गोरखपुर। सीएए-एनआरसी के खिलाफ 20 दिसम्बर को गोरखपुर में हुए प्रदर्शन के बाद गिरफ्तार किए गए दिलेजाकपुर निवासी अयूब खान को 42 दिन बाद जमानत मिल गई। अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने 3 फरवरी को अयूब खान को साक्ष्यों से छेड़छाड़ न करने और सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित रहने की शर्त पर एक-एक लाख की दो जमानतें और इतनी ही राशि के व्यक्तिगत बंध पत्र पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
अयूब खान के साथ गिरफ्तार किए गए शादाब को भी एक पखवारे पहले जमानत मिल गई थी। दोनों के खिलाफ 22 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था।
20 दिसम्बर को नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान दो स्थानों-नखास चौराहे और मदीना मस्जिद के पास प्रदर्शनकारियों का पुलिस से टकराव हुआ था। पथराव, लाठीचार्ज में एक पुलिस अधिकारी की गाड़ी का शीशा टूट गया था, एक कर्मचारी के हाथ में चोट आयी थी।
पुलिस के अनुसार प्रदर्शनकरियों के पथराव और हमले में तीन दरोगा और 12 सिपाही घायल हुए थे।
कोतवाली के प्रभारी जयदीप वर्मा द्वारा घटना के संबंध में दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया था कि ‘ धारा 144 लागू होने के बावजूद विधि विरुद्ध जमाव किया गया। पांच सौ व्यक्ति ईंट-पत्थर, डंडा लिए हुए बने रहे। चेतावनी के बाद भी ये लोग नहीं हटे। सरकारी कर्मचारियों पर हमला किया गया। पथराव से सड़कें ईंट -पत्थरों से पट गईं। भय से जनता में भगदड़ मची। आम जनता जूते-चप्पल छोड़ भागी। एएसपी पीटीएस राजेश भारती के वाहन का शीशा तोड़ दिया गया। पुलिस का लाऊडहेलर छीन लिया गया, आंसू गैस वाला बैग छीन लिया गया। पथराव किया गया, डंडा चलाया गया। ’
एफआईआर में कहा गया है कि ‘ भीड़ को नियंत्रित करने के किये हल्का बल प्रयोग/लाठीचार्ज किया गया। आंसू गैस के दस गोले छोड़े गए। ’
कोतवाली के प्रभारी जयदीप वर्मा की तहरीर पर 36 नामजद और सैकड़ों अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा अपराध संख्या 272/ 2019 के तहत 22 गंभीर धाराओं-भा.द.सं. 1860 की धारा 143, 145, 147, 148, 149, 151, 152, 153, 332, 333, 336, 337, 342, 353, 290,188,186, 427, 307, 504 और 7 सीएलए उक्ट और 2 /3 लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया गया है।
इस केस में मो. शादाब (36), और अयूब खान (36) को 22 दिसम्बर को गिरफ्तार किया गया था।
शादाब पर पुलिस ने आरोप लगाया था कि ‘ उसने एडीएम सिटी के साथ अभद्रता करते हुए धक्का दिया। एफआईआर में कहा गया था की ‘ मो. शादाब व अन्य बहुत से लोगों ने मौके पर उपद्रव व पथराव करके जनता में भय व भगदड़ मचायी। ‘
जमानत पर बहस में अयूब खान के अधिवक्ता ने कहा कि अयूब ने सिर्फ शक के आधार पर पकड़ा है। वह घटना के समय मौके पर मौजूद नहीं था। गिरफ्तारी का कोई स्वतंत्र साक्षी नहीं है। न ही वह किसी वीडियोफुटेज में है। उसकी शिनाख्त भी नहीं बतायी गयी है और उसके पास से कोई वस्तु बरामद हुई है। उसका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ने जमानत का विरोध किया और कहा कि आरोपी का अपराध गंभीर प्रकृति का है।
अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्क को सुनने के बाद अयूब खान की जमानत स्वीकार कर ली। उन्होंने कहा कि अभियुक्त पर पुलिस पर पथराव किए जाने का आरोप है लेकिन उसके द्वारा चलाए गए पत्थर से किसको चोट आयी यह स्पष्ट नहीं है। पत्रावली पर एक्स-रे रिपपोर्ट नहीं है। सभी गवाह पुलिस कर्मी हैं जिन्हें प्रभावित करने की कोई आशंका नहीं है। आरोपी की मौके से गिरफ्तारी नहीं की गई है और न कोई स्वतंत्र साक्षी है। उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और सह अभियुक्त की जमानत मंजूर हो चुकी है।