ने कहा है कि ‘ विधायक के घोर दुर्व्यवहार के कारण उनका मनोबल बुरी तरह टूट चुका है और मानसिक उत्पीड़न की दशा में कार्य करने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए 30 दिसम्बर 2019 से 28 जनवरी 2020 तक अपनी मानसिक क्षति की भरपाई हेतु उपार्जित अवकाश पर जाने को विवश हैं। ‘
यह मामला गोरखपुर में सीवर लाइन बिछाने के काम को लेकर है। अमृत कार्यक्रम के तहत गोरखपुर जोन ए-1 उत्तरी भाग और गोरखपुर जोन ए-1 दक्षिणी भाग में 140 किलोमीटर लम्बी सीवर लाइन बिछाने का काम चल रहा है। यह कार्य मई 2018 से चल रहा है। अभी तक नन्दानगर, सैनिक कुंज, दरगहिया, झरनाटोला, दिव्यनगर, सिंघडियां, गोरक्षनगर, मालवीयनगरए पीपलडाढ़ा, कूडाघाट,यादवटोला, गिरधरगंज बाजार, आवास विकास कालोनी झारखंडी, मालवीयनगर, दिव्यनगर, गोरक्षनगर, सिंघडिंयाए इन्जीनियरिग विश्वविद्यालय आदि मोहल्लों में करीब 77 किलोमीटर सीवर लाइन बिछाने का काम हुआ है।
नगर विधायक का आरोप है कि जल निगम द्वारा बेतरतीब ढंग से पाइपों को बिछाने का काम किया गया है। नई बनी सड़कों को काट कर छोड़ दिया गया है। मानक के विपरीत टूटी-फूटी पाइपें डाली गई हैं। काम शुरू करने के पहले अभियंताओं को सभी सडकों की लेबलिंग करके सभी मेनहोल एक निश्चित ढ़ाल में बनानी चाहिए थी, लेकिन ऊपर-नीचे मेनहोल बना दिये गए हैं जिससे जब सडक बनेगी तो वंहा जलजमाव होगा। एक हिस्से में काम शुरू करके, सीवर लाईन डालकर और नागरिकों को कनेक्शन देने के बाद उनकी सडकों को बनवा देना चाहिए था लेकिन जलनिगम ने सभी सडकों को एक साथ डेढ़ साल पहले खोद डाला और अधिकतर सडकें कीचड़ से भरी पड़ी हैं और महिलायें, बच्चे तथा वयोवृद्ध नागरिक रोज गिरकर अपनी हड्डियां तुड़वा रहे हैं।
नगर विधायक का आरोप है कि देश में बिना गड्ढे खोदे ट्रेन्च-लेस पद्धति से सीवर लाईन डालने की तकनीक उपलब्ध है लेकिन लोकल गैर-अनुभवी ठेकेदारों को लाभ पंहुचाने तथा कमीशनखोरी के चक्कर में अधिकारी गड्ढे खुदवाकर पाईप डलवा रहे हैं। इस बारे में उन्हें लोगों से लगातार शिकायत मिल रही थी। जब उन्होंने मौके का निरीक्षण किया तो शिकायतें सही पायी। उन्होंने इंजीनियरों से शिकायतों का निस्तारण करने को कहा लेकिन उन्होंने नहीं सुनी।
भाजपा विधायक डा. अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने जुलाई 2019 में यह मामला विधानसभा में उठाया। जुलाई में ही जांच दल को जांच सौपी गयी लेकिन अधीक्षण अभियंता ने फाईल दबा दी। उन्होंने जलनिगम के प्रबंध निदेशक को फोन किया तो एक अधिशासी अभियंता को जांच के लिए भेजा गया। अधिशासी अभियंता पचपेडवा आजादनगर से नगर निकलवाये गये फटे और घटिया पाईप को जांच के लिए ले जाने की जगह अच्छी पाईप लेकर जांच के लिए गए। उन्होंने जब इसकी शिकायत की तो उक्त अधिशासी अभियंता फिर गोरखपुर आये और घटिया पाईप जांच के लिए लेकर गये। जांच में मेरा आरोप सही पाया गया कि पाईप अधोमानक था लेकिन अभी तक कोई प्रभावी कार्यवाही नही हुई।
नगर विधायक नै 16 दिसम्बर को विधानसभा में फिर से यह मामला उठाया और आरोप लगाया कि नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना के निर्देश को भी अधिकारी नहीं सुन रहे हैं। विधानसभा में दोबारा मामला उठने पर अधिशासी अभियंता मो सुलेमान खान के नेतृत्व में सहायक अभियंता मो अब्दुल वहीद सिद्दिकी व प्रेमचन्द तथा अवर अभियंता दिनेश कुमार मिश्र की 4 सदस्यीय टीम टीएसी जांच के लिए गोरखपुर आयी। इस टीम ने 27 दिसम्बर से 30 नवम्बर तक गोरखपुर में रहकर सीवर लाइन बिछाने के कार्यों की जांच की। जांच के दौरान भाजपा विधायक डा. अग्रवाल भी रहे।
जल निगम के अभियंताओं का आरोप है कि टीएसी टीम द्वारा जांच के दौरान भाजपा विधायक डा. अग्रवाल द्वारा बार-बार दुर्व्यवहार किया गया। अभियंताओं का कहना है कि सीवर लाइन बिछाने के तुरंत बाद रोड कटिंग को आवागमन के लिए ठीक किया गया और उसे मोटरेबल बनाया गया। सड़कों की स्थायी और अस्थायी पुर्नस्थापना करायी गई। सभी कार्य उच्च गुणवत्ता के साथ किए गए हैं। इंजीनियरों का यह  भी आरोप है कि नगर विधायक ने 29 जून 2019 को भी उनके साथ दुर्व्यवहार किया था।
भाजपा विधायक अपने फेसबुक वाल पर लगातार इस प्रकरण पर लिख रहे हैं। उन्होंने इंजीनियरों के आरोप पर लिखा है कि ‘ वे इसलिए नाराज हैं क्योंकि मै उनके भ्रष्टाचार को नंगा कर रहा हूँ । नागरिकों के जीवन की बेहतरी और भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी ईमानदारी से जंग लड़ने पर यह होना ही है। ’
भाजपा विधायक पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाकर अवकाश पर जाने वाले जल निगम के परियोजना प्रबंधक आरएस सिंह ने कहा कि ‘ यदि भ्रष्टाचार हो रहा है तो विधायक उसकी जांच कराएं लेकिन उन्हें अधिकारियों-कर्मचारियों को गाली देने का अधिकार नहीं है। संवैधानिक पद पर रहने वाले व्यक्ति असंवैधानिक कार्य कैसे कर सकते हैं। ’
जल निगम के महाप्रबंधक एसके वर्मा ने कहा कि प्रबंध निदेशक बाहर हैं। लौटकर आएंगे जो इस पर निर्णय लिया जाएगा। अभियंताओं के छुट्टी पर जाने से काम पर थोड़ा-बहुत बहुत असर जरूर पड़ेगा। अभियंताओं द्वारा दुर्व्यवहार की शिकायत को पहली बार संज्ञान में लाया गया है। सीवर लाइन डाली जाती है तो ट्रेंच खोदनी ही पड़ती है। इस कारण पब्लिक को दिक्कत आती है। बरसात में ज्यादा दिक्कत होती है। रोड ठीक कराने का काम हो रहा है। अभी प्रोजेक्ट कम्प्लीट नहीं हुआ है। इसलिए यह कहना कि सड़क को काटकर छोड़ दिया गया है, ठीक नहीं है। यह प्रोजेक्ट जून 2020 में पूरा होना है। इस तरह काम बंद रहा तो प्रोजेक्ट पूरा होने पर कुछ और समय लग सकता है।
विधायक और इंजीनियरों के बीच छिडे इस विवाद पर विरोधी दल सवाल उठा रहे हैं और मुख्यमंत्री को घेर रहे हैं. कांग्रेस के प्रदेश महासचिव विश्वविजय सिंह ने कहा कि ‘ मुख्यमंत्री के शहर में भाजपा विधायक कार्यो में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे है जबकि इंजीनियर विधायक पर गाली गलौच का आरोप लगा रहे है। मुख्यमंत्री मौन क्यो है ? सत्यता की जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही क्यो नही करते ?
डा. राधा मोहन दास अग्रवाल 18 वर्ष से गोरखपुर नगर क्षेत्र के विधायक हैं। उनकी छवि सौम्य व मिलनसार व्यक्ति की है। इसके पूर्व वह सिर्फ एक बार एक महिला आईपीएस अधिकारी से तीखी बातचीत को लेकर चर्चा में आए थे। इधर वह जल निगम, गोरखपुर विकास प्राधिकारण, पीडब्ल्यूडी आदि विभागों द्वारा कराए जा रहे कार्यों का लगातार निरीक्षण कर रहे हैं और उसमें गड़बड़ियों को उठा रहे हैं। वह विधानसभा में भी इन मुद्दों को उठा रहे हैं। जल निगम के अभियंताओं द्वारा मोर्चा खोले जाने के बावजूद विधायक के तेवर तीखे ही हैं। देखना है कि यह जंग किस मुकाम तक पहुंचती है।

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